झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 की तैयारी हुई पूरी
9 और 10 अगस्त को बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान (जेल पार्क) में आयोजन
शिबू सोरेन उदघाटन और सीएम हेमंत समापन समारोह के होंगे मुख्य अतिथि
झारखंड की परंपराओं, संघर्षों और इतिहास जानने का अवसर देगा फिल्म फेस्टिवल, उभरते युवा फिल्म निर्माताओं को महोत्सव के जरिए मिलेगा मंच
Ranchi : राजधानी में 9 और 10 अगस्त को भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान (जेल पार्क) में आदिवासी महोत्सव 2023 का आयोजन किया जा रहा है. साल 2019 के बाद लगातार ये दूसरा मौका है, जब झारखंड में आदिवासी महोत्सव का आयोजन हो रहा है. इसके लिए जेल पार्क में विशेष इंतजाम किए गए हैं. महोत्सव की तैयारी पूरी हो चुकी है. इस महोत्सव में आदिवासी कला-संस्कृति, नृत्य-संगीत, फैशन शो, आदिवासी व्यंजन सभी का लुत्फ एक परिसर में उठा सकते हैं. कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली गयी है. कार्यक्रम में आदिवासी इतिहास, साहित्य, मानवशास्त्र पर संगोष्ठी, पैनल चर्चा, परिधान फैशन शो, आदिवासी व्यंजन, सांस्कृति कार्यक्रम, कला, संगीत एवं शिल्प प्रदर्शनी, राष्ट्रीय आदिवासी चित्रकला शिविर तथा आदिवासी फिल्म महोत्सव का आयोजन होगा. उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व सीएम एवं राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष शिबू सोरेन होंगे, जबकि समापन समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे. उदघाटन समारोह की अध्यक्षता सीएम करेंगे. कार्यक्रम में सभी मंत्रीगण, सांसद, विधायक व अन्य गणमान्य लोग शामिल रहेंगे. समापन समरोह में राज्य के तमाम मंत्री विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिस्सा लेंगे.
झारखंड के संघर्ष और इतिहास की झलक मिलेगी फिल्म फेस्टिवल में
महोत्सव में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन होगा, जिसमें अनूठी कहानियों, परंपराओं, संघर्षों, दर्शन और इतिहास को करीब से जानने और समझने का अवसर प्राप्त होगा. जनजातीय फिल्म महोत्सव का उद्देश्य झारखंड के फिल्म निर्माताओं, कलाकारों की प्रतिभा को प्रदर्शित करना और आदिवासी समुदायों को एक साथ एक मंच पर लाकर झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है. साथ ही आदिवासी समुदाय के ज्वलंत मुद्दे और कथाएं सिनेमा के माध्यम से उजागर हो सकेंगी.
राज्य की प्रतिभाएं अपने टैलेंट का कर सकते हैं प्रदर्शन
आदिवासी फिल्म महोत्सव राज्य की प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने का एक अवसर है, जिन्हें ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया है. इस अवसर पर आदिवासी फिल्मों की स्क्रीनिंग से मुख्यधारा के सिनेमा में संवाद के लिए जगह बनेगी और ऐसे जरूरी विषयों पर फिल्में बनाने के महत्व को समझने का अवसर मिलेगा. युवा फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलेगा. कार्यक्रम झारखंड के उभरते फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए मंच भी तैयार करेगा.
इन फिल्मों का होगा प्रदर्शन
फिल्म महोत्सव में निर्माता दशरथ हांसदा द्वारा निर्मित फूलमुनी, दीपक बारा की द अग्ली साइड ऑफ ब्यूटी, दीपक के बेसरा की मोहोत, निजाम की छैला संधु, मेघनाथ की नाची से बांची, बिजु टोप्पो की मुंडारी सृष्टिकथा, अनुज वर्मा की चेरो, एनपीके पुरुषोत्तम की बंधा खेत, प्रियंका पूर्ति की हॉनर्टन रिमिल, रूपेश साहू की रैट ट्रैप इत्यादि जनजातीय फिल्मों के माध्यम से झारखंड की परंपराओं, संघर्षों और इतिहास जानने का अवसर प्राप्त होगा.
देश दुनिया की आदिवासी संस्कृति की झलक मिलेगी
दो दिवसीय इस महोत्सव में देश-दुनिया की समृद्ध आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. कार्यक्रम में जनजातीय इतिहास, साहित्य, मानवशास्त्र आदि पर संगोष्ठी, कला एवं संगीत, परिधान, आदिवासी व्यंजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, फैशन शो आयोजित किए जाएंगे. दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम में आदिवासी साहित्य सेमिनार का आयोजन होगा. साहित्य, आदिवासी सांस्कृतिक एवं इतिहास पर बात होगी.
सेमिनार में शामिल होंगे प्रमुख साहित्यकार
राष्ट्रीय सेमिनार में जनजातीय अर्थव्यवस्था, आदिवासी साहित्य, जनजातीय ज्ञान, मानवविज्ञान के अतीत और भविष्य आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी. एक राष्ट्र के आर्थिक विकास में जितना महत्वपूर्ण योगदान शहरी अर्थव्यवस्था का होता है, उतना ही जनजातीय अर्थव्यवस्था का भी होता है. इस सेमिनार में आर्थिक व्यवस्था के दोहरे उद्देश्यों पर विशेष चर्चा की जाएगी.
सेमिनार में ये वक्ता होंगे शामिल
सेमिनार में देश एवं राज्य के कई वक्ता शामिल होंगे. जिसमें डॉ. सीपी चंद्रशेखर,डॉ. जयति घोष, डॉ. अमित भादुरी, डॉ. प्रवीण झा, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. ज्यां द्रेज, डॉ. बेला भाटिया, डॉ. रमेश शरण, डॉ. जया मेहता और पी. साईनाथ आदि अपनी बात रखेंगे. ये आदिवासी जीवन और उसके मूल्यों को समझने के लिए मानवविज्ञान से जुड़ा अतीत और भविष्य से जुड़े विषयों पर विचार रखेंगे. प्रो. टी. कट्टीमनी, प्रो. एस एम पटनायक, प्रो. सत्यनारायण मुंडा, प्रो. विजय एस सहाय, प्रो. एमसी. बेहरा, प्रो. पुष्पा मोतियानी, प्रो. सुमहन बंदोपाध्याय, डॉ. नरेश चंद्र साहू, डाॅ. पिनाक तरफदार, डॉ. डैली नेली आदिवासी जीवन, रहन-सहन, परंपराओं एवं सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्थाओं पर आधारित साहित्य के विषय पर विचार रखेंगे. जनजातीय समूह के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के सकारात्मक परिणामों पर भी विचार विमर्श किया जायेगा. जिसमें ममांग दाई, प्रो (सेवानिवृत्त) मृदुला मुखर्जी, प्रो. (सेवानिवृत्त) आदित्य मुखर्जी, डॉ. राकेश बताब्याल, प्रो. महालक्ष्मी रामाकृष्णन, प्रो. वी सेल्वाकुमार, डॉ स्नेहा गांगुली, डॉ. किशोर लाल चंदेल, डॉ देव कुमार झा, प्रो. रोमा चटर्जी आदि विचार रखेंगे.
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