भगवान कृष्ण की स्पर्श वस्तुएं धन के रूप में पूजी जाती हैं – Lok Shakti

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भगवान कृष्ण की स्पर्श वस्तुएं धन के रूप में पूजी जाती हैं

श्रीकृष्ण भक्ति एक धारा है। जिसमें भक्त भगवान के अलग-अलग नामों और रूप के साथ भक्ति करता है। ऐसा ही एक पंथ है जो भगवान के स्पर्श की हुई वस्तुओं की आज भी पूजा करता है। यह है श्री जयकृष्णी पंथ। जिनके महंत यह दावा करते हैं कि गुरु परंपरा के अनुसार इस पंथ के महंतों के पास भगवान के कपड़ों से लेकर सरौंता, सुपाड़ी के टुकड़े आइना सहित वे प्राचीन वस्तुएं हैं जिनका भगवान ने उपयोग किया था। जिसे यह पंथी धन के रूप में अपने पास रखते हैं। जबलपुर के श्री गोपाल मंदिर बाई का बगीचा में भगवान के कपड़े हैं। जिसे जन्माष्टमी सहित अन्य प्रमुख पर्वों पर पूजन किया जाता है। इस पंथ को 1267 ईस्वी में चक्रधर स्वामी ने शुरू किया था। वे परब्रह्म परमात्मा के अवतार हैं। जिन्होंने सनातन धर्म के लिए अनेक कार्य किए। चक्रधर स्वामी ने ही यह प्रमाणित किया कि परब्रह्म का अवतार द्वापर युग में श्रीकृष्ण हैं। भगवान चक्रधर स्वामी ने समाज को पांच अवतारों का दर्शन कराया। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, दत्तात्रेय महाराज, चक्रपाणी महाराज, गोविंद प्रभु और वे स्वयं। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के 1650 तीर्थ हैं। इस मंदिर में 60 तीर्थों की शिलाएं मौजूद हैं। जिसमें मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश के गोवर्धन पर्वत, महाराष्ट्र के रिद्धपुर, माहुर, फलटन, डोमेग्राम, बेलापुर, गुजरात के द्वारिका और मप्र के उज्जैन मुख्य रूप से शामिल हैं। जहां-जहां भगवान के चरण रज पड़े वहां के पत्थरों (पाषाण) को विग्रह के रूप में तैयार कर यह पंथ भगवान की प्रतिमा के पास स्थापित करता है। इस पंथ के पास आज भी 6500 से ज्यादा ग्रंथ संपदा है।