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नाबालिग ने पिता को लिवर दान करने के लिए कहा, उच्च न्यायालय ने दिया ये आदेश…

न. लिवर की बीमारी से बीमार चल रहे पिता को नाबालिग बेटे ने अपना लिवर देने की इच्छा जाहिर की है। इसके प्रत्यावेदन पर सरकार ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया, जिसके बाद मोनाली ने कोर्ट का सहारा लिया। उच्च न्यायालय के लखनऊ बेंच ने दो दिनों के अंदर प्रतिवेदन दाखिल करने का आदेश दिया है।

इस आदेश में जस्टिस सौरभ लावनिया और राजीव सिंह ने 17 साल की हर्षित शुक्ला की ओर से उनकी मां ममता कुशवाहा द्वारा आवेदन पत्र दाखिल किया था। फाइल में कहा गया है कि याची के पिता को लिवर सिरोसिस की बीमारी है और उन्हें इलेक्ट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी गई है। अदालत ने पाया कि संबंधित उद्यमों के तहत एक नाबालिग के अंगदान को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, हालांकि इस तरह के अपवाद स्वरूप को राज्य सरकार और यथोचिती के भत्ते के अनुरूप बनाए रखा जा सकता है। याची के साक्षत्कार साकीत सिंह, ऐश्वर्य क्लब, शमीम कुमार पैवेलियन और प्रशांत टाइगर ने दीयाली दी कि याची के पिता परिवार में रोजी रोटी वाले अकेले सदस्य हैं, आशिक ने उन्हें प्रत्यक्ष लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी है।

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उन्होंने कहा कि याची ने अंग दान से संबंधित सहयोगियों पर ध्यान केंद्रित किया था, राज्य सरकार ने 21 दिसंबर को एक प्रत्यावेदन भी दिया था, लेकिन अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जीवित लिवर दाता 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच का एक वयस्क वयस्क होना चाहिए। डॉक्टर के पास एक संगत रक्त प्रकार और लिवर की शारीरिक संरचना होनी चाहिए जो दान के लिए उपयुक्त हो। लिवर दाता को लिवर की कोई बीमारी, मधुमेह, दिल या कैंसर जैसी कोई गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए।

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