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वन विभाग में नौकरी के नाम पर समाजवादी, स्कोटिया शिक्षक ने दी जान, शहीद नोट में पूर्व मंत्री का नाम

श्रेणी कुमार ठाकुर ने की अतिमहत्या। शहीद नोट में अन्य चित्र।

पर प्रकाश डाला गया

  1. शहीद नोट में पूर्व मंत्री अकबर समेत चार लोगों के नाम शामिल।
  2. अब तक छह प्रतिमाओं से 23 लाख की ढाचा-चाचा हुई।
  3. मामले में 14 अगस्त को डौंडी स्टेट में आवेदन जमा किया गया था।

नई दुनिया न्यूज़, डौंडी। बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक ग्राम के ओडगांव प्राथमिक शाला के प्रधानपाठक विद्वान कुमार ठाकुर (57) ने मंगलवार को घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामला वन विभाग में वनरक्षक और भृत्य की नौकरी के नाम पर 23 लाख की धोखाधड़ी से जुड़ा है। पुलिस को आत्महत्या विषयक नोट मिला हुआ है। मौत के लिए हरेंद्र नेताम, मदार खान नीयन अलैयिम खान, प्रदीप ठाकुर और पूर्व वन मंत्री अकबर को जिम्मेदार बताया गया है। रसेल एसपी अशोक कुमार जोशी ने कहा कि पुलिस ने मर्ग ग्रुप की जांच शुरू कर दी है। आत्महत्या विषयक नोट की सत्यता और समसामयिक विचारधारा की जांच की जाएगी।

मृतक ने 14 अगस्त को डौंडी थाने में 23 लाख की धोखाधड़ी से जुड़ा मामला दर्ज कराया था। उन्होंने इसमें `नैट गरियाबंद` निवासी मदार खान की हत्या कर दी थी। डौंडी के मंच प्रभारी मुकेश सिंह का कहना है कि सभी मृतक श्रमिक मजदूर हैं। नोट वापसी के लिए 25 अगस्त तक का समय दिया गया था, लेकिन 25 अगस्त के बाद किसी ने कोई सूचना नहीं दी। इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।

वनरक्षक के लिए धर्मदेव, डिंपल, नंदू निषाद ने 4.70 लाख रुपये, योगे कुमार ने 3.70 लाख रुपये, मनोहर लाल ने 3.20 लाख रुपये और भृत्य के लिए लक्ष्मी ने 2.70 लाख रुपये लेने का आरोप लगाया है। याचिका में लिखा है कि 9 जुलाई, 2022 को रायपुर के नटराज होटल में साक्षात्कार लिया गया था। वहां हरेंद्र नेता व मदार खान उपस्थित थे। सभी राक्षसों के राक्षस कुमार के द्वारा की गई थी।

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शहीद नोट के आधार पर जांच की जा रही है। इसमें जो तथ्य सामने आएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।

एसआर भगत, एसपी, बालोद

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सुसाइड नोट में जो भी आपका नाम बता रहे हैं। मैं किसी को भी नहीं जानता हूँ। मेरा कोई लेना-देना नहीं है।

– अकबर, पूर्व वन मंत्री, छत्तीसगढ़

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मृतकों का दावा-पीड़ितों की संख्या

पुलिस को मिले फैसले में मृतक ने अपनी मौत का जिम्मेदार चार लोगों को ठहराया है। नोट में लीलाराम कोररम को बताया गया है कि नौकरी के नाम पर ठगे गए पैसे को अब तुम डालोगे। यदि पुलिस द्वारा विशेषज्ञों द्वारा जांच की गई और मामले को राजनीतिक दबाव में ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास नहीं किया गया तो पीड़ित लोगों की संख्या और संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।

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