Gwalior में बीमारी से नहीं बीमार से लड़ रहे जिम्मेदार, घर का दूध-सब्जी तक बंद कराया – Lok Shakti

Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Gwalior में बीमारी से नहीं बीमार से लड़ रहे जिम्मेदार, घर का दूध-सब्जी तक बंद कराया

होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना मरीजों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार हो रहा है। घर के बाहर बैरिकेडिंग करके पुलिस के जवान तैनात कर दिए गए हैं। वह घर में रहने वाले परिवार के अन्य सदस्यों को भी दहलीज के बाहर पैर नहीं निकालने दे रहे हैं। यहां तक की रोजमर्रा का सामान भी घर में पहुंचना बंद हो गया है। पुलिस का यह रवैया देख अब कॉलोनी के अन्य लोग भी परिवार के सदस्यों से दूरियां बनाने लगे हैं। लोग यह तक धमकी दे रहे हैं कि यदि पॉजिटिव मरीज के घर सब्जी दी तो हम नहीं खरीदेंगे।

केस-1 : मुरार निवासी एक मरीज को होम आइसोलेट किया गया है। मंगलवार की सुबह जब बड़े भाई ने काम पर जाने का प्रयास किया तो बाहर तैनात पुलिस के जवानों ने अभद्र व्यवहार करते हुए रोक दिया। फिर दूध वाला जब पहुंचा तो उससे कहा कि कल से वह दूध देने नहीं आए, वर्ना एक्शन लिया जाएगा। सब्जी का ठेला तक नहीं गुजरने दिया जा रहा है। मरीज का कहना है कि परिवार में अन्य सदस्य स्वस्थ्य हैं। यदि सब्जी, दूध नहीं आएगा तो लोग खाएंगे क्या। हमारे यहां सुबह से चाय तक नहीं बनी है।

केस-2 : हैदरगंज निवासी युवक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। होम आइसोलेशन किया गया था। युवक ने बताया कि पुलिस वालों ने बैरिकेडिंग करके सब्जी, दूध तक बंद कर दिया। परिवार के सदस्य घर में ही बंदी बनकर रह गए थे। पुलिस जवानों का रवैया देख कॉलोनी के कुछ लोगों ने भी लोगों को धमकाना शुरू कर दिया कि यदि पॉजिटिव मरीज के यहां जाओगे तो हम सामान नहीं खरीदेंगे। मेरे दोस्त चुपचाप मुझे दूध एवं सब्जी पहुंचाते थे। बिना लक्षण वाले मरीजों को प्रशासन-स्वास्थ्य विभाग होम आइसोलेट कर रहा है। इसमें संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रहना होता है। घर से बाहर निकलना तो दूर वह परिवार के संपर्क में भी नहीं आ सकता है। जिससे की परिवार के अन्य सदस्य अपना रोजमर्रा का कामकाज बेरोकटोक कर सकें। खबर है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले व्यक्ति के घर के बाहर अब पुलिस के जवान तैनात किए जा रहे हैं। यह जवान बैरिकेडिंग करके घर को पूरी तरह पैक कर देते हैं। जिससे मकान में बाहर से कोई आ नहीं सकता और अंदर से कोई बाहर जा नहीं सकता है। परिवार के जो अन्य सदस्य पूरी तरह स्वस्थ्य हैं, वह बेमतलब में कैदी के समान जीवन गुजारने के लिए मजबूर हो गए दूध, सब्जी तक बंद : होम आइसोलेट मरीज के यहां दूध सब्जी वालों को भी नहीं आने दिया जा रहा है। यदि कोई आता भी है तो पुलिस के जवान उसे भगा देते हैं। रोजमर्रा की जरूरत का सामान नहीं मिलने से मरीज को पौष्टिक आहार तक नहीं मिल पा रहा है। जबकि कोरोना मरीज के लिए बेहतर डाइट बहुत जरूरी है। बच्चे दूध नहीं मिलने से भूख के कारण रो रहे हैं। लोगों का कहना है कि हम बीमार हुए हैं, लेकिन पुलिस के रवैये से ऐसा लग रहा है कि हमने कोई गुनाह कर दिया है। हमें घर में ही बंद बना दिया गया है।

मोहल्ले-कॉलोनी वालों की भी नजरें बदली : पुलिस की इस सख्ती को देख मोहल्ले एवं कॉलोनी वालों का भी रवैया बदल गया है। अब लोग सब्जी एवं दूध वालों को हिदायत दे रहे हैं कि यदि वह पॉजिटिव मरीज के यहां सब्जी या दूध देंगे तो वह उनसे सामान नहीं खरीदेंगे। इसलिए लोगों ने अब मरीजों के घर पर सब्जी, दूध देने जाना ही बंद कर दिया है।

नहीं मान रहे निगेटिव : होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज को क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद भी परेशानी झेलना पड़ती है। क्योंकि मरीज अस्पताल नहीं जाता तो लोग मानते ही नहीं है कि वह स्वस्थ्य हो चुका है। अधिकारियों से दूसरी बार रिपोर्ट कराने को लेकर कई मरीजों की बहस भी हो चुकी है। लोगों का कहना होता है कि जब पॉजिटिव आई तो हमें भर्ती किया, अब डिस्चार्ज कर रहे हो तो दूसरी बार जांच होना चाहिए।

सप्लाई चेन को लेकर प्रॉपर ट्रैनिंग भी दी गई थी। इसके बाद भी यदि ऐसा हो रहा है तो गलत है। बुधवार को सुरक्षा में लगे जवानों के इंचार्जों से इस संबंध में जानकारी ली जाएगी।