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वास्तविक नियंत्रण रेखा(LAC) पर चीन के साथ चल रहे तनाव को देखते हुए भारत ने साफ कर दिया है कि, भारत ड्रैगन की हर चाल का सामना करने के लिए तैयार हौ वो चीन की किसी भी चाल के आगे नहीं झुकने वाला। यहां तक कि चीन को हर मोर्चे पर उसी की भाषा मे जवाब देने की तैयारी की गई है। LAC पर चल रहे तनाव को लेकर जिस तरह भारत को दूसरे देशों ने साथ दिया है, खासकर अमेरिका ने, ये बात चीन को नागवार गुजरी है। ऐसे में चीन बौखलाया हुआ है। बता दें कि कूटनीतिक स्तर पर ताइवान और हांगकांग में फंसा चीन भारत से ‘वन चाइना पॉलिसी’ पर ठोस आश्वासन चाहता है। ताइवान के मुद्दे पर अमेरिकी रुख को भारत का परोक्ष समर्थन चीन को नागवार लगा है। लेकिन भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अगर चीन को भारत की संवेदनशीलता का भी ध्यान रखना चाहिए।
ताईवान राष्ट्रपति के शपथ समारोह में सत्ताधारी दल के दो सांसदों के शामिल होने चीन को ऐतराज हुआ, इसपर उसने अपनी आपत्ति जताई थी। बता दें कि मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के शपथ ग्रहण समारोह में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए थे। इसके लिए उन्होंने सांसद लेखी और कासवान के सामने लिखित शिकायत भी दी, जिसमें उन्होंने दोनों सांसदों की तरफ से दिए गए बधाई संदेश को गलत बताया है। इस कार्यक्रम में अमेरिकी विदेश मंत्री सहित दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
यहीं नहीं चीन को लगातार आर्थिक मोर्चे पर भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। आलम ये है कि चीन से विदेशी कंपनियां हटना चाहती हैं। कोविड संकट में सार्थक भूमिका की वजह से ताइवान को काफी समर्थन मिला है, जबकि चीन को दुनिया संदेह की नजर से देख रही है। भारत की भूमिका संकट के वक्त बढ़ी है। अमेरिका और भारत की रणनीतिक साझेदारी भी स्पष्ट नजर आई है। इन सबसे चीनी शासन में झुंझलाहट है।
हालांकि इस पूरे परिदृश्य में चीन मामले को सुलझाने की कोशिश में लगा हुई है। फिर भी चीन की चालबाजी को देखते हुए भारत ने साफ कर दिया है कि, वह अपना कदम पीछे नही खींचेगा। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच करीब 20 दिन तक चले गतिरोध के मद्देनजर भारतीय सेना ने उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में अपनी मौजूदगी उल्लेखनीय ढंग से बढ़ाई है और यह संदेश दिया है कि भारत चीन के किसी भी आक्रामक सैन्य रुख के आगे रुकने वाला नहीं है।
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