Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial :- 2019 लोकसभा चुनाव मोदी VS सब , राहुल VS सब

नेहरूगांधी डायनेस्टी को भारत की सत्ता पर काबिज कराते रहने में मुख्य भूमिका वामपथी दलों की रही है।
अभी कुछ महीने से शरद पवार चाणक्य बने हुए थे राहुल गांधी के।
बैंग्लोर में कुमार स्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय जो विपक्षी दलों का जमावड़ा इक_ हुआ था उससे मीडिया के एक विशेष वर्ग ने यह वातावरण बनाया था कि २०१९ का लोकसभा चुनाव मोदी ङ्कह्य सब होगा, महागठबंधन बनेगा नरेन्द्र मोदी के विरूद्ध।
परंतु अब वामपंथी दलों के प्रमुख नेता सीताराम येचुरी ने दो दिन पूर्व स्पष्ट रूप से कह दिया है कि अगले साल २०१९ के लोकसभा चुनाव के पूर्व महागठबंधन संभव नहीं है। अर्थात मोदी ङ्कह्य सब की संभावना नही है।
सीताराम येचुरी वाम मोर्चा के मुख्य घटक सीपीआई (एम) के महासचिव हैं। वामपंथ ने यूपीए सरकार के पहले हिस्से में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ङ्खढ्ढह्रहृ को एक साक्षात्कार में , येचुरी ने कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि अगले साल के आम चुनावों से पहले भव्य गठबंधन का विचार संभव नहीं है और परिणाम समाप्त हो जाने के बाद बेहतर विकल्प उभर जाएगा। उन्होंने विदेश नीति और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुद्दे पर भी बात करते हुए उन्होंने कहा कि ममता बैनर्जी से वामपंथी दलों का समझौता लोकसभा चुनाव के पहले संभव है और बाद में।
मोदी ङ्कह्य सब अब बदल चुका है राहुल ङ्कह्य सब में।
राहुल गांधी सेम पित्रोदा और  शशि थरूर की अंगुली पकड़कर अमेरिका पहुच गये थे और वहॉ उन्होंने यह घोषणा की थी कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय भी उन्होंने यही घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद अब वातावरण हैमोदी ङ्कह्य सब अब बदल चुका है राहुल ङ्कह्य सब में।
19 दलों के गठबंधन में प्रधानमंत्री पद के 11 उम्मीदवार टकटकी लगाये एकदूसरे की पीठ में छुरा घोंपने के लिये अवसर की तलाश में हैं।
इनमें प्रमुख हैं शरद पवार, ममता बैनर्जी, देवगौड़ा, मायावती, केजरीवाल, चंद्रबाबू नायडू, चंद्रशेखर राव, अखिलेश यादव और इन सबसे अधिक लालायित हैं राहुल गांधी।
2019 में विपक्ष के पास चुनाव प्रचार का कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं है
2019 में चुनाव प्रचार के हिसाब से देखें तो एक छोर पर बीजेपी का डिजिटल विंग सबसे एडवांस स्टेज में है, तो दूसरी छोर पर बीएसपी नजर आती है. ये बिखरे विपक्ष की त्रासदी ही है कि अब तक उसका कोई एजेंडा ऑफ पब्लिसिटी नहीं है.
लोकसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा या महागठबंधन व्यवहारिक नहींÓÓज्एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब महागठबंधन बनाने और तीसरे मोर्चे की कवायद को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं।
हाल में ही जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने तीसरे मोर्चे बनाने पर जोर दिया है। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और तेलंगाना राष्ट्र समिति प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने मुलाकात कर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू की थी।
दरअसल कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बीच खींचतान को लेकर पूर्व पीएम और जेडीएस प्रमुख एच डी देवगौड़ा ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय पार्टियों को हल्के में ना ले।
उन्होंने कहा था कि छह विपक्षी पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे जो निश्चित तौर पर विपक्ष की एकजुटता को दर्शाता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सभी एकजुट होकर चुनाव लड़ें।
जाहिर है प्रस्तावित महागठबंधन या तीसरे मोर्चे के इन दोनों नेताओं के इनकार के बाद विपक्षी एकता के मंसूबे चकनाचूर होते दिख रहे हैं। यह भी साफ है कि कांग्रेस की स्थिति अब ऐसी नहीं है कि वह सभी राज्यों में भाजपा से मुकाबला कर सके। शरद पवार के बयान के बाद सोशल मीडिया में भी इस पर ढेर सारी प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं।