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छुट्टी में कटौती का विरोध, आंदोलन की राह पर बढ़े श

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28 मई को राजभवन में वार्ता सकारात्मक रही तो विरोध वापस ले लिया जाएगा

Ranchi : राज्यभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की शिक्षक छुट्टी में हुई कटौती से खासे नाराज हैं. अलग-अलग तरीके से वे इसका विरोध कर रहे हैं. धीर-धीरे यह विरोध आंदोलन का रूप लेता नजर आ रहा है. शिक्षक कहीं धरना दे रहे हैं, तो कहीं जुलूस निकालकर या काला बिल्ला लगाकर इस आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. शिक्षकों को आपत्ति है कि उनसे कोई वार्ता किये बगैर छुट्टी में कटौती कर दी गई. छुट्टी के मामले को लेकर वे तर्क देते हैं कि अगर एकरुपता की बात है तो सरकारी कर्मचारियों की तरह उन्हें भी सारी सुविधा मिलनी चाहिए. अवकाश कटौती के विरोध में गुरुवार को भी विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया. कहा जा रहा है कि छुट्टियों के अनुसार शिक्षकों ने अपना कार्यक्रम निर्धारित कर रखा था. लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के एकतरफा निर्णय से उनकी सारी योजनाएं बेकार हो गई.

दूसरी ओर 28 मई को राजभवन में फुटाज (राज्य स्तरीय शिक्षक संघ) के साथ उनकी वार्ता है. कहा जा रहा है कि सकारात्मक वार्ता होने पर विरोध वापस ले लिया जाएगा. शुभम संदेश की टीम ने विश्वविद्यालय शिक्षकों से इस मामले पर बातचीत की है. पेश है रिपोर्ट.

शुभम संदेश

हजारीबाग : अवकाश कटौती से विभावि के शिक्षकों में है गुस्सा

अवकाश कटौती के विरोध में गुरुवार को भी विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया. साथ ही सरकार, राजभवन और विभावि प्रशासन के निर्णय पर गुस्सा जाहिर करते हुए बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया.

छुट्टी में कटौती कर शिक्षकों को किया जा रहा परेशान : डॉ. जॉनी रूफिना तिर्की

विभावि पीजी शिक्षक संघ की सदस्य डॉ. जॉनी रूफिना तिर्की ने कहा कि ग्रीष्मावकाश में कटौती कर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है. ग्रीष्मावकाश शिक्षकों का मौलिक अधिकार है. इस निर्णय को वापस ले लेना चाहिए. ननवेकेशनल सेवा में 16 दिनों का अवकाश देने का प्रावधान है. लेकिन विभावि के शिक्षकों का मात्र आठ दिनों का अवकाश प्राप्त है और 16 दिनों का अर्जित अवकाश मिलता है. ऐसे में शिक्षकों के अवकाश में एकतरफा कटौती यूजीसी के नियमों का घोर उल्लंघन है.

राजभवन को शिक्षकों से वार्ता कर यह निर्णय लेना चाहिए था : डॉ. इंद्रजीत कुमार

पीजी शिक्षक संघ के डॉ इंद्रजीत कुमार ने कहा कि शिक्षकों से वार्ता कर ग्रीष्मावकाश में कटौती का निर्णय लेना चाहिए था. ग्रीष्मावकाश शिक्षकों का है. हम सब शिक्षक काला बिल्ला लगाकर इस हठात नीति का विरोध कर रहे हैं. राज्यस्तरीय संघ के अनुसार निर्णय होने पर राजभवन के समक्ष आंदोलन करने से भी बाज नहीं आएंगे. जरूरत पड़ी तो कोर्ट की शरण भी लेंगे.

यह एकतरफ निर्णय शिक्षकों को परेशान करने वाला है : डॉ अमित कुमार सिंह

पीजी शिक्षक संघ के डॉ. अमित कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश मिलना चाहिए. इस मुद्दे पर विभावि प्रशासन को एकतरफा निर्णय लेने के पहले शिक्षकों से बात करने की जरूरत थी. यह शिक्षकों को परेशान करनेवाला फैसला है. एकरूपता लानी है, तो हर चीज में समान संहिता लागू करने की जरूरत है. हर विवि का अपना पाठ्यक्रम और अपना कार्यक्रम निर्धारित है. अचानक निर्णय लेकर थोप देना, यह सिर्फ शिक्षकों पर दबाव बनाने की कोशिश है. दबाव बनाने से स्थितियां सुधरने की बजाय और गड़बड़ा जाती हैं.

दबाव बनाकर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना संभव नहीं है : डॉ. बीपी सिंह

पीजी शिक्षक संघ के डॉ. बीपी सिंह ने कहा कि शिक्षक अपने कर्तव्यों का भलीभांति निर्वहन करते हैं. उन्हें उनका मौलिक अधिकार मिलना चाहिए. दबाव बनाकर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है. ग्रीष्मावकाश में अचानक कटौती कर शिक्षकों की मान मर्यादा का हनन किया गया है. यह बर्दाश्त के बाहर है. सभी के अपने-अपने निजी काम हैं. छुट्टियों के अनुसार शिक्षकों ने अपना कार्यक्रम निर्धारित कर रखा है. लेकिन विवि प्रशासन एकतरफा निर्णय लेकर शिक्षकों के साथ घोर अन्याय किया है.

फिर से विचार कर निर्णय को वापस लेने की जरूरत : डॉ. सुनील दुबे

पीजी शिक्षक संघ के डॉ. सुनील दूबे ने कहा कि ग्रीष्मावकाश में अचानक कटौती का निर्णय सरकार को वापस लेने की जरूरत है. मौसम भी तो देखना चाहिए. अभी गर्मी भी परवान पर है. तो क्या गर्मी बीत जाने के बाद शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश मिलेगा. इससे क्या फायदा होगा. सरकार हो या राजभवन, वहां से निर्णय आने के बाद भी विभावि प्रशासन ने शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश की कटौती जैसे गंभीर मुद्दे पर बात करना उचित नहीं समझा. इससे शिक्षकों में आक्रोश गहरा गया है.

धनबाद : शिक्षकों का अपमान है वार्ता बिन छुट्टियों में कटौती का आदेश
वार्ता ठीक नहीं रही तो आगे की रणनीति तैयार की जाएगी : प्रो. आरके तिवारी
बीबीएमकेयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर आरके तिवारी ने कहा कि 28 मई को राजभवन में फुटाज (राज्य स्तरीय शिक्षक संघ) के साथ वार्ता है. सकारात्मक वार्ता होने पर विरोध वापस ले लिया जाएगा. वरना आगे की रणनीति तय की जाएगी. छुट्टी कैलेंडर की घोषणा दिसंबर में ही हो गई थी. इस वजह से गर्मी की छुट्टी के समय प्रोफेसर हेल्थ चेकअप, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस या घूमने जाने का प्लान बना चुके थे. प्लेन व ट्रेन की टिकट की बुकिंग महीनों पहले की जा चुकी थी.

यूजीसी के नियमों के आधार पर प्राध्यापकों की छुट्टी तय हुई है : डॉ. राजीव प्रधान

बीबीएमकेयू टीचर एसोसिएशन के सदस्य डॉ. राजीव प्रधान ने बताया कि झारखंड विश्वविद्यालय एक्ट और यूजीसी के नियमों के आधार पर वेकेशनल स्टाफ के रूप में प्राध्यापकों की छुट्टी तय हुई है. लेकिन केवल एक चिट्ठी पर पूरे नियमों को धत्ता बता देना जायज नहीं है. छुट्टी यूनिफार्म करने की पहल का वे स्वागत करते हैं. लेकिन इसके लिए ड्यू प्रोसेस का पालन करना जरूरी है.

शिक्षकों की मांग जायज,इसलिए जारी रहेगा हमारा विरोध : प्रो. आरपी सिंह

बीबीएमकेयू शिक्षक संघ के सदस्य प्रो आरपी सिंह ने कहा कि गर्मी की छुट्टी की कटौती का विरोध कर रहे शिक्षकों की मांग जायज है. शिक्षक बिना शैक्षणिक हानि के शांतिपूर्ण तरीके से काला बिल्ला लगाकर अपना विरोध जता रहे हैं. यह विरोध स्वागत योग्य है. राजभवन द्वारा छुट्टी को यूनिफॉर्म करने की पहल अच्छी है. लेकिन इसमें शिक्षकों का पक्ष सुनकर ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए. शिक्षक संघ की ओर से प्रस्ताव रखा गया है.

बिना किसी प्रक्रिया के अचानक में छुट्टी कटौती गलत है : डॉ. अशोक मंडल

पीके रॉय कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर सह शिक्षक संघ के सदस्य डॉ. अशोक मंडल ने बताया कि बिना किसी प्रक्रिया के अचानक छुट्टी कटौती करना गलत है. शिक्षक वेकेशनल स्टाफ होते हैं. उन्हें गर्मी की छुट्टी में रिसर्च व विश्व स्तर पर नयी सामग्री का पठन-पाठन कर स्वयं को अपग्रेड करने का मौका मिलता है, ताकि नए ज्ञान, रिसर्च एवं एनर्जी के साथ फिर से विद्यार्थियों के बीच आकर पठन-पाठन का कार्य कर सकें. शिक्षक संघ की ओर से छुट्टी कटौती को वापस लेने की मांग रखी गई है.

चक्रधरपुर : शिक्षकों ने दूसरे दिन भी लगाया काला बिल्ला

विश्वविद्यालय में गर्मी की छुट्टी में की गई कटौती को लेकर चक्रधरपुर के जवाहरलाल नेहरू (जेएलएन) कॉलेज में गुरुवार को टीचर्स एसोसिएशन ऑफ कोल्हान यूनिवर्सिटी के आह्वान पर दूसरे दिन भी शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया. शिक्षकों ने कहा कि 28 मई तक इसी तरह काला बिल्ला लगाकर हम अपना विरोध जताएंगे. एसोसिएशन द्वारा कुलपति को विरोध पत्र सौंप दिया गया है. अवकाश में कटौती किए जाने के निर्णय से पहले शिक्षकों का पक्ष जानना भी उचित नहीं समझा गया. जो बिल्कुल गलत है. कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ इस निर्णय से आक्रोशित है. शिक्षकों का कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, ऐसे में शिक्षकों को सभी के साथ जोड़ना गलत है. इस मौके पर कॉलेज के प्रोफेसर सह जवाहरलाल नेहरू कॉलेज टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. डॉ. अरुण कुमार, मो. नजरुल इस्लाम, प्रो. कुमार दास, प्रो. गीता सोय के अलावे अन्य शिक्षक मौजूद थे. मालूम हो कि छुट्टी में कटौती किए जाने से विश्वविद्यायालय और कॉलेज शिक्षक खासे नाराज हैं. वे चाहते हैं कि इस मामले में फिर से विचार किया जाना चाहिए. शिक्षक अपनी इस मांग पर अड़े हुए हैं.

सरकार को शिक्षक हित में निर्णय लेने की जरूरत, कटौती ठीक नहीं : डॉ. अरुण

जेएलएन कॉलेज चक्रधरपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ अरुण कुमार कहते हैं कि टीचर्स एसोसिएशन ऑफ कोल्हान यूनिवर्सिटी के आह्वान पर दूसरे दिन भी शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर काम किया. जेएलएन कॉलेज में गर्मी छुट्टी में कटौती नहीं करनी चाहिये. सरकार को शिक्षकों के हित में निर्णय लेने की जरूरत है. इससे न सिर्फ शिक्षक को लाभ होता है, बल्कि विद्यार्थियों को भी लाभ होता है.

छुट्टियों में कटौती किए जाने का हर जगह हो रहा विरोध, पुनर्विचार हो : प्रो. कुमार दास

चक्रधरपुर के जवाहरलाल नेहरू (जेएलएन) कॉलेज के प्रोफेसर टीचर्स एसोसिएशन ऑफ कोल्हन यूनिवर्सिटी (टाकू) के सदस्य प्रोफेसर कुमार दास ने कहा कि छुट्टियों में कटौती किए जाने का विरोध हर जगह हो रहा है. इसका मतलब यह है कि छुट्टियों को लेकर जो निर्णय लिया गया है, वह बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों का कार्य अलग होता है. अवकाश के दौरान शिक्षक किताबें लिखना, शोध इत्यादि करते हैं. छुट्टियों में कटौती किया जाना पूरी तरह से अनुचित है. यह व्यावहारिक निर्णय है. एसोसिएशन की ओर से विरोध जारी हो गया है.

छुट्टियों में कटौती करना न्याय संगत नहीं, अब कलमबंद विरोध होगा : प्रो. गीता सोय

चक्रधरपुर के जवाहरलाल नेहरू (जेएलएन) कॉलेज की प्रोफेसर सह टीचर्स एसोसिएशन ऑफ कोल्हान यूनिवर्सिटी (टाकू) की सदस्य प्रोफेसर गीता सोय ने कहा कि एसोसिएशन के आह्वान पर चरणबद्ध तरीके से विरोध किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 28 मई तक काला बिल्ला लगाकर विरोध करने के बाद 29 मई को कलमबंद प्रतिरोध करेंगे. वहीं 30 मई को हम सभी शिक्षक सामूहिक अवकाश में रहेंगे. उन्होंने कहा कि शिक्षकों से बिना कोई निर्णय लिए ही छुट्टी कटौती की घोषणा करना गलत है.

चाईबासा : शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर जताया विरोध

कोल्हान विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों ने गुरुवार को गर्मी छुट्टी में 50 प्रतिशत की कटौती के विरोध में काला बिल्ला लगाकर काम किया. शिक्षकों ने कहा कि सरकार को गर्मी छुट्टी में 50 प्रतिशत कटौती नहीं करनी चाहिए. शिक्षकों को गर्मी से राहत देने की प्रक्रिया को बरकरार रखने की जरूरत है. विद्यार्थियों के हित में भी गर्मी छुट्टी होनी चाहिए. गर्मी के दिनों में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अचानक गर्मी छुट्टी में कटौती करना दुर्भाग्यपूर्ण है. शिक्षक किसी कार्यक्रम या कहीं जाने-आने की योजना भी साल भर में एक बार बनाते हैं और अचानक छुट्टी में कटौती होने से शिक्षकों की योजना भी खत्म हो जाएगी.

गर्मी छुट्टी में कटौती करना गलत, नोटिस को निरस्त किया जाए : डॉ. लक्ष्मी अल्डा

कोल्हान विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस पीजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी अल्डा कहती हैं कि गर्मी छुट्टी में कटौती करना गलत है. प्रत्येक साल गर्मी छुट्टी में योजना बनी रहती है. अचानक कटौती करना किसी भी रूप में सही नहीं है. सरकार को पुन: विचार करने की जरूरत है. शिक्षक और छात्र हित को देखते हुये जारी नोटिस को निरस्त करने की जरूरत है.

परंपरा बरकरार रखने की जरूरत है, इसमें छेड़छाड़ ठीक नहीं : डॉ. स्मिता झा

कोल्हान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. रवि रंजन कहते हैं कि सरकार का नियम सही है. सरकार पूरा विचार-विमर्श कर ही निर्णय ली है. सभी शिक्षकों को मानने की जरूरत है. गर्मी छुट्टी पहले से भले निर्धारित होती है, लेकिन सरकार निर्णय कर सकती है कि गर्मी छुट्टी बढ़ाया जाये अथवा इसमें कटौती की जाये. सरकार के निर्णय पर किसी तरह का सवाल या विरोध नहीं करना चाहिये. इस गर्मी छुट्टी का समर्थन करता हूं. राजभवन ने विचार-विमर्श कर ही निर्णय लिया है.

चांडिल : छुट्टियां घटाने से एपीआइ स्कोर बढ़ाने के लिए नहीं मिलेगा समय

विश्वविद्यालय में गर्मी की छुट्टी घटा दिए जाने पर विभिन्न कॉलेजों के शिक्षकों में तीव्र आक्रोश है. शिक्षक संघ इसके खिलाफ आंदोलन पर उतारू हैं. वहीं चांडिल स्थित एकमात्र डिग्री कॉलेज सिंहभूम के शिक्षकों ने भी गर्मी की छुट्टियां घटाने के निर्णय का विरोध शुरू कर दिया है. शिक्षक काला बिल्ला लगाकर अपना काम कर रहे हैं. गर्मी की छुट्टियां घटाने पर सिंहभूम कॉलेज चांडिल के शिक्षकों ने अपना मंतव्य दिया है.

कटौती मानक के विपरीत : डॉ. आरआर राकेश

सिंहभूम कॉलेज चांडिल के प्रोफेसर डॉ आरआर राकेश ने कहा कि शिक्षकों के वर्ष भर की छुट्टियों में कटौती की गई है. छुट्टियों में कटौती करना यूजीसी मानक के विपरीत है. छुट्टियां नहीं मिलने से शिक्षक अब एपीआइ स्कोर बढ़ाने के लिए काम नहीं कर पाएंगे. गर्मी की छुट्टी में पर्याप्त समय मिलने के कारण शिक्षक अपना शोध कार्य करते थे. अब छुट्टियों में कटौती करने से उन्हें समय नहीं मिलेगा, जिसके कारण वे अपना शोध कार्य नहीं कर पाएंगे.

यह न्याय संगत नहीं : प्रो. विनय मिंज

जेएलएन कॉलेज के प्रोफेसर विनय मिंज ने कहा कि वित्तीय वर्ष की छुट्टियां पहले से निर्धारित होती हैं. इसके अनुसार सभी अपनी-अपनी प्लानिंग कर लिए होते हैं. बीच में छुट्टियां घटा देना नियमानुसार नहीं है. नई शिक्षा नीति में बच्चों का बोझ कम करने की बात कही गई है, लेकिन दूसरी ओर शिक्षकों का बोझ बढ़ा दिया जा रहा है. यूजीसी मानक के अनुसार शिक्षकों को पांच घंटे पठन-पाठन का काम करना है. इसमें फेरबदल कर अब सात घंटा किया जा रहा है.

रामगढ़ : छुट्टी में कटौती करना उचित नहीं : डॉ. कामना राय

रामगढ़ महाविद्यालय रामगढ़ की इतिहास प्राध्यापिका डॉ. कामना राय कहती है की गर्मी की छुट्टियों में कटौती सरासर अनुचित है. विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग और महाविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर विभाग के प्राध्यापक प्रतिदिन व्याख्यान देते थक जाते हैं. उन्हें इसके लिए अध्ययन करने की भी जरूरत होती है. उन्हें शारीरिक थकान के साथ-साथ मानसिक थकान भी होती है. जिसके लिए एक निश्चित अवधि की विश्राम की आवश्यकता पड़ती है. ताकि विश्राम के बाद फ्रेश मन से पुनः अध्ययन और अध्यापन का कार्य सफलतापूर्वक किया जाए. विश्राम पर कटौती करना किसी तरह से उचित नहीं है.

हम तय सीमा पर सिलेबस पूरा करते हैं : नीतू मिंज

रामगढ़ महाविद्यालय रामगढ़ की इंग्लिश प्रोफेसर नीतू मिंज कहती है कि हम सभी विश्वविद्यालय यूजीसी के रेगुलेशन के अंतर्गत आते हैं. जिसमें 180 दिनों की पढ़ाई सुनिश्चित की गई है. जबकि विश्वविद्यालय में 200 से भी अधिक दिनों की पढ़ाई होती है और हम शिक्षक अपनी तय सीमा पर सिलेबस पूरा करते हैं, तो फिर छुट्टियों की कटौती क्यों. छात्र हित के नाम पर हमें हमारी छुट्टियों से वंचित करना कहीं से भी न्याय संगत नहीं है. जहां तक छात्रों की बात है तो उन्हें भी इन छुट्टियों की उतने ही जरूरत है, जितनी हम शिक्षकों को होती है.
मानसिक विश्राम की जरूरत होती है : डॉ. शालिनी प्रकाश

रामगढ़ महाविद्यालय में अंग्रेजी की सहायक प्राध्यापिका डॉ. शालिनी प्रकाश कहती हैं कि साल भर अध्ययन और अध्यापन करने के बाद शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों को शारीरिक और मानसिक विश्राम की जरूरत होती है. विश्राम उसी वक्त किया जाता है जब विपरीत परिस्थिति हो. अर्थात अध्ययन अध्यापन के प्रतिकूल परिस्थिति हो .यह परिस्थिति अभी के मौसम को ही कहा जा सकता है, जब भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं, ऐसे में उन्हें अध्ययन या अध्यापन में न मन लगेगा और न ही उसका कोई फायदा नजर आएगा. ग्रीष्मावकाश के बाद नए सिरे से पढ़ाने में नई उमंग के साथ शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों लग जाते हैं .

शिक्षकों के सामने समस्याएं होती हैं : डॉ. अनामिका

रामगढ़ महाविद्यालय रामगढ़ की प्रोफेसर डॉ. अनामिका कहती है कि अचानक छुट्टी रद्द कर दिए जाने से कई तरह की व्यावहारिक समस्याएं शिक्षकों के सामने हैं. चिकित्सा के लिए जाने या अपने आत्मीय जनों से मिलने का कार्यक्रम रद्द होने से शिक्षक अत्यंत दुखी हैं. अवकाश को ध्यान में रखकर कई मांगलिक कार्यक्रम की योजना बनी थी,सब बाधित हो गया है. शोध कार्य में भी व्यवधान पड़ा है . छुट्टी अचानक रद्द होने से ऐसे कई व्यक्तिगत और पारिवारिक, सामाजिक अति आवश्यक कार्य हैं, जिन को निपटाने के लिए शिक्षक छुट्टियों के भरोसे थे या छुट्टियों का इंतजार कर रहे थे.

जमशेदपुर : छुट्टी में कटौती तो होगी ही : डॉ. संजीव कुमार सिंह

कोल्हान विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभागाध्य डॉ. संजीव कुमार सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष से अर्न लीव (ईएल) बढ़ा दी गयी है. अतः छुट्टियों में कटौती तो होगी ही. लेकिन गर्मी और दशहरा की छुट्टी के दौरान शिक्षक-शिक्षिकाएं रिसर्च वर्क, अध्ययन आदि करते हैं, ताकि कक्षाओं के दौरान विद्यार्थियों को बेहतर ढंग से शिक्षा दी जा सके. ऐसे में गर्मी छुट्टी में कटौती किये जाने से रिसर्च वर्क आदि तो प्रभावित होना ही चाहिए. ऐसे में मेरा मानना है कि इस मसले पर विचार किया जाना चाहिए. इससे शिक्षक और छात्रों दोनों को ही फायदा होगा.

रिसर्च वर्क के लिए छुट्टियां जरुरी : प्रो. पियाली विश्वास

जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में शिक्षिका प्रो. पियाली विश्वास ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान शिक्षक-शिक्षिकाएं रिसर्च व अध्ययन के साथ ही परीक्षा की कॉपियों की भी जांच करते हैं. लेकिन गर्मी छुट्टी में कटौती किये जाने के कारण रिसर्च वर्क आदि के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं को अवसर नहीं मिल सकेगा. ऐसे में विद्यार्थियों का विकास प्रभावित हो सकता है. इसलिए सरकार को छुट्टी को पूर्ववत रखते हुए, सत्र और कक्षाओं को नियमित करने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए.इसलिए छुट्टी में कटौती ठीक नहीं है. इसपर फिर से विचार करने की जरुरत है.

फिर से विचार करना चाहिए : डॉ. राजू ओझा

जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के बीएड विभागाध्यक्ष डॉ. राजू ओझा ने कहा कि जितने भी बीएड और वोकेशनल विभागों के शिक्षक हैं, वे सभी इसके विरोध में हैं. क्योंकि हम जैसे संविदा शिक्षकों को न तो ईएल मिलती है और न ही पीएल. साल भर में सिर्फ 14 दिन सीएल मिलती है. यदि एक माह बीमार हो गये, तो लीव विदाउट पे हो जाता है. छुट्टी में कटौती के कारण हम विद्यार्थियों के विकास के लिए कोई कार्य भी नहीं कर सकेंगे. अतः गर्मी छुट्टी कटौती के मसले पर विचार करते हुए सरकार को इसे वापस लेना चाहिए.

छुट्टिया शोध कार्य के लिए सहायक : डॉ. अनवर शहाब

जमशेदपुर साकची स्थित करीम सिटी कॉलेज के शिक्षक डॉ. अनवर शहाब ने कहा कि शिक्षक अपनी योजना के अनुसार कार्य करते हैं. वे गर्मी छुट्टियों के दौरान शोध कार्य आदि किया करते हैं. गर्मी छुट्टी में कटौती किये जाने से शिक्षकों को इसके लिए समय नहीं मिल सकेगा. यानी गर्मी छुट्टी के दौरान किये जाने वाले शोध कार्य को शिक्षक नहीं कर सकेंगे, जो पठन-पाठन के लिए आवश्यक है. इस बात को समझते हुए संभवतः हमारी सरकार इस पर सहानुभूति पूर्वक फिर से विचार करेगी. इससे सभी को फायदा होगा. साथ ही बहुत सारी समस्याएं हल हो जाएगी.

घाट​शिला : नए शोध की तैयारी में रहते हैं : डॉ. नरेश

घाटशिला महाविद्यालय के अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि राजभवन सचिवालय द्वारा विश्वविद्यालय एवं कॉलेज की छुट्टियों में की गई कटौती का शिक्षक विरोध करते हैं. शिक्षक की नौकरी में आने से पहले कुछ और कहा जाता है, बाद में कुछ और नियम बना दिए जाते हैं. इससे इस पेशे में आने से लोगों को परेशानी होने लगेगी. यदि छुट्टियों में कटौती की जाती है तो उसे कहीं न कहीं समायोजित करना चाहिए. गर्मी की छुट्टी को लेकर कई शिक्षक अगले शोध की तैयारी में रहते हैं, ताकि कॉलेज खुलने पर अलग तरीके से बच्चों का पाठ्यक्रम पूरा कराया जा सके.

जल्दबाजी में लिया गया निर्णय : डॉ. पीके गुप्ता

घाटशिला महाविद्यालय के गणित के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. पीके गुप्ता ने कहा कि राजभवन सचिवालय द्वारा छुट्टी में की गई कटौती का फरमान कहीं न कहीं जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है. इस निर्णय का शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों का भी विरोध देखने को मिल रहा है. कहीं न कहीं छात्र भी गर्मी के समय में दूरदराज से नियमित कॉलेज आना नहीं चाहते हैं. छुट्टी कटौती के विषय में राजभवन सचिवालय को पुनः निर्णय लेने की जरूरत है. यूजीसी नियम के अनुसार किसी भी विश्वविद्यालय में 180 दिन की पढ़ाई होती थी. पहले यूजीसी के नियमों के अनुसार छुट्टी दी जाती थी.

कटौती का कंपनसेशन मिलना चाहिए : डॉ. संदीप

घाटशिला महाविद्यालय के बांग्ला विषय के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. संदीप चंन्द्रा ने कहा कि हमारे राज्यपाल सह कुलाधिपति द्वारा लिया गया निर्णय कहीं न कहीं प्रोफेसर की नौकरी में आने के आकर्षण को कम कर रहा है. उन्होंने मांग की है कि यदि छुट्टी में कटौती होती है तो इसका कंपनसेशन मिलना चाहिए, अन्यथा हमारी छुट्टियों को यथावत रहने दिया जाए. उन्होंने कहा कि गर्मी की छुट्टी में कॉलेज के प्रोफेसर कुल्लू मनाली इंजॉय करने नहीं जाते हैं, बल्कि अपने को तरोताजा करने के लिए अलग-अलग तरीके से विषय में शोध करते हैं, ताकि छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा गुणवत्तापूर्ण हो.

साहिबगंज : छुट्टी में कटौती के खिलाफ कॉलेज के शिक्षकों का आंदोलन जारी 

साहिबगंज कॉलेज के शिक्षकों ने ग्रीष्मावकाश औरआकस्मिक अवकाश में की गई कटौती को लेकर गुरुवार को चौथे दिन भी काला बिल्ला लगाकर विरोध जताया. शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक संघ की आम सहमति के बिना अवकाश में की गई कटौती शिक्षकों के साथ धोखा और विश्वासघात है.

शिक्षक वोकेशनल संवर्ग में आते हैं,विचार की जरूरत: डॉ. ध्रुव ज्योति कुमार सिंह

महाविद्यालय शिक्षक संघ के सचिव डॉ.ध्रुव ज्योति कुमार सिंह ने कहा कि सभी शिक्षक यूजीसी के सेवा के तहत नियुक्त हुए हैं. सभी शिक्षक वोकेशनल संवर्ग में आते हैं. वोकेशनल संवर्ग में सभी कर्मी को साल में 16 दिनों का आकस्मिक अवकाश दिया जाता है. परंतु इन शिक्षकों को वोकेशनल संवर्ग से अलग कर नॉन वोकेशनल संवर्ग के रूप में सेवा ली जा रही है. 16 दिनों के आकस्मिक अवकाश को अब 8 दिनों का कर दिया गया. राज्यपाल के साथ सिद्धो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति से आदेश पर पुनर्विचार का आग्रह किया गया है. फिलहाल 30 मई से सभी हड़ताली शिक्षक सामूहिक अवकाश पर जा रहे हैं.

जमशेदपुर : वीमेंस यूनिवर्सिटी में शिक्षकों ने काला बिल्ला लगा कर किया प्रदर्शन

जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के सदस्यों ने राजभवन सचिवालय द्वारा गर्मी की छुट्टियों में कटौती और छुट्टियों को 1 से 20 जून तक तय किये जाने को लेकर गुरुवार को यूनिवर्सिटी कैंपस में विरोध-प्रदर्शन किया. साथ ही विश्वविद्यालय के कुलसचिव को शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने ज्ञापन सौपा. संघ की ओर से कहा गया है कि लौह नगरी जमशेदपुर में मई के महीने में गर्मी चरम पर होती है, जबकि जून के दूसरे सप्ताह में मॉनसून का आगमन हो जाता है. इस दौरान बारिश शुरू हो जाती है.मई महीने में विश्वविद्यालय का खुला रहना विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए किसी भी तरह से हितकारी नहीं है. इन छुट्टियों के दौरान कई प्रकार के अकादमिक अनुसंधान के कार्य शिक्षकों द्वारा किए जाते हैं. झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों के साथ एकजुटता दिखाते हुए जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने आज से ही काला बिल्ला लगाकर विरोध दर्ज कराने का निर्णय लिया है.शिक्षकों का कहना है कि यह कटौती उन्हें किसी भी सूरत में मान्य नहीं है. इस मामले पर फिर से विचार किए जाने की जरुरत है.

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