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क्‍या होता है SIP, SWP और STP, किसमें है ज्यादा का फायदा

SIP vs STP vs SWP अगर आप शेयर बाजार में इन्वेस्ट करते हैं तो आपने कभी न कभी SIP SWP और STP के बारे में सुना होगा। यह तीनों निवेश के ऑप्शन है। अब इन तीन ऑप्शन में से कौन-सा बेस्ट है और इनके बीच क्या अंतर है। आज हम आपको इस आर्टिकल में इस सवाल का जवाब देंगे।

स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए वर्तमान में लोग कई तरीके अपनाते हैं। बाजार में भी निवेश के कई ऑप्शन मौजूद हैं। हर कोई चाहता है कि वह जहां निवेश करें वहां से उसे ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिले।

अगर आप भी स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो आपने कभी न कभी सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान और सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान के बारे में सुना होगा। यह तीनों निवेश के लिए अपनाए जानी वाली स्ट्रेटेजी है, जिसके जरिये आप ज्यादा रिटर्न पा सकते है।

आज हम आपको इन तीनों स्ट्रेटेजी के बारे में बताते हैं ताकि आप जान पाएं कि आपके लिए इन तीनों ऑप्शन में से कौन-सा बेस्ट रहेगा।

सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP)

लोगों के बीच सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान काफी पॉपुलर है। इसमें हर महीने निवेश करना होता है। इसकी खास बात है कि इसमें आप शेयर के साथ म्यूचुअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं। एसआईपी के जरिये आप लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट करके मोटा फंड तैयार कर सकते हैं।

एक्सपर्ट का भी मानना है कि म्युचूअल फंड में एसआईपी करना काफी अच्छा ऑप्शन है।

सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान (SWP)

सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान निवेश की नहीं निकासी के लिए अपनाई जाने वाली स्ट्रेटेजी है। इसकी मदद से आप टैक्स सेविंग के साथ पैसों की भी बचत कर सकते हैं। एसडब्लूपी में आपको हर महीने अपनी सेविंग का कुछ हिस्सा विड्रॉल करना होता है।

एक्सपर्ट के अनुसार रिटायरमेंट के बाद म्यूचुअल फंड से पैसे निकालने के लिए एसडब्लू की स्ट्रेटेजी अपनानी चाहिए। इसकी मदद से आप टैक्स सेविंग करने के साथ अपनी जरूरत के हिसाब से पैसे निकाल सकते हैं।

सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान (STP)

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव लगा रहता है। ऐसे में मार्केट के उतार-चढ़ाव के बीच रिटर्न देने में सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान काफी मदद करता है। इसमे रिस्क के हिसाब से फंड को ट्रांसफर करना होता है।

इसे ऐसे समझिए कि एक 60 वर्ष का निवेशक बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच एसटीपी स्ट्रेटेजी के तहत अपने इक्विटी फंड को डेट में ट्रांसफर करवाता है। वहीं, कोई युवा निवेशक अपने डेट फंड को इक्विटी में ट्रांसफर करवाता है। इस तरह वह शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच फायदा उठा सकते हैं।