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मुख्यमंत्री के फैसले से जन-जन में जागा विश्वास, पूरे होंगे छत्तीसगढ़ में 18 लाख आवास

खुशहाली के आशियाने से बदलेगी जिन्दगी, टपकते छत की सालाना मरम्मत से मिली राहत

बंदरों की उछलकूद से खपरैल टूट जाती थी, अब मिलेगा पक्का मकान

टेकारी में गांव वालों पीएम आवास मिलने के निर्णय से काफी खुशी

    रायपुर 23 दिसंबर 2023

 आपदा और बंदरो द्वारा पैदा की गई

रायपुर जिले के पास स्थित टेकारी गांव के निवासी प्राकृतिक आपदा और बंदरो द्वारा पैदा की गई आपदाओं से परेशान रहते हैं। बारिश के मौसम में उनके जीर्ण-शीर्ण घरों में छत से पानी टपकाने लगता है और रही सही कसर बंदरों की उछल कूद से पूरी हो जाती है। मकान के मेंटेनेंस का खर्चा इन ग्रामीणों पर बहुत भारी पड़ता है प्रधानमंत्री श्री मोदी के गारंटी के पश्चात मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा 18 लाख से अधिक आवास स्वीकृत किए जाने के निर्णय से टेकारी के ग्रामीणों में भी काफी खुशी की लहर है ,अब उन्हें हर साल होने वाली समस्या से पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी।

    रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड के ग्राम टेकारी के हितग्राहियों में मुख्यमंत्री के पक्का आवास देने के फैसले के बाद भारी उत्साह है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि अब हमारा भी पक्का मकान होगा। गांव के हितग्राही मुकेश कुमार वर्मा ने बताया कि उन्होंने पूर्व में प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया था, पर उनका आवास स्वीकृत नहीं बन पाया था। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री जी के निर्णय के बाद अब मेरा भी पक्का आवास होगा इस बात कि अब मुझे बहुत खुशी है। इसी तरह गांव के ही अन्य हितग्राही टेकारी ग्राम के बस्ती पारा निवासी मुकेश धीवर बताते हैं कि उनके घर में दस लोग रहते हैं। कच्चा मकान होने के कारण बारिश के दिनों में उन्हें बड़ी परेशानी होती थी। वर्षा के कारण छत से पानी टपकने लगता था और हमें सोने में समस्या होती थी। हम किसी तरह पॉलिथीन का उपयोग करके छत की मरम्मत करते थे, पर वह भी कारगर साबित नहीं होता था पर पक्का आवास बनने से हमें इस समस्या से राहत मिलेगी। इनकी माता श्रीमती सोनी धीवर कहती है कि अब मुझे लग रहा है कि हमें पक्का मकान में रहने मिल जाएगा, जिससे बंदरों के उछल-कूद से घर के छत में होने वाले नुकसान से निजात मिलेगी।

    गांव की अन्य हितग्राही श्रीमती लक्ष्मी वर्मा कहती है कि उनके मकान की रसोईघर की छत कमजोर हो जाने के कारण गिर गई थी, परन्तु उस समय रसोईघर में किसी के न होने के कारण बड़ा नुकसान नहीं हुआ। उनके पति लाल जी वर्मा बताते है कि गाय के कोठे की छत भी कमजोर होने के कारण एक बार गिर गई थी। साथ ही गांव में बन्दरों की उछल-कूद से खपरैल भी टूट जाते है। जिसकी मरम्मत के लिए उन्हें हर वर्ष 20 हजार रूपये खर्च करने पड़ते थे साथ ही कच्चे मकान की वजह से सांप-बिच्छू का खतरा भी बना रहता था।

    गांव के खाल्हेपारा में रहने वाले अशोक वर्मा बताते है कि बंदरो के उत्पाद के कारण उनके मकान की छत कमजोर हो गई है। छत को गिरने से बचाने के लिए उन्होंने लकड़ी की बल्लियों का सहारा लिया है। उनकी बेटी ओमकुमारी वर्मा बताती है कि पानी गिरने पर घर की छत टपकने लगती है और घर में पानी भरने लगता है। जिससे उनकी पढ़ाई में भी दिक्कतें आती थी।  साथ ही मेहमानों के आने पर उन्हें भी समस्याओं का सामना करना पड़ता था जिसके कारण वह नहीं रुक पाते थे। वह कहती है कि अब पक्का मकान बन जाने से घर में पानी भर जाने और सीलन की समस्या नहीं होगी और मेहमान भी उनके घर आराम से रुक सकेंगे। इसी तरह गांव के अन्य हितग्राही बताते है कि छत कमजोर हो जाने के कारण उन्होंने खपरे की जगह टीने का शीट लगवाया है। पर बंदरों के उछलकूद के कारण इस शीट से बहुत आवाज आती है जिससे उनको परेशानी होती है। पक्का मकान बन जाने से अब उन्हें इस समस्या से राहत मिलेंगी और इसके लिए वह मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करते है।