- 29-Jun-2023
आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा-रतलाम, 29 जून। परम पूज्य प्रज्ञा निधि युगपुरूष आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने गुरूवार को कहा कि संसार कोयले की, जबकि संयम हीरे की खदान है। हीरा कभी कालापन नहीं देता और कोयला कभी कालेपन से निकलने नहीं देता है।सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में प्रवचन देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि प्रभु कृपा के पात्र बनने के बुराई से बचाव, अच्छाई से लगाव और सच्चाई का आभास होना जरूरी है। बुराई से बचोगे, तभी मस्त रह पाओगे। संयम में मस्ती इसलिए होती है, वहां बुराईयों का कोई स्थान नहीं होता। बुराई जब तक रहती है, तब तक अच्छाई का प्रकाश नहीं मिलता। बुराई जीवन में हमेशा जल्दी आती है, जबकि अच्छाई को वक्त लगता है। इसलिए व्यक्ति जितना बुराई से बचता है, उसमें प्रभु कृपा पाने की पात्रता आती जाती है।आचार्यश्री ने कहा कि सुपात्र बनने पर साधना, सिद्धी मिलते है। संसार में बेटा-बहू की, बेटी-दामाद की और ये शरीर-शमशान की अमानत है। मरने के बाद सबकों शमशान के हवाले होना, इसलिए इस बहुमूल्य जीवन का मोल समझो। कई भवों में भ्रमण के बाद मानव जीवन मिलता है। इसमें सबकों प्रभु कृपा की पात्र बनने का प्रयास करना चाहिए।आरंभ में विद्वान श्री धेर्यमुनिजी मसा ने धर्मोपदेश दिया। उन्होंने समााजनों से तप,त्याग और तपस्या से चातुर्मास की आराधना शुरू करने का आव्हान किया। संचालन दिव्यांशु मूणत नहीं किया। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी शान्त क्रांति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष मोहनलाल पिरोदिया एवं सचिव दिलीप मूणत ने बताया कि रतलाम में आचार्य प्रवर के साथ उपाघ्याय प्रज्ञारत्न विद्वद्ववरेण्य श्री जितेश मुनिजी मसा आदि ठाणा.13 एवं महासतियाजी आदि ठाणा.15 का वर्षावास हो रहा है। आचार्यश्री के प्रवचन 30 जून को नवकार भवन सिलावटों का वास में रखे गए है।
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