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अहोई अष्टमी
– फोटो : self
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अहोई अष्टमी व्रत पर इस बार रवि पुष्य योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग का विशेष महत्व बताया गया है। इस योग में किए गए प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। अहोई पर इस बार रविपुष्य योग के अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बनने से बच्चों को आरोग्यता का वरदान और दीर्घायु का लाभ मिलेगा।
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ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि नारदपुराण के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कर्काष्टमी व्रत का विधान है। इसी व्रत को अहोई अष्टमी का व्रत कहा जाता है। अहोई का शाब्दिक अर्थ है-अनहोनी को होनी में बदलने वाली माता से है। सृष्टि में अनहोनी या दुर्भाग्य को टालने वाली आदिशक्ति देवी पार्वती हैं। इस दिन माता पार्वती की पूजा अहोई माता के रूप में की जाती है।
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