- 01-Jul-2023
भोपाल,01 जुलाई । सरकार की तमाम कोशिशें के बावजूद प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर नहीं हो रही है। प्रदेश में अब भी चार हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टरों के पद खाली हैं। यहां जरूरत के महज 53 फीसदी डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। यानी 47 फीसदी डॉक्टरों की कमी है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 8715 डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि करीब आधे यानी 4592 डॉक्टर की काम कर रहे हैं। इनमें भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की स्थिति ज्यादा खराब है। इधर, प्रदेश में चिकित्सा विशेषज्ञों के 3618 पद हैं। इनमें से 66 फीसदी (2404) पद खाली है। वहीं चिकित्सा अधिकारियों के 5097 पदों में से लगभग 1719 पद खाली हैं। अन्य राज्यों की ओर रुख कर रहे युवा डॉक्टर्स : जेपी अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. एसके सक्सेना के मुताबिक, मप्र में प्रमोशन की स्पष्ट पॉलिसी नहीं है। अन्य राज्यों के मुकाबले दयहां डॉक्टरों का वेतन भी कम है। इन्हीं वजहों से नए डॉक्टर मप्र के शासकीय सेवा देने की बजाय केंद्र, गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में सेवा देना ज्यादा पसंद करते हैं। मेडिसिन और स्त्री रोग विशेषज्ञ की भारी कमी : स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में एमडी मेडिसिन, स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ एनिस्थिसिया विशेषज्ञों की भारी कमी है। 70 फीसदी सरकारी अस्पतालों में एनिस्थिसिया विशेषज्ञ नहीं हैं। अस्पतालों में आने वाले मरीजों में 60 फीसदी मेडिसिन विभाग में ही पहुंचते हैं। ऐसे में कई बार इन मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ता है।
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