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एफजीडी रोकेगा बिजली संयंत्र का नाइट्रोजन ऑक्साइड, बनेगा जिप्सम

पर प्रकाश डाला गया

  1. प्रदूषण नियंत्रण के साथ तैयार होगा उत्पाद।
  2. जिप्सम से बनी है फाल सीलिंग, प्लास्टर।
  3. प्रदूषण रोकेगा साथ स्टूडियो ही की चौथाई होगी कम

नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा: छत्तीसगढ़ पावर जनरेशन कंपनी के हसदेव थर्मल पावर प्रोजेक्ट (एचटीपीपी) के 500 विस्तार प्रोजेक्ट में फ्लू गैस डिसल्फर सिस्टम (एफजीडी) सिस्टम की स्थापना 250 करोड़ रुपये से अधिक हो रही है। इस विद्युत संयंत्र में कोयला कोयले पर रेह्वा वाली इलेक्ट्रानिक ऑक्साइड से कैल्शियम पावडर से मिश्रित कर जिप्सम का निर्माण किया जाएगा।

कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में खदान वाली खतरनाक गैस ऑक्साइड गैस की आपूर्ति एफजीडी प्लांट सिस्टम जाने से पहले ही अलग कर दी जाएगी। यह ईएसपी के जैसा ही होता है, लेकिन फोरचार्ज ऑक्साइड को नुकसान पहुंचाता है। एचटीपीपी के मुख्य आर्किटेक्ट और सुपरमार्केट के निदेशक का कहना है कि बिजली उत्पादन के साथ हम अपने क्षेत्र के पर्यावरण के प्रति भी काम कर रहे हैं। फोराऑक्साइड के पर्यावरण में इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य एवं वनस्पति एवं किसी भी जीव पर पड़ सकता है। एफजीडी सिस्टम के लिए इसका नियंत्रण बेहद कारगार है। इसका उपयोग पहले भी देश के बिजली संयंत्रों में किया जा रहा है, एचटीपीपी में ऑफलाइन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है, इसके माध्यम से प्रदूषण तो रुकेगा ही साथ ही जिप्सम का भी निर्माण किया जा रहा है। 2025 तक एफजीडी स्थापना का कार्य पूर्ण करने के लिए जाने की संभावना है। वर्ष 2026 की पहली तिमाही में जिप्सम का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।

ज़िप्सम से बनी है फाल सीलिंग, रेज़्यूमे के लिए भी उपयोगी

बिजली संयंत्रों से राख पाइप लाइन के माध्यम से डैम तक का अवलोकन किया जाता है, यहां राख के ऊपरी सतह के झाग युक्त पानी को अच्छा कर सेनोस्फियर आउट किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इसकी अच्छी ख़ासी मांग है। राखड़ का उपयोग सड़क, असेंबली और निर्माण में किया जाता है। कायला जेकेला से तैयारी होने वाले यूपी स्टूडियो में अब जिप्सम भी जुड़ेंगे। जिप्सम का उपयोग संगति में फाल सीलिंग में किया जाता है। अंतिम निर्माण के लिए भी यह उपयोगी होता है। इलेक्ट्रिकल कंपनी ने मार्केटिंग के लिए भी बनाई योजना।

प्रदूषण रोकेगा साथ स्टूडियो ही की चौथाई होगी कम

एचटीपीपी एफजीडी की यूनिट सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित है। इससे प्रदूषण पर नियंत्रण के साथ बिजली उत्पादन में भी कटौती होगी।