पर प्रकाश डाला गया
- स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव ने जिम्मेदार अधिकारियों को सख्त कार्रवाई का आदेश दिया।
- पूर्व सरकार में कंपनी को लाभ नामांकन के लिए पत्र जारी किया गया: महाप्रबंधक (वित्त)।
- क्रिस्चियन ने सीजीएमएससी को पत्र लिखकर टीडीएस न देने के कारण भुगतान पर रोक लगाने की सूचना दी थी।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। कृषि विभाग के पत्र को छत्तीसगढ़ उत्पादन निगम (सीजीएमएससी) द्वारा सूचीबद्ध करके फिर से जांच की जाएगी। अब स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंघवा से शिकायत की गई है। उन्होंने मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा है।
दवा कंपनी मेसर्स ए नागालैंड साइंस साइंस इंडिया लि. भुगतान पर रोक के संबंध में कार्मिक विभाग का पत्र नहीं मिलने की पुष्टि महाप्रबंधक (वित्त) ने दी है। पूर्व सरकार के अनुबंध में दवा कंपनी को भुगतान के लिए महाप्रबंधक (विट्टा) ने अर्थशास्त्र विभाग के पत्र को अनसुना कर दिया था।
प्रोफेशनल्स वाली बात यह है कि सीजीएमएससी के एमडी ने जब मामले की जांच के आदेश दिए तो खुद महाप्रबंधक (विट्टा) ने अपनी ही जांच करके क्लीन चिट दे दी। मेन रामअवतार केडिया ने बताया कि 30 जून 2023 को शाम 5 बजे 5 मिनट के लिए कंपनी ए एनर्जी लाइफ साइंसेज इंडिया ने अपने पंजाब नेशनल बैंक के बैंक अकाउंट बंद कर दिए और केनरा बैंक के साथ साझेदारी में भुगतान कर दिया।
कंपनी का मेल शाम को पांच फ्रेंचाइजी पांच मिनट पर प्राप्त होने के बाद भी सीजीएमएससी के रिकॉर्ड में बदलाव करके भुगतान भी कर दिया गया। जबकि उसी दिन महाप्रबंधक (वित्त) ने एक ही दिन में लघु उद्योग विभाग के पत्र से मुलाकात की बात स्वीकार कर ली। इसकी जांच और चिकित्सा विभाग के मेल की जांच तकनीकी अधिकारियों से होनी चाहिए।
मामले की शिकायत मिली है. कृषि विभाग के पत्र को चयन से नहीं लिया जाना चाहिए। पूरे प्रकरण की पुन: जांच होगी। चिकित्सा विभाग से आये मेल की जांच तकनीकी अधिकारी से किया जायेगा। मनोज पिंगुआ, अपर मुख्य सचिव विभाग
ये है मामला
हेल्थकेयर सेंट्रल डिपार्टमेंट ने 16 जून 2023 को सीजीएमएससी को लेटर रिकॉर्डिंग ड्रग कंपनी मेसर्स ए एनजी लाइफ साइंसेज इंडिया लि. रोक के लिए दो करोड़ 78 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। वजह यह थी कि कंपनी ने कई सालों के टीडीएस का भुगतान 12.30 करोड़ रुपये नहीं किया था। सीजीएमएस कंपनी के तहत पंजीकृत कंपनी की धारा 226(3) के तहत कृषक विभाग द्वारा अधिसूचना जारी की गई थी।
जिसका उत्तर 24 घंटे के भीतर चिकित्सा विभाग देना अनिवार्य था। लेकिन सीजीएमएससी के अधिकारियों ने सीजीएमएससी के अधिकारियों को नौकरी से न मिलने के बावजूद कंपनी को एक ही दिन में पूरा भुगतान कर दिया। विशेषज्ञों वाली ने बताया कि पशु चिकित्सक विभाग बार-बार काम कर रहा है लेकिन सीजीएमएसएसी ने कोई जवाब नहीं दिया।
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