नगर विकास विभाग : 22 साल बाद 63 कार्यपालक पदाधिकारी और 15 लेखा पदाधिकारी को मिली नौकरी
हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं, कहते हैं- अब तो खुद को अफसर बताने में लाज आती है
राशन दुकानदार भी उतार रहे हमारी इज्जत, कह रहे-पहले का उधार चुकाओ, तभी नया उधार मिलेगा
Tarun Kumar Choubey
Ranchi : झारखंड बनने के 22 साल बाद पहली बार नगर विकास एवं आवास विभाग में 78 पदाधिकारियों की स्थायी नियुक्ति हुई है. इनमें 63 कार्यपालक पदाधिकारी और 15 लेखा पदाधिकारी शामिल हैं. नियुक्ति पत्र मिला तो खुश हुए. खुशी-खुशी प्रशिक्षण पूरा किया. काम सीखा, तो उम्मीद जगी कि जिम्मेवारी मिलेगी, पोस्टिंग होगी, नियमित वेतन मिलेगा. लेकिन अफसोस… 6 महीने इंतजार करने के बाद भी न जिम्मेवारी मिली और न वेतन मिला. क्या अधिकार है, क्या काम करना है, कुछ भी क्लीयर नहीं है. वेतन मिल ही नहीं रहा, तो आर्थिक तंगी भी झेल रहे हैं. उधार पर जिंदगी की नैया पार लगा रहे हैं. उनकी पीड़ा है, दर्द है कि अफसर बन कर भी भिखारी बने बैठे हैं. रिश्तेदारों-नातेदारों (माता-पिता, सास-ससुर, भाई-भौजाई) से उधार लेकर काम चला रहे हैं. जिनके घर में कोई कमासुत नहीं, वे दुकानदारों को भरोसे में लेकर उधार देने के लिए राजी किए हुए हैं. कहते हैं- किसी को कुछ बताने में लाज लगता है. लेकिन करें तो करें क्या. छह महीने बाद भी न नियमावली बनी है और न जिम्मेवारी तय हुई है.
एटीआई में प्रारंभिक प्रशिक्षण, फिर अलग-अलग नगर निकायों में ट्रेनिंग के लिए भेजे गये
63 कार्यपालक पदाधिकारियों को यह भी नहीं पता कि करना क्या है. न पोस्टिंग, न वेतन. एटीआई में प्रारंभिक प्रशिक्षण मिला, फिर ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग नगर निकायों में भेज तो दिए गए, लेकिन वहां भी कुर्सी तोड़ रहे हैं. 15 लेखा पदाधिकारियों की तो नगर निकायों में पोस्टिंग तो कर दी गई, लेकिन अधिकार क्या है, काम क्या है, कुछ नहीं जानते. बस नगर निकायों में हाजिरी बनाते हैं, बैठते हैं, टाइम पास कर घर चले जाते हैं. कहते हैं- आखिर कैसे चलेगा. भूखे पेट कैसे काम करेंगे. न कोई सुनता है, न कोई कुछ बताता है. कहते हैं- विभाग के ऊपर के अफसरों से मिल चुके हैं. सभी आश्वासन की घुट्टी पिला कर टरका देते हैं. कहते हैं- बिना काम के खुद को अफसर बताने में लाज आती है. अब तो राशन दुकानदार भी चेता रहे हैं, कह रहे हैं- पहले का उधार चुकाओ, तभी नया उधार मिलेगा. क्या करें, कहां जाएं. अब तो लगता है कि हाईकोर्ट ही जाना पड़ेगा.
पेंशन, पीएफ, भत्ता सहित सेवा शर्त अस्पष्ट
नवनियुक्त अफसर पेंशन, पीएफ, भत्ता समेत अन्य सेवा शर्तें अस्पष्ट होने के कारण परेशान हैं. अब इन पदाधिकारियों ने तय किया है कि 7 से 11 जुलाई तक वे अलग-अलग ग्रुप में हर दिन सचिवालय जाएंगे और अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्याएं दूर करने की गुहार लगाएंगे.
ट्रेनिंग मिली, फिर भी न पद मिला और न जिम्मेदारी, वेतन भी नहीं
कार्यपालक पदाधिकारियों ने एक साल तक रांची के एटीआई में ट्रेनिंग ली. उसके बाद विभाग उनसे सेवा तो ले रहा है, लेकिन अब तक उन्हें पद नहीं मिला है. प्रशिक्षु के तौर पर ही काम कर रहे हैं. 6 महीने से उन्हें सैलरी भी नहीं मिली है. वहीं लेखा पदाधिकारियों ने 17 अप्रैल से 9 जून तक एटीआई में ट्रेनिंग पूरी की. अलग-अलग निकायों में ट्रेनिंग के लिए भेज दिए गए, लेकिन उन्हें अबतक न काम मिला है, न जिम्मेवारी तय हुई है. ऑफिस में उनके बैठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है. इन्हें भी 6 महीने से सैलरी नहीं मिली है. कई निकायों में कुछ को काम तो दिया गया, लेकिन फाइल उनके अनुमोदन के बिना ही आगे बढ़ रही है, क्योंकि उनके काम पर विभाग को भरोसा ही नहीं.
नगर निवेशन सेवा नियामवली-2014 के अनुरूप नियमावली बनायी जाए
नवनियुक्त पदाधिकारियों का कहना है कि अबतक उनके पद के लिए सर्विस रूल और सेवा नियमावली नहीं बन पाई है. चूंकि वेतन मिल ही नहीं रहा, इसलिए जीपीएफ नंबर भी नहीं मिला है. कार्यपालक पदाधिकारियों ने दो बार विभागीय सचिव से मुलाकात की. आश्वासन मिला, एक महीना धीरज धरिए, समस्याओं का हल निकलेगा, लेकिन 6 माह बाद भी समस्याएं दूर नहीं हुईं हैं. नवनियुक्त पदाधिकारियों का कहना है कि झारखंड नगरपालिका सेवा संवर्ग नियामावली-2014 में त्रुटि के कारण यह स्थिति पैदा हुई है. उन्होंने मांग की है कि उनकी सेवा नियमावली को नगर निवेशन सेवा नियामवली-2014 के अनुरूप ही बनायी जाए.
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