झारखंड में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को नौकरी देने से जुड़ा खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक राजभवन ने एक बार फिर लौटा दिया है। इससे पहले पूर्व राज्यपाल ने इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार को लौटा दिया था। अब दूसरी बार इस विधेयक के राजभवन से लौटने को प्रदेश सरकार के लिए लगे झटके की तरह देखा जा रहा है।
02 Dec 2023
रांची : झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश के राजभवन की ओर से खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को एक बार फिर लौटा दिया गया है। सरकार यह विधेयक स्थानीय लोगों को कई तरह के लाभ देने के उद्देश्य से लाई थी। जानकारी के अनुसार, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति संबंधित विधेयक ‘झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिणामी सामाजिक, सामाजिक सांस्कृतिक और अन्य लाभों का विस्तार करने के लिए विधेयक-2022 को एक बार फिर से राज्य सरकार को लौटा दिया है।
अटॉर्नी जनरल से सलाह के बाद लौटाया
राज्यपाल ने अटॉर्नी जनरल से परामर्श लेने के बाद इसका हवाला देते हुए राज्य सरकार को इस विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। अटॉर्नी जनरल ने अपने सुझाव में कहा था कि विधेयक में स्थानीय व्यक्ति शब्द की परिभाषा लोगों की आकांक्षाओं के अनुकूल है।
यह स्थानीय परिस्थितियों के लोकाचार और संस्कृति के साथ फिट बैठती है, लेकिन लगता है कि विधेयक की धारा संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 (2) का उल्लंघन कर सकती है। हालांकि, पैरा 24 में मेरी राय पर अमल कर इसे बचाया जा सकता है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस विधेयक के मुताबिक राज्य सरकार की थर्ड व फोर्थ ग्रेड की नौकरियां केवल स्थानीय व्यक्तियों के लिए आरक्षित होंगी।
नौकरियों को लेकर फंसा है पेच
स्थानीय के अलावा उन लोगों की नियुक्तियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। अटॉर्नी जनरल ने अपनी राय व्यक्त की है कि थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों के लिए आवेदन करने से अन्य लोगों को वंचित नहीं किया जा सकता। इसके बजाय सुरक्षित तरीका यह है कि सभी चीजों में स्थानीय व्यक्तियों को सामान प्राथमिकता दी जाए। हालांकि, फोर्थ ग्रेड के लिए स्थानीय व्यक्ति पर विचार किया जा सकता है। इधर, राज्यपाल ने कहा है कि राज्य सरकार चाहे तो स्थानीय के लिए तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पद पांच वर्ष के लिए आरक्षित कर सकती है। बता दें कि पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने भी इस विधेयक को संविधान सम्मत नहीं होने का हवाला देते हुए लौटा दिया था।
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