गैर भाजपाई सरकारों को एफसीआई राशन नहीं देगा, तो गरीबों का क्या होगा : हेमंत – Lagatar – Lok Shakti
November 1, 2024

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गैर भाजपाई सरकारों को एफसीआई राशन नहीं देगा, तो गरीबों का क्या होगा : हेमंत – Lagatar

एम्स का दर्जा मिलने के इतने साल भी बाद रिम्स ओपीडी से ऊपर नहीं उठ पाया, यह चिंता का विषय

Ranchi : नीति आयोग की बैठक बुधवार को प्रोजेक्ट भवन में हुई. बैठक में कोयला मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय और महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई. बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी बात प्रमुखता से रखी. एफसीआई गैर भाजपा सरकारों को अनाज नहीं दे रही है. यह राशन गरीबों के लिए है. उन्होंने कोयला मंत्रालय से जुड़े मामलों में कोल कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा और कोयले पर राज्य सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी से जुड़े मुद्दे को विशेष रूप से रखा. कहा कि विभिन्न कोयला कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर लगभग 80 हजार करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाना है. लेकिन मात्र 2532 करोड़ रुपए राज्य सरकार और रैयतों को दिया गया है. कहा कि कोल कंपनियां जो भी जमीन अधिग्रहित करती हैं, उसका मुआवजा मिलना चाहिए, भले ही उस पर खनन कार्य शुरू नहीं हुआ हो. इस मुद्दे पर कोयला मंत्रालय की ओर से पक्ष रखा गया. नीति आयोग के सहयोग से यह सहमति बनी कि कोल कंपनियां कितनी जमीन अधिग्रहित कर चुकी है और कितना मुआवजा वितरित किया गया है, इसकी पूरी रिपोर्ट जल्द देगी. मुख्यमंत्री ने कोयला पर मिलने वाली रॉयल्टी बढ़ाने की मांग रखी और कहा कि राज्य सरकार को ज्यादा से ज्यादा कोल रॉयल्टी मिलनी चाहिए.

एफसीआई राशन नहीं देगा तो कैसे काम चलेगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी एक नयी परंपरा शुरू हुई है. एफसीआई गैर भाजपा सरकारों को अनाज नहीं दे रही है. यह राशन गरीबों के लिए है. अगर हमें राशन नहीं मिलेगा, तो हम क्या करेंगे. हमने झारखंड में 20 लाख हरा कार्ड बनवा कर कार्डधारियों की संख्या बढ़ाई. छूटे हुए गरीबों को जोड़ा. मगर राशन नहीं मिलने के कारण ऊंचे दाम पर हमें मार्केट से राशन खरीदकर देना पड़ रहा है. इस तरह का भेदभाव खत्म होना चाहिए. केंद्र सरकार को पता है कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है. यहां गरीब और मजदूर तबके लोग अधिक रहते हैं.

मेडिकल कॉलेज खोलने की स्वायत्तता राज्य सरकार को मिले

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों में मेडिकल कॉलेज या जिलों में अस्पताल का निर्माण कहां हो, इसकी स्वायत्तता राज्य सरकार को मिलनी चाहिए. क्योंकि केंद्र सरकार भवन तो बना देती है. वाहवाही लूटने और ठेका-टेंडर के लिए निर्माणाधीन भवन का उद्घाटन भी कर दिया जाता है. मगर बाद में उसका क्या हाल होता है, इसे कोई देखने वाला नहीं है. आज ग्रामीण क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति क्या है. यह किसी से छिपी नहीं है. डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र में जाना नहीं चाहते हैं. रिम्स को एम्स का दर्जा मिलने का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि एम्स का दर्जा मिलने के इतने साल बाद भी यह अस्पताल ओपीडी से ऊपर नहीं उठा सका है.

स्टेट मिशन सपोर्ट के तहत काम करना होगा राज्यों को : डॉ पाल

नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद कुमार पॉल ने कहा कि नीति आयोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच सेतु का कार्य करती है. झारखंड विकास के पथ पर तेजी से कैसे आगे बढ़े, इस दिशा में केंद्र से जो भी सहयोग की जरूरत होगी. नीति आयोग उसे पूरा करने की दिशा में पहल करेगा. उन्होंने कहा कि आज की बैठक काफी सार्थक रही है और उसके सार्थक परिणाम आएंगे. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, पशुपालन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन और रागी उत्पादन के फील्ड में बेहतर कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि स्टेट स्पोर्ट मिशन के आधार पर राज्यों को काम करना होगा. राज्यों को भविष्य की दिशा तय करनी होगी. राज्यों को इसके लिए योजना तैयार करनी होगी. देश भर में 500 आकांक्षी प्रखंड चिन्हित किये गये हैं. ये सभी अति पिछड़े प्रखंड हैं. ऐसे प्रखंड में स्वास्थ्य, शिक्षा, समावेशी विकास पर फोकस करना होगा. अगर प्रखंड विकसित होंगे तो देश विकसित होगा.