Ranchi : राज्य भर की 60 हजार आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं का 5-6 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है. इससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रही हैं. मानदेय के साथ ही पोषण सामग्री के लिए भी राशि का भुगतान बंद है. ऐसे में उनकी परेशानी और बढ़ गई है. जिंदगी जैसे भंवर में फंस गई है. रोजमर्या के सामान, दवाइया, बच्चों की फीस और अन्य जरुरतों के लिए उन्हें उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है.वे कहती हैं कि अगर इस दिशा में सरकार जल्द कदम नहीं उठाती है तो स्थिति और विकट हो जाएगी. मानदेय समय पर नहीं मिलने से उनमें गुस्सा भर रहा है. उनका कहना है कि यह सरकार सिर्फ आंदोलन की भाषा ही समझती है. हमें मिलजुल कर आंदोलन करना होगा, तभी मानदेय भी मिलेगा. शुभम संदेश की टीम ने विभिन्न जिलों में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं से बातचीत की है. पेश है रिपोर्ट.
साहिबगंज
हमलोगों की आर्थिक स्थिति लड़खड़ा गई है : शाहनी बेगम
बकाया मानदेय का भुगतान नहीं होने पर सेविका और सहायिका आर्थिक तंगी से जूझ रही है. इस संबंध में बोरियो प्रखंड के बड़ा तौफिक पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत सेविका शाहनी बेगम ने बताया कि पिछले चार महीने से मानदेय का भुगतान नहीं होने से आर्थिक स्थिति लड़खड़ा गई है. परिवार के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गई है. किराना दुकानदार उधार राशन देना बंद कर दिया है. घर के किसी सदस्य की तबीयत बिगड़ने पर इलाज के लिए सोचना पड़ रहा है. मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने के बावजूद इस भीषण गर्मी में अपने आंगनवाड़ी केंद्र पर जाकर काम करती हूं. सरकार मानदेय का भुगतान जल्द करे.
परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो रहा है : इशरत जहां
साहिबगंज प्रखंड के मखमलपुर पंचायत स्थित आगनबाड़ी केंद्र की सेविका इशरत जहां ने बताया कि विगत चार माह से मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने से परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो गया है. किराना दुकानदार से उधारी राशन ली थी. रुपया नहीं चुकाने पर अब दुकानदार राशन नहीं दे रहा है. रोजमर्रा की जिंदगी में कई तरह के खर्चें होते हैं. इसलिए मानदेय का भुगतान नहीं होने कई संकट झेलने पड़ रहे हैं. सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है. समय पर घर में न तो राशन आ पा रहा है और न ही किसी के बीमार पड़ने पर इलाज करवा पा रहे हैं. जिंदगी जैसे भंवर में फंस गई है.
घर परिवार चलाने के लिए रुपये चाहिए : दुखनी देवी
सहिया दुखनी देवी का कहना है कि एक तो मानदेय कम ऊपर से भुगतान समय पर नहीं. चार माह से मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने से परिवार को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है. घर परिवार चलाने के लिए रुपए चाहिए. मानदेय नहीं मिलने से घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. यह समस्या सिर्फ मेरी नहीं, सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर काम करने वाली सेविका और सहायिकाओं की है. सरकार बकाया मानदेय का भुगतान अविलंब करे.
राशि आवंटन होते ही बकाए का भुगतान : कल्याण पदाधिकारी
इस संबंध में पूछे जाने पर समाज कल्याण विभाग पदाधिकारी सुमन गुप्ता ने कहा कि जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 1688 है. इन सभी केंद्रों में 1688 सेविका और 1661 सहायिका काम कर रही हैं. जनवरी 2023 तक के मानदेय का भुगतान सभी को किया जा चुका है. राशि आवंटन होते ही बकाया मानदेय का भी भुगतान कर दिया जाएगा. हमलोगों की कोशिश रहती है कि जितनी जल्द हो सभी के बकाए का हो जाए.
चक्रधरपुर
मानदेय भुगतान नहीं किया जाना चिंतनीय : मार्टिन मुर्मू
झारखंड राज्य समाज कल्याण आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के पश्चिमी सिंहभूम जिला अध्यक्ष मार्टिन मुर्मू ने कहा कि जनवरी महीने से आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को मानदेय नहीं मिल रहा है. इससे सेविका-सहायिका आर्थिक परेशानियों से जूझ रही हैं. सेविका-सहायिकाओं को कम मानदेय मिलता है. इसके बावजूद वे अपनी जिम्मेदारी पूरा करती हैं. पश्चिमी सिंहभूम जिला में 2330 सेविका और 2023 सहायिका हैं. इनमें अधिकांश वैसी सेविका-सहायिका हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. ऐसे में पांच महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया जाना चिंतनीय है. आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ सेविका-सहायिका के साथ हमेशा खड़ा है. अगर जल्द ही मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता है तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा.
समय पर ऋण चुकता करने में हो रही परेशानी : मेनका प्रधान
चक्रधरपुर के महुलबोराई आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका मेनका प्रधान ने कहा कि पिछले पांच महीने से मानदेय का भुगतान नहीं होने से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. घर की मरम्मत आदि के लिए उन्होंने ऋण लिया था. मानदेय नहीं मिलने से ऋण चुकता करने में भी दिक्कत हो रही हैं. साथ ही दुकानों में कर्ज बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि मानदेय से ही घर परिवार चलता है. अगर हमें समय पर मानदेय नहीं मिलेगा तो परिवार कैसे चला पाएंगे. पति खेती-बाड़ी करते हैं. परिवार चलाने में मेरी अहम भूमिका है. समय पर मानदेय नहीं मिलता है तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बच्चों की फीस समय पर देनी पड़ती है. नहीं को स्कूल प्रबंधन की ओर से नाम काटने की चेतावनी दी जाती है.
सेविका व सहायिकाओं पर सरकार दे ध्यान : शिवानी देवी
चक्रधरपुर के केंदो पंचायत के देवगांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका शिवानी देवी ने कहा कि सरकार को सेविका-सहायिकाओं के हालात पर ध्यान देना चाहिए. उनके पति की मृत्यु पूर्व में हो चुकी है. पांच महीने से मानदेय नहीं मिलने के कारण परिवार चलाने में काफी दिक्कतें हो रही हैं. मानदेय नहीं मिलने की समस्या को लेकर इस बारे में संघ को भी अवगत कराया है, ताकि हमारी समस्याओं पर ध्यान दिया जा सके. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि कई महीने तक लगातार मानदेय नहीं मिलता है. जब हम रोजाना ड्यूटी करते हैं तो हमारा मानदेय रोकना गलत है.
स्कूल फीस जमा करने में हो रही परेशानी : हीरामुनी हेम्ब्रम
चक्रधरपुर के कुदलीबाड़ी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका हीरामुनी हेम्ब्रम ने कहा कि हमारे घर के हालात अच्छे नहीं हैं. पति ई रिक्शा चलाते हैं. मिलने वाले मानदेय से ही बच्चों की ट्यूशन, स्कूल फीस इत्यादि जमा होते हैं. साथ ही प्रत्येक महीने मानदेय से ही घर में राशन आता है. जनवरी महीने से हमें मानदेय नहीं मिला है. इससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मुझे चचेरी बहन की शादी में जाना था, लेकिन पैसे के अभाव में मैं शादी में नहीं जा सकी. इसी तरह पैसे के कारण कई काम रुक जा रहे हैं. सरकार हमारे साथ अन्याय कर रही है.
घाटशिला
भुगतान नहीं होने से परेशानी : नंदिता सीट
घाटशिला प्रखंड के पावड़ा आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका नंदिता सीट ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जो लाभांश दिया जाता है, वह पिछले 5 महीने से नहीं मिल रहा है. एक जून को राज्य का लाभांश का भुगतान किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो बढ़ाया गया मानदेय है उसका भी भुगतान पिछले 5 माह से नहीं हुआ है. इसके कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
बकाए का जल्द हो भुगतान : उषा माझी
घाटशिला प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र भादुआ आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका उषा माझी ने बकाया मानदेय के संबंध में बताया कि जो भी बकाया है, वह बढ़ा हुआ मानदेय है, जिसका भुगतान सरकार द्वारा पिछले कई माह से नहीं किया जा रहा है. गुरुवार को अप्रैल तक का मानदेय 5000 के हिसाब से कर दिया गया है. बकाए का भी जल्द भुगतान होना चाहिए.
पोषाहार का बकाया बड़ी समस्या : जोबा मुर्मू
घाटशिला प्रखंड के बुरुडीह आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका जोबा मुर्मू ने बताया कि मानदेय की समस्या से बड़ी समस्या पोषाहार की समस्या है. पिछले कई माह से पोषाहार नहीं मिलने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार पिछले वर्ष ही हम लोगों के मानदेय में वृद्धि की थी, परंतु वृद्धि की गई राशि मानदेय में समायोजित कर नहीं भेजा जा रहा है.
मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक तंगी बेटे से मिल रहा सहारा : भारती देवी
चांडिल प्रखंड के चौका स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या दो की सेविका भारती देवी ने कहा कि मानदेय का भुगतान नहीं होने के कारण उनके समक्ष आर्थिक तंगी हो गई है. ऐसी परिस्थिति में उनका बेटा परिवार का खर्च वहन कर रहा है. बुनियादी स्तर पर व्यवस्था को मजबूत बनाने वाली सेविका और सहायिकाओं का मानदेय लंबित रखना उचित नहीं है. उन्होंने बताया कि मानदेय का भुगतान नहीं होने के कारण उनका इलाज भी प्रभावित हो रहा है. ऐसे में अधिक दिनों तक काम कर पाना परेशानी भरा होगा. सरकार को इस दिशा में शीघ्र पहल करनी चाहिए ताकि सहिया-सेविकाओं की घर गृहस्थी ठीक से चल सके.
बगैर मानदेय के परिवार चलाना हो रहा है मुश्किल : कलावती महतो
चांडिल प्रखंड के मुसरीबेड़ा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका कलावती महतो ने कहा कि मानदेय लंबित रखकर सरकार एक प्रकार से आंगनबाड़ी सेविकाओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है. पैसों के अभाव में परिवार के कई काम ठप पड़े हुए हैं. बगैर रुपयों के परिवार चलाना मुश्किल है. ऐसी परिस्थिति में परिवार का सारा खर्चा उनके पति उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आर्थिक तंगी का सामना करते हुए सेविका और सहायिका अपने कर्तव्यों का निर्वहन सुचारू रूप से नहीं कर पा रही हैं. राशन की दुकान में भी उधारी बढ़ती जा रही है.
देवघर
सविकाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है: मंजू देवी
मोहनपुर प्रखंड के ताराबाद पंचायत के लुटियातरी आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत सेविका मंजू देवी ने बताया कि चार महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. परिवार के समक्ष भुखमरी की नौबत है. सेविका अपने कार्य क्षेत्र में डोर टू डोर जाकर काम करती है. बावजूद इसके सेविकाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
मानदेय नहीं मिलने से घर चलाना मुश्किल : शोभा देवी
लुटियातरी आंगनबाड़ी केंद्र में ही कार्यरत सहायिका शोभा देवी बच्चों के लिए भोजन पकाने का काम करती है. उनका कहना है कि मानदेय का भुगतान नहीं होने से घर चलाना मुश्किल हो गया है. घर में तीन बच्चे हैं. देखभाल करने में रुपए की जरूरत है. रोजमर्रा के सामान खरीदना पड़ता है. रुपए नहीं रहने से बच्चों के लिए सामान नहीं खरीद पा रही हूं.
बहरागोड़ा
उधार लेकर परिजनों का करा रही हूं इलाज : पद्मनी मुंडा
बहरागोड़ा प्रखंड के राजलाबांध आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 19 की सेविका पद्मनी मुंडा बताया कि मानदेय नहीं मिलने के कारण विकट आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. अपने तथा परिवार के लोगों की चिकित्सा कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सगे संबंधियों से उधार लेकर इलाज करा रही है.
नहीं भर पा रही हूं बच्चों की ट्यूशन फीस : विनिता मुंडा
बहरागोड़ा प्रखंड के राजलाबांध आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 19 की सहायिका विनिता मुंडा ने बताया कि मानदेय का भुगतान नहीं होने से आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. बच्चों की ट्यूशन फीस का भुगतान करना मुश्किल हो गया है. राशन दुकान से सामान खरीदने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
अभी तो साग-सब्जी खरीदने में दिक्कत हो रही है : बबीता नायक
बहरागोड़ा प्रखंड के कालियाडिंगा आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 27 की सेविका बबीता नायक ने बताया कि मानदेय नहीं मिलने के कारण घर के राशन से लेकर साग सब्जी तक खरीदने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. राशन दुकान में उधारी अधिक होने के कारण दुकानदार भी राशन देने से मना कर रहा है. परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.
परिवार का भरण-पोषण करना हुआ मुश्किल : माला राणा
बहरागोड़ा प्रखंड के कालियाडिंगा आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 27 की सहायिका माला राणा ने बताया कि मानदेय नहीं मिलने के कारण परिवार का भरण पोषण करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दुकानदार भी अब उधार में सामान देने से मना करने लगे हैं. सरकार मानदेय का भुगतान शीघ्र करे.
धनबाद
अब आंदोलन की तैयारी में सभी जुट गए हैं: साधना देवी
धनबाद के गडेरिया बस्ती की आंगनबाड़ी सेविका साधना देवी ने कहा कि कि पिछले कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है. अब आंदोलन की तैयारी में सभी जुट गए हैं. जल्द ही रणनीति बनाकर सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. जब तक आंदोलन नहीं होता है, तब तक मानदेय का भी भुगतान नहीं होगा.
परेशानी बढ़ी, कर्ज लेकर जुटा रहे हैं राशन-पानी: करुणा पंडित
आंगनबाड़ी केंद्र बलियापुर 2 की सेविका करुणा पंडित कहती हैं कि सेविकाओं को 5 माह से मानदेय नहीं मिलने के कारण भारी परेशानी हो रही है. स्थिति बदतर हो चुकी है. आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के पोषण के लिए मिलने वाली राशि को भी बंद कर दिया गया है. दुकानों में कर्ज हो गया है. घर में राशन-पानी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है.
न पोषाहार की राशि, न मानदेय का हो रहा है भुगतान: उषा देवी
गोविंदपुर प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्र कुर्मीडीह 2 की सेविका उषा देवी ने कहा कि सहायिका-सेविका की स्थिति बदतर हो चुकी है. मानदेय भुगतान को लेकर आंदोलन करने पर भी कुछ नहीं हो रहा है. सरकार ने घोषणा की है कि प्रत्येक माह मानदेय का भुगतान होगा, 5 से 6 माह में भुगतान होता है. वह भी एक साथ नहीं. थोड़ा-थोड़ा भुगतान होता है.
घर की हालत टीक नहीं, जल्द होना चाहिए भुगतान: शाहगुप्ता
तोपचांची प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्र लोकबाद की सेविका शाहगुप्ता कहती हैं कि घर की हालत ठीक नहीं है. वह कहती हैं कि पांच हजार रुपये मानदेय मिलता है, वह भी पिछले तीन माह से बंद हो गया है. जनवरी से केंद्र की ओर से 4500 रुपये भी नहीं मिल रहे हैं. किसी तरह घर चल रहा है. सरकार जल्द मानदेय और बकाया भुगतान करे.
हुसैनाबाद
समय पर मानदेय का भुगतान किया जाना जरूरी : अंबिया परवीन
हुसैनाबाद प्रखंड अंतर्गत देवरी कला ग्राम पंचायत के सुकन बीघा में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका अंबिया परवीन का कहना है कि अगर हम लोग का मानदेय समय पर मिलता रहे तो इसी पैसे से किसी तरह गुजारा हो सकता है. पर दुखद यह है कि राज्य सरकार के द्वारा कुछ मानदेय का भुगतान किया गया है और केंद्र सरकार के द्वारा दिया जाने वाला मानदेय अभी नहीं मिला है.
सिर्फ मानदेय की राशि से नहीं हो पाता गुजारा : समसुन निशा
सुकन बिगहा आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका समसुन निशा का कहना है कि हम लोगों को इस मानदेय की राशि से गुजारा नहीं हो पाता है. हम लोग अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दिला पाते हैं. हम लोगों को सभी सरकारी लाभ से वंचित कर दिया गया है. आखिर हम लोग कहां जाएं. वह कहती है कि हम लोग कभी बीमार पड़ते हैं तो दवा कराने के लिए कर्ज लेकर इलाज करना पड़ता है.
आदित्यपुर
मानदेय नहीं, आर्थिक तंगी से घर चलाना मुश्किल : शैल देवी
आदित्यपुर आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 721 की सेविका शैल देवी कहती हैं कि हमलोगों को राज्य सरकार से मिलने वाला मानदेय 5000 रुपये पिछले 2 महीने से नहीं मिल रहा है, जबकि केंद्र सरकार का मानदेय 6 महीने से बंद है. इससे घर चलाने में परेशानी हो रही है. वह 2016 से इस केंद्र का संचालन कर रही है.
कष्टदायक जीवन जीने को मजबूर हूं : लखी रानी
आदित्यपुर हाउसिंग कॉलोनी की सहायिका लखी रानी कहती हैं कि मैं वर्ष 2017 से केंद्र में सहायिका के रूप में काम कर रही हूं. केंद्र में 30 बच्चे हैं. केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाली मानदेय की राशि से केंद्र का रख-रखाव और खुद का लालन-पालन भी करती हूं. जनवरी 2023 से केंद्र सरकार और मार्च से राज्य सरकार का मानदेय नहीं मिलने से परेशानी हो रही है.
किरीबुरु
जनवरी में मिला था वेतन : गीता लागुरी
किरीबुरु के मुर्गापाड़ा स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका गीता लागुरी ने बताया कि उसे अंतिम बार जनवरी माह में वेतन मिला था. उसके बाद कोई पैसा नहीं मिला है. बीते चार-पांच माह से वेतन नहीं मिलने की वजह से घर चलाना मुश्किल हो गया है. उधार में राशन, दवाइयां और अन्य जरुरत के सामान दुकानों से ले रही हैं. दुकान में अधिक उधार हो चुका है. अब उधार में सामान खरीदने में शर्म महसूस होती है. पति गोपी लागुरी थोड़ी मदद करते हैं, जिससे परेशानी थोड़ी कम हो जाती है. गीता ने बताया कि बीते वर्ष का सारा पैसा सरकार दे दी है. उम्मीद है कि बाकी पैसा भी जल्द मिल जायेगा. वह सेल के खाली आवास में परिवार के साथ रहती है.
जमशेदपुर
पोषाहार की राशि अग्रिम दी जाए : ममता कुमारी
पूर्वी घाघीडीह पंचायत के सोमाय झोपड़ी स्थित आंगनबाड़ी की सेविका ममता कुमारी का कहना है कि केंद्र सरकार का अंश पिछले पांच माह से नहीं मिला है. इससे थोड़ी परेशानी तो है, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी का कारण पोषाहार के लिए मिलने वाला पैसा भी है,जो तीन-चार महीने पर मिलता है. इससे दुकानदार उधार देने से मना कर देते हैं. हमलोग उतना सक्षम नहीं हैं कि अपने पैसे से तीन चार महीने तक पोषाहार बच्चों को उपलब्ध करवा सकें.
नियमित रूप से मानदेय का भुगतान हो : राखी कुमारी
जमशेदपुर सदर के सिदगोड़ा हरिजन बस्ती स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका राखी कुमारी का कहना है कि समय पर मानदेय नहीं मिलने के परेशानियों का सामना करना पड़ता है. राज्य सरकार का अंश तो दो महीने के अंतराल पर मिल जाता है, लेकिन केंद्र सरकार का पांच-छह महीने पर भी नहीं मिलता है, जिससे परेशानी होती है. वहीं केंद्र को संचालित करने के लिए राशि का भुगतान भी तीन-चार माह पर किया जाता है, जो परेशानी का मुख्य कारण है. दुकानदार उधार नहीं देते हैं.
संचालन राशि का पहले भुगतान हो तो अच्छा : सोमा
उत्तरी सुसनीगड़िया पंचायत के गोलपहाड़ी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सोमा महतो का कहना है कि सबसे बड़ी परेशानी केंद्र संचालन के लिए मिलने वाली राशि का भुगतान पांच-छह महीने के बाद होने के कारण होता है. सरकार से मांग करते हैं कि पूर्व की तरह आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के पोषाहार के लिए राशि का अग्रिम भुगतान किया जाए. एक तो समय पर मानदेय का भुगतान नहीं होता है. वहीं केंद्र संचालन के लिए मिलने वाली राशि का भुगतान भी पांच-छह माह पर किया जाता है. इससे घर चलाना मुश्किल हो जाता है. जो मानदेय मिलता है उसी से पोषाहार के लिए खाद्यान्न खरीदते हैं. इससे किसी तरह मैनेज कर घर चलाते हैं.
मुश्किल से किसी तरह घर चला रहे हैं : पुष्पा गोप
मध्य हलुदबनी के नीमटोला स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका पुष्पा गोप का कहना है कि केंद्र सरकार से मिलने वाला मानदेय पिछले पांच महीने से बकाया है. वहीं 1 जून को अप्रैल और मई माह का राज्य सरकार का मानदेय प्राप्त हुआ है. समय पर मानदेय नहीं मिलने से हमेशा कर्ज चढ़ा रहता है. इस महंगाई में समय पर मानदेय नहीं मिलने पर परेशानी तो बहुत होती है. कई बार आंदोलन किया गया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. सरकार से मांग है कि समय पर मानदेय का भुगतान करे. सरकार के पास केंद्र से संबंधित बच्चों की जानकारी रहती है. उस आधार पर केंद्र संचालन के लिए राशि का अग्रिम भुगतान किया जाए. इससे हम लोगों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा.
हजारीबाग
सरकार बताए कि बच्चों की फीस कहां से लाएं : फूलमति
बरही स्थित आंगनबाड़ी केंद्र कुड़वा खोड़ाआहर की सहायिका फूलमति कच्छप ने बताया कि उसके पति किसान हैं और एक बेटा व एक बेटी है. फिलहाल बच्चों के फीस की चिंता है. सरकार यह बताए कि उनका मानदेय नहीं देगी, तो बच्चों का स्कूल में फीस कैसे जमा करेंगी. उनका बेटा-बेटी प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है.
बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च कहां से लाएं : मंजू सिन्हा
कटकमसांडी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र अतिया-3 कंचनपुर की सेविका मंजू सिन्हा ने कहा कि घर के पांच सदस्यों का खर्च वहन करना मुश्किल हो गया है. उनके पति पारा शिक्षक हैं, जिनकी बदौलत घर चल रहा है. उन्हें तीन माह से मानदेय नहीं मिल रहा है. इससे परेशानी हो रही है. बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च कहां से लाएं.
बढ़ गया है कर्ज का बोझ,दुकानदार करते हैं आनाकानी: ममता देवी
चौपारण स्थित ताजपुर आंगनबाड़ी केंद्र में बतौर सहायिका ममता देवी कहती हैं कि छह माह से मानदेय बकाया है. पति का छोटा-मोटा बिजनेस है. उनके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी है. मुश्किल हालत में हैं. कर्ज लेकर कब तक दूसरों का मोहताज रहेंगे. सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है. अब दुकानदार राशन देने से भी आनाकानी करते हैं.
बिना मानदेय के बच्चों की परवरिश मुश्किल : राधा देवी
कटकमसांडी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र अतिया-3 कंचनपुर की सहायिका राधा देवी कहती हैं कि मुश्किल से दो बच्चों की परवरिश कर रही हैं. उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं. कोई साथ देनेवाला नहीं है. मानदेय के अभाव में घर की हालत ठीक नहीं है. उनका एक बेटा और एक बेटी है. वह कहती हैं कि पिछले तीन माह से पांच हजार रुपए मानदेय भी मिलना बंद हो गया है.
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