चंद्रयान- 3 के लांचिंग का झारखंड कनेक्शन – Lok Shakti
November 1, 2024

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चंद्रयान- 3 के लांचिंग का झारखंड कनेक्शन

एचईसी निर्मित लॉच पैड से चंद्रयान- 3 का प्रक्षेपण किया गया
इसकी इंजीनियरिंग डिजाइनिंग मेकॉन ने किया है
Subham Kishor

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार की दोपहर 2.35 बजे 140 करोड़ भारतीयों के हौसलों से खड़ा हुआ भारत का रॉकेट एलवीएम3-एम4 चंद्रयान-3 को लेकर रवाना हुआ. 642 टन वजनी, 43.5 मीटर ऊंचे रॉकेट को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी में डाला गया. अगले 42 दिनों में 3.84 लाख किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए यह चंद्रमा तक पहुंच जाएगा. अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है. इस मिशन में चंद्रयान का एक रोवर निकलेगा, जो चांद की सतह पर उतरेगा और लूनर साउथ पोल में इसकी पोजिशनिंग होगी.

भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय- मोदी

चंद्रयान-3 के लांच पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा- चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा. यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है. यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं.

हमारा मिशन पूरा नहीं हुआ है-  सोमनाथ

इसरो चेयरमैन सोमनाथ का पहला शब्द था.. बधाई हो भारत. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 ने चांद की अपनी यात्रा शुरू कर दी है. चंद्रयान-3 को शुभकामनाएं दें कि आने वाले दिनों में वो चांद पर पहुंचे. एएलवीएम3-एम4 रॉकेट ने चंद्रयान- 3 को सटीक कक्षा में पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि अभी हमारा मिशन पूरा नहीं हुआ है.

एचईसी निर्मित लॉच पैड से प्रक्षेपण किया गया

चंद्रयान- 3 के लांचिंग का झारखंड कनेक्शन रहा है. रांची में स्थित एचईसी द्वारा निर्मित लॉच पैड से चंद्रयान- 3 का प्रक्षेपण किया गया. इसकी इंजीनियरिंग डिजाइन मेकॉन द्वारा किया गया है. 2008 के दौरान पूर्व राष्ट्रपति स्व एपीजे अब्दुल कलाम ने एचईसी की कार्यक्षमता और तकनीकी कुशलता को देखते हुए उसे मोबाइल लांचिंग पैड बनाने के कार्य सौंपा था. उनके सार्थक प्रयास और मार्गदर्शन में एचईसी ने मोबाइल लांचिंग पैड, एफसीवीआरएस, हॉरिजेंटल स्लाइडिंग डोर (एचआरडी), मोबाइल लांचिंग पेडस्टल और हैमर हेड टावर क्रेन का सफलता पूर्वक एवं नियत समय में निर्माण किया और देश को समर्पित किया था.

मेकॉन का योगदान

मेकॉन को विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष उपग्रहों को लांच करने के लिए श्रीहरिकोटा में दूसरे लांच पैड के डिजाइन, इंजीनियरिंग, आपूर्ति, निर्माण और कमीशनिंग के लिए इसरो- एसडीएससी, एसएचएआर द्वारा सौंपा गया था. मेकॉन ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को संभाला और इसरो अधिकारियों की पूर्ण संतुष्टि के साथ परियोजना को पूरा किया. भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 4 मई 2005 को अत्याधुनिक दूसरे लांच पैड का उद्घाटन किया था, जो इंजीनियरिंग उत्कृष्टता का प्रतीक है. श्रीहरिकोटा में दूसरे लांच पैड को राष्ट्र को समर्पित किया गया था. इससे उपग्रहों को 5 मई, 2005 को लांच किया गया था. चंद्रयान -2 का नवीनतम प्रक्षेपण 22 जुलाई, 2019 को दूसरे लांच पैड से किया गया था, जिसने भारतीय अंतरिक्ष मिशन के इतिहास में कई कीर्तिमान जोड़े. दूसरा लांच पैड वर्तमान और भविष्य के भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई नवीनतम सुविधाओं का कंबाइंड सिस्टम है.

वाहन असेंबली बिल्डिंग (वीएबी)

लांच पैड पर भीएबी 82 मीटर लंबा, 40 मीटर लंबा और 32 मीटर चौड़ा है. इसके निर्माण में लगभग 12,000 टन सीमेंट और 15,000 टन स्टील लगा है. नींव पृथ्वी की गहराई में 45 मीटर तक जाती है. यह 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आने वाले तूफान का सामना कर सकता है.

मोबाइल लांच पेडस्टल (एमएलपी)

एमएलपी का उपयोग असेंबल किए गए वाहन को वीएबी से यूटी तक ले जाने के लिए किया जाता है. एमएलपी में 16 विशाल पहिये हैं. प्रत्येक 1.2 मीटर व्यास वाला डीजल-जनरेटर सेट द्वारा संचालित है. रेल की पटरियां इतनी मजबूत हैं कि वे 2000 टन पेडस्टल और 1000 टन रॉकेट का भार झेल सकती हैं.

अम्बिलिकल टावर (यूटी)

यूटी एक विशाल इस्पात संरचना है, जिसकी ऊंचाई 72 मीटर है. इसमें वाहन के प्रक्षेपण से पहले निरीक्षण और आवश्यक कनेक्शन के लिए वाहन तक पहुंचने के लिए विभिन्न स्तरों पर 22 मंजिलें हैं.

एचईसी ने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया- अमित मिश्रा

इस बीच शुक्रवार को एचईसी ऑफिसर्स एसोसिएशन ने केक काटकर खुशियां मनाई और चंद्रयान- 3 के लांच के साथ एचईसी की उन्नति के साथ ही सफल प्रक्षेपण के लिए कामना की. अमित मिश्रा ने कहा कि एचईसी ने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया है. एचईसी ने मोबाइल लांचिंग पैड, हॉरिजॉन्टल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म, 10 टी हैमर हेड टॉवर क्रेन बनाया है, जो गर्व की बात है. रौशन कुमार ने कहा कि झारखंडवासियों ने एचईसी, मेकॉन और सेल के माध्यम से देश को अभूतपूर्व योगदान दिया है, जो बहुत ही खुशी कि बात है. सुभाष चंद्रा ने कहा कि पूरे विश्व कि निगाह चंद्रयान- 3 पर टिकी है, क्योंकि इसकी लैंडिंग चंद्रमा के साउथ पोल पर करने की तैयारी है. एचईसी के सहयोग से इसरो द्वारा इसे लांच किया गया है.

इसरो के चंद्रयान मिशन
15 अगस्त 2003 : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की.
22 अक्टूबर 2008 : चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी.
आठ नवंबर 2008 : चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया.
14 नवंबर 2008 : चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया, लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि की.
28 अगस्त 2009 : इसरो के अनुसार, चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति हुई
22 जुलाई 2019 : श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया.
20 अगस्त 2019 : चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया.
दो सितंबर 2019 : चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था, लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया.
14 जुलाई 2023 : चंद्रयान-3 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरा
23/24 अगस्त 2023 : इसरो के वैज्ञानिकों ने 23-24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना बनायी है.

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