मोदी ने जवानों को संबोधित करते हुए कवि रामधारी सिंह दिनकर की लिखी कविता पढ़ते हुए कहा- जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल – Lok Shakti

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मोदी ने जवानों को संबोधित करते हुए कवि रामधारी सिंह दिनकर की लिखी कविता पढ़ते हुए कहा- जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गलवान झड़प के 18 दिन के बाद गुरुवार को अचानक लद्दाख पहुंचे। उन्होंने वहां जवानों से मुलाकात की। इस दौरान वे मिलिट्री अस्पताल पहुंचकर घायल जवानों से भी मिले। मोदी ने जवानों को संबोधित करते हुए कवि रामधारी सिंह दिनकर की लिखी कविता पढ़ते हुए कहा-  जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल। पहले से इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन मोदी के लद्दाख पहुंचने की खबर अचानक आई।

प्रधानमंत्री ने कहा- आपका ये हौसला, आपका शौर्य और आपका समर्पण अतुल्यनीय है। आपकी जीवटता भी दुनिया में किसी से भी कम नहीं है। इन कठिन परिस्थितियों में जिस ऊंचाई पर आप भारत की मां की सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चित उस जिसको रोज आप अपने कदमों से नापते हैं।

आपकी इच्छा शक्ति पर्वतों जैसी अटल: मोदी

उन्होंने कहा- आपकी भुजाएं उन चट्टानों जैसी मजबूत हैं जो आपके इर्द गिर्द खड़ी हैं। आपकी इच्छा शक्ति पर्वतों जैसी अटल है। आपके बीच आकर मैं इसे महसूस कर रहा हूं। मुझे ही नहीं पूरे देश को अटूट विश्वास है कि आप जब सरहद पर डटे हैं तो यही बात प्रत्येक देशवासी को देश के लिए दिन रात काम करने के लिए प्रेरित करती है। आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आप लोगों को कारण मजबूत होता है। अभी आपने और आपके साथियों ने जो वीरता दिखाई उनसे पूरी दुनिया में ये संदेश दिया है कि भारत की ताकत क्या है।

मोदी ने कहा- राष्ट्र कवि रंग जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल, कलम आज उनकी जय हो। मैं आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं। आपका अभिनंदन करता हूं। मैं गलवान में शहीद हुए जवानों को भी फिर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इनमें पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण से देश के हर कोने से देश के वीरों ने अपना शौर्य दिखाया। उनके सिंहनाद से धरती अब भी उनका जयकारा कर रही है। आज हर देशवासी का शीश आपके सामने आदरपूर्वक नतमस्तक होकर नमन करता है। आज हर भारतीय की छाती आपकी वीरता और पराक्रम से खुली हुई है। 

हर आक्रमण के बाद भारत और मजबूत होकर उभरा है। राष्ट्र की, दुनिया की, मानवता की प्रगति के लिए शांति और मित्रता हर कोई मानता है। हम ये भी जानते हैं कि कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकता। वीरता ही शांति की शर्त होगी। भारत आज जल-थल-नभ तक अपनी ताकत बढ़ा रहा है तो उसके पीछे का लक्ष्य मानव कल्याण ही है।

विश्व युद्ध हो या विश्व शांति की बात, जब भी जरूरत पड़ी है विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम देखा भी है और महसूस भी किया है। हमने हमेशा मानवता और इंसानियत की रक्षा के लिए काम किया है। आप सभी भारत के इसी लक्ष्य को साबित करने वाले अगवा लीडर हो।

आज विश्व विकासवाद को समर्पित है और विकास की खुली स्पर्धा का स्वागत कर रहा है। राष्ट्र रक्षा से जुड़े किसी लीडर के बारे में सोचता हूं तो मैं सबसे पहले दो माताओं का स्मरण करता हूं। पहली- हम सभी की भारत माता, दूसरी- वे वीर माताएं जिन्होंने आप जैसे योद्धाओं को जन्म दिया है।

इसी कटौती से चलते हुए आपके सम्मान, आपके परिवार के सम्मान और भारत माता की सुरक्षा को देश सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। सेना के लिए आधुनिक हथियार हो या आपने लिए साजो सामान, हम इस पर बहुत ध्यान देते रहे हैं। बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करीब 3 गुना कर दिया गया है। इससे बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट और सीमा पर सड़कें-पुल बनाने का काम भी बहुत तेजी से हुआ है। अब आप तक सामान भी कम समय में पहुंचता है।

सेनाओं में समन्वय के लिए चीफ ऑफ डिफेंस के गठन की बात हो, या वॉर मेमोरियल का या फिर वन-पेंशन वन रैंक की बात हो। हम सेनाओं और सैनिकों को मजबूत कर रहे हैं।

गलवान में जो अदम्य साहस दिखाया वो पराक्रम की पराकाष्ठा है। आपके साथ ही हमारे आईटीबीपी के जवान हों, बीएसएफ के साथी हों, बीआरओ, दूसरे संगठनों के जवान हों, आप सभी अद्भुत काम कर रहे हैं। कंधे से कंधा मिलाकर मां भारती की रक्षा के लिए समर्पित हैं। आप सभी की मेहनत से देश अनेक आपदाओं से एक साथ और पूरी जड़ता से लड़ रहा है। आप सभी से प्रेरणा लेते हुए हम मिलकर हर चुनौती पर विजय प्राप्त करते रहे हैं और करते रहेंगे।

जिस भारत के सपने को लेकर आप सरहद पर देश की रक्षा कर रहे हैं, हम आपके सपनों का भारत बनाएंगे। इसमें 130 करोड़ देशवासी पीछे नहीं रहेंगे। मैं आपको यह विश्वास दिलाने आया हूं। हम आत्मनिर्भर भारत बनाकर ही रहेंगे।