Satya Sharan Mishra
Ranchi: झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स को यहां की राजनीति में खूब दिलचस्पी है. हर बार चुनावी मौसम में नौकरशाहों का राजनीतिक दलों में शामिल होने का सिलसिला शुरू होता है. कई लोगों ने रिटायरमेंट के बाद तो कई लोगों ने वीआरएस लेकर पॉलिटिक्स में हाथ आजमाया, लेकिन राजनीति की परीक्षा में इनमें से कुछ ही पास हुए और अधिकांश फेल हो गये. एक बार फिर ब्यूरोक्रेट्स का राजनीति प्रेम उफान मारने लगा है. इस बार भी ऐसे ब्यूरोक्रेट्स की नब्ज भाजपा ने पकड़ ली है. यही वजह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए कई रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स भाजपा का रुख कर रहे हैं. हाल ही में पूर्व आईपीएस राजीव रंजन सिंह ने भाजपा की सदस्यता ली. उनके साथ दर्जन भर रिटायर्ड पुलिस पदाधिकारी भी भाजपा में शामिल हुए. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के हवाले से यह भी खबर है कि एक हफ्ते में 3 और रिटायर्ड आईपीएस भाजपा में शामिल होने वाले हैं.
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जमशेदपुर सीट से दावेदारी पेश कर सकते हैं राजीव रंजन सिंह
बताया जाता है कि राजीव रंजन सिंह जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. जमशेदपुर सीट से भाजपा के सीटिंग सांसद विद्युत वरण महतो समेत और भी कई दावेदार हैं. ऐसे में राजीव रंजन को टिकट मिलेगा या नहीं यह तो चुनाव के वक्त ही पता चलेगा. राजीव रंजन सिंह टिकट की उम्मीद में भाजपा में आ तो गये हैं. लेकिन कहीं उनकी भी वही हालत न हो, जो 2019 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हुए तीन ब्यूरोक्रेट्स की हुई है.
2019 में पूर्व डीजीपी डीके पांडेय, पूर्व आईएएस अधिकारी सुचित्रा सिन्हा और पूर्व आईपीएस अरूण उरांव भाजपा में शामिल हुए थे. लेकिन इनमें से दो डिएक्टिवेट हो चुके हैं, जबकि अरूण उरांव थोड़े-बहुत सक्रिय दिख रहे हैं.
रघुवर लाये थे 3 ब्यूरोक्रेट्स, किसी को नहीं मिला था टिकट
2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तीनों ब्यूरोक्रेट्स को पूरी तामझाम से पार्टी में शामिल कराया था. अरूण उरांव लोहरदगा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, जबकि डीके पांडेय बोकारो और सुचित्रा सिन्हा धनबाद से किस्मत आजमाना चाहती थीं, लेकिन इन्हें टिकट नहीं मिला. चुनाव के बाद डीके पांडेय और सुचित्रा सिन्हा की सक्रियता खत्म हो गई. 4 साल में इन्हें कभी प्रदेश भाजपा मुख्यालय में नहीं देखा गया है. भाजपा के प्रदेश पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी इन्हें भूल चुके हैं. सुचित्रा सिन्हा के बारे में बात करने पर भाजपा के कुछ नेताओं ने कहा कौन सुचित्रा? हम तो नहीं जानते. जनवरी 2023 में रिटायर्ड कर्नल बीके सिंह को भी पार्टी में शामिल कराया गया था, लेकिन शामिल होने के बाद वे भाजपा के कार्यक्रमों में नजर नहीं आ रहे हैं.
भाजपा की उम्मीदों पर सिर्फ वीडी राम खरे उतरे
इससे पहले 2014 में भी झारखंड के पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद, पूर्व आईपीएस लक्ष्मण प्रसाद सिंह, पूर्व डीजीपी वीडी राम, पूर्व आईपीएस अरूण उरांव, आईपीएस शीतल उरांव, आईपीएस अमिताभ चौधरी और आईएएस विमल कीर्ति सिंह भाजपा में शामिल हुए थे. इनमें से कुछ पर भरोसा जताकर भाजपा ने टिकट दिया था. वीडी राम को पलामू से टिकट मिला था. वे चुनाव जीते, जिसके बाद भाजपा ने उन्हें 2019 में भी मौका दिया. वहीं लक्ष्मण प्रसाद सिंह और जेबी तुबिद पर भी भरोसा जताते हुए राजधनवार और चाईबासा सीट से टिकट दिया गया. दोनों ही चुनाव हार गये. इसके बावजूद 2109 में भी पार्टी ने उन्हें वहां से टिकट दिया और दूसरी बार भी इन्होंने भाजपा को निराश किया. वहीं अमिताभ चौधरी, शीतल उरांव, अरूण उरांव और विमल कीर्ति सिंह को दोनों चुनाव में टिकट नहीं मिला.
2014-19 में भाजपा में शामिल हुए 10 ब्यूरोक्रेट्स की स्थिति
2019 में भाजपा में शामिल हुए थे 3 ब्यूरोक्रेट्स
सुचित्रा सिन्हा और डीके पांडेय हो गये निष्क्रिय
चुनाव के बाद पार्टी दफ्तर और कार्यक्रमों में नहीं दिखे दोनों
लोहरदगा से टिकट की आस में एक्टिव हैं अरूण उरांव
2014 में भी 7 ब्यूरोक्रेट्स हुए थे भाजपा में शामिल
वीडी राम, जेबी तुबिद और लक्ष्मण प्रसाद सिंह को मिली थी टिकट
2014 और 2019 में पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे वीडी राम
जेबी तुबिद और लक्ष्मण सिंह ने 2014, 2019 में पार्टी को किया निराश
अमिताभ चौधरी, शीतल उरांव, अरूण उरांव और विमल कीर्ति सिंह को नहीं मिला था टिकट
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