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पतंजलि की दवा को ग्रीन सिग्नल, लेकिन इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बिकेगी

कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में कहर मचाया हुआ है। इस वायरस से अब तक 5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी वैक्सीन तैयार करने में दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर भी लगे हुए हैं। इसी बीच योग गुरु रामदेव की पतंजलि संस्थान ने कोरोनिल नामक दवा बनाकर दावा किया था कि ये कोरोना की दवाई है। हालांकि इस पर विवाद की स्थिति बनीं और आयुष मंत्रालय ने इस पर जांच बिठा दी। पर अब मंत्रालय की ओर से पतंजलि को ग्रीन सिग्नल मिल गया है। लेकिन पतंजलि इस दवा को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेच सकेगी।

बता दें कि पतंजलि ने दावा किया था कि उसके द्वारा किए गए कोरोनिल वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में कोरोना वायरस पीड़ित व्यक्ति ठीक हुए हैं। ट्रायल में शत-प्रतिशत नतीजे मिले हैं। संस्थान ने अपने इस दावे के पीछे नतीजों की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। साथ ही दवा का कम्पोजिशन भी प्रस्तुत किया। आयुष मंत्रालय ने इस दवा को कोरोना की दवाई कहकर प्रसार करने पर रोक लगाते हुए इसे जांच में लिया। अब मंत्रालय ने अपनी जांच के बाद दवा की इम्यूनिटी बूस्टर के रुप में ही बिक्री को मंजूरी दी।

पतंजलि ने किया था ये दावा

दरअसल कोरोना संक्रमण के बिगड़ते हालात में जब बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि द्वारा कोरोना की दवा बनाने का दावा किया गया तो लोग हैरान जरुर हुए, लेकिन राहत भी महसूस की। पतंजलि ने कोरोनिल दवा लांच करते हुए दावा किया कि इस दवाई से मरीज केवल 3 दिनों में 70% और एक सप्ताह में पूरा 100% ठीक हो जाता है। क्लिनिकल ट्रायल में ये बात साबित हुई है। पतंजलि के कोरोनिल किट में 3 दवाईयां श्वासरी वटी, कोरोनिल टेबलेट और अणु तैल लांच की गई थी।

आयुष मंत्रालय ने लगाई रोक

बहरहाल पतंजलि के दावे के कुछ मिनटों बाद ही आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को इस दवा के प्रचार-प्रसार को रोकने के निर्देश दे दिए। इसके अलावा मंत्रालय ने पतंजलि से उसके तमाम दावों व उनके आधार, क्लिनिकल ट्रायल, दवाई निर्माण की प्रक्रिया, रिसर्च, क्लिनिकल टेस्ट के नतीजे, दवाई की कम्पोजिशन सहित कई सारी जानकारी तलब कर ली।

पतंजलि ने दिया ये जवाब

पतंजलि की ओर से कहा गया कि उन्होंने कोरोना की दवा का कभी दावा ही नहीं किया था। कोरोनिल इम्यूनिटी बूस्टर ही है। पतंजलि ने इसे संस्थान और आयुष मंत्रालय के बीच पर्याप्त संवाद नहीं होने के कारण जनित विवाद बताया। इतना ही नहीं पतंजलि ने इस पूरे विवाद को आयुर्वेद के खिलाफ दवा कंपनियों की साजिश भी बताया। पतंजलि ने कहा कोरोनिल बनाने में क्लीनिकल कंट्रोल का ट्रायल किया और इसके निर्धारित मापदंडों का पालन करते हुए ही रिसर्च की गई। रजिस्ट्रेशन से लेकर क्लीनिकल ट्रायल के हर नियम का पालन किया गया।

ये मंजूरी मिली

केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को लेकर अपनी जांच पूरी करने के बाद इसकी बिक्री की मंजूरी दे दी। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि पतंजलि कोरोनिल को बाजार में बेच सकते हैं, लेकिन एक इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में। इसे कोरोना वायरस की दवाई नहीं कहा जाएगा। इसे कोरोना को काबू में करने वाला बूस्टर कहा जा सकता है। इसे पतंजलि को उत्तराखंड सरकार के तहत आयुर्वेदिक सर्विस के तहत लाइसेंस मिला है।