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मेंटेनेंस नहीं, वृक्ष की तरह दिखने लगे बिजली के खंभे, बिजली बंद होने का कारण यह भी, ध्यान न दे रही कंपनी

वृक्ष की तरह दिखने वाले बिजली के खंभे

पर प्रकाश डाला गया

  1. शहरवासी सालभर से बिजली बंद की समस्या से जूझ रहे हैं।
  2. बिजली खंभों को बिजली और बेल इस तरह से निर्धारित हैं।
  3. शहर में लोहे के खंभे कम और वृक्ष अधिक देखे जाते हैं।

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। शहर में बिजली के मेंटेनेंस पूरी तरह से अलग-अलग तरह के उपकरण लगाए गए हैं। बिजली वितरण कंपनी लटकते तार को ठीक कर रही है और किसी तार के संपर्क में आने वाले पेड़ों की चिंता कर रही है। एक नजारा तो हैरान करने वाला है। अधिकांश बिजली खम्भों को इलेक्ट्रिक व बेल इस तरह से निर्धारित किया जाता है कि वह खंभों कम वृक्ष पर सबसे अधिक नजर आते हैं। शहर में बिजली की आपूर्ति व्यवस्था में किसी भी तरह की छूट की आवश्यकता नहीं है।

बिजली बिल भुगतान करने के बाद भी बेहतर सुविधा नहीं

आलम यह है कि आम उपभोक्ता बिजली की समस्या को लेकर चर्चा करने लगे तो वह कंपनी को काफी हद तक नजर आ रहे हैं। उनकी अयोनिमी जायज़ भी है। हर माह पूरा बिजली बिल भुगतान के बाद बेहतर सुविधा नहीं मिलेगी तो इस तरह की सूची ही बनेगी। शहरवासी सालभर से बिजली बंद की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके कारण कंपनी के अधिकारी कभी कर्मचारियों की कमी तो कभी संसाधनों की कमी हो जाती है। ऐसे कई कंपनी कंपनी के पास हैं, जिनकी साठ साल की छात्रा को दिया जाता है। जबकि असल में यह है कि कंपनी मेंटेनेंस ही नहीं होता है। यह जीता-जागता उदाहरण के लिए बिजली के खंभे की सूची है।

लोहे के खंभे कम और वृक्ष अधिक नजर आते हैं

शहर के किसी भी हिस्से में चले जाइए, वहां के खंभों की वजह से ऐसा होता है कि वह लोहे के खंभे कम और जंगल में ज्यादा देखने को मिलते हैं। कंपनी को इतनी फुरसत नहीं है कि इन वृक्षों को होल्ड बेल या रिजर्व बैंक की मंजूरी मिल जाए। बेल, ड्राइवर्स तार और अन्य उपकरणों को इस धारक ने कहा है कि इसकी वजह से आए दिन शिंगारी उठती है तो फिर कई बार जंपर कटने के कारण क्षेत्र में बिजली बंद हो जाती है। आग लगने की घटनाएँ आम बात हो गई हैं।

अलार्म को निरीक्षण करने की फुर्सत नहीं

मंगला, मोपका, उसलापुर, नेहरू नगर, विकास नगर, व्यापार बिहार, जराभाठा जैसे कई क्षेत्र हैं, जहां बिजली खंभों में यह अनुमान लगाया जा सकता है। उपभोक्ता शिकायत भी करते हैं। लेकिन, मैदानी अमला मेंटेनेंस के नाम पर केवल आवश्यकताएं पूरी होती हैं। उच्च अधिकारी को भी कभी-कभी ऐसे अधिकारियों का निरीक्षण नहीं करना पड़ता।

संस्करण

बैल की वजह से ऐसी स्थिति हो गई है। जैसे ही यह समाप्त होगा मैंटेनेंस का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। इस दौरान छिपकली और बेल की छंटाई की जाएगी। हर साल दीपावली पूर्व में मनाया जाता है। इस बार पूरी तैयारी है। जहां सबसे बड़ी समस्या है, वह कर्मचारियों की सफाई कराएगी।

– पीके साहू, कैप्टन मैकेनिकल बिजली वितरण कंपनी