छत्तीसगढ़ के सुकमा में दर्ज हुई यह खतरनाक बीमारी, चित्तलनार में पिछले 15 दिनों में 7 लोगों की मौत – Lok Shakti
October 16, 2024

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छत्तीसगढ़ के सुकमा में दर्ज हुई यह खतरनाक बीमारी, चित्तलनार में पिछले 15 दिनों में 7 लोगों की मौत

सुकमा जिले के चीतलनार में उल्टी-दस्त से लगातार रेस्तरां की रिकॉर्डिंग। फ़ाइल फ़ोटो

पर प्रकाश डाला गया

  1. प्रकोप: बाढ़ के बाद बीमारी की चपेट में गांव, हर दूसरे दिन मर रहे लोग।
  2. 127 पुरातत्त्व की जांच में 9 डायरिया पीड़ित और कुछ में बुखार पाया गया।
  3. पिछले चार वर्षों में सुकमा के इटकल में 44 से अधिक विद्यार्थियों की कलाकृतियाँ।

सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में रेस्टॉरेंट की दुकान का नाम नहीं लिया जा रहा है। कोंटा विकासखंड के इटकल और हाईवे के बाद अब ओडिशा सीमा के नजदीक, हिंदगढ़ विकासखंड के चितलनार गांव में पिछले 10 दिनों से जनजातीय समुदाय के सात लोगों की मौत और दस्त के कारण हो रही है। मृतकों में पति दूधी मासा, जिरमिट्टी पति लछिंदर, सुकलु, दशमी पति सुरंदर, सुकड़ी पति सुकलु, सुकड़ी पति बिट्ठल और सेतुराम शामिल हैं। इस गांव में हर 12 घंटे में एक ग्रामीण की मौत हो रही है, और कई लोग अभी भी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हैं।

गांव के निवासी घेनवाराम ने बताया कि सेतुराम को कल रात करीब आठ बजे उल्टी-दस्त की समस्या शुरू हो गई थी। उन्होंने रात को कुछ राक्षसी लीं, लेकिन सुबह उनकी मृत्यु हो गई, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। सरपंच के पति हिड़मा ने जानकारी दी कि हाल ही में गांव में आई बाढ़ के बाद डायरिया फैल गया है, जिसके बारे में जानने के लिए आप जा रहे हैं। लगातार हो रही रॉकेट्स ने गांव के लोगों में तृष्णा पैदा कर दी है।naidunia_image

चीतलनार, छिंदगढ़ की एक बड़ी पंचायत है, जिसमें खसपारा, कलारपारा, कुंजामपारा, नयापारा, मुचवाल, पटेल पारा और मुचापारा जैसे क्षेत्र में लगभग 7,500 ग्रामीण निवास करते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस संकट के बाद गांव में एक मेडिकल टीम का गठन किया है, लेकिन वहां पर सिर्फ एक ग्रामीण मेडिकल सेंटर (रामए) को अध्ययनरत खाना बनाने की सलाह दी गई है। इस टीम ने दो दिनों में करीब 127 दस्तावेजों की जांच की, जिसमें नौ डायरिया के पीड़ित पाए गए और कुछ लोगों में शिकायत बुखार की भी मिली है। 48 लोगों ने की शरीर में दर्द की समस्या की भी शिकायत।

सुकमा में लगातार पांच रिकॉल की मौतें हो रही हैं, जिसका एक और उदाहरण कोंटा विकासखंड के इटकल गांव में देखने को मिला, जहां पिछले महीने पांच साल की रिकॉल की मौत हो गई थी। इसी क्षेत्र में पिछले चार वर्षों में 44 से अधिक रेस्तरां की घटनाएं सामने आई हैं। तीन साल पहले रेगड़गट्टा और आस-पास के तीन इलाकों में भी 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, ये स्थिति और भी गंभीर हो गई थी।