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विकास और जलवायु परिवर्तन के बीच सामंजस्य बिठाना

रांची विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर सेमिनार

Ranchi : केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने गुरुवार को कहा कि सारा विश्व प्रयत्नशील है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का हम मुकाबला करें. दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी भारत में है. इसलिए हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है.आम व्यक्ति जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं समझता है. आज आमलोगों को इसे समझाने की आवश्यकता है. हमें विकास और जलवायु परिवर्तन के बीच सामंजस्य बिठाना होगा. श्री मुंडा गुरुवार को बतौर मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय में दो दिवसीय सेमिनार में बोल रहे थे. सेमिनार का विषय था जलवायु परिवर्तन, चुनौतियां एवं अवसर. उन्होंने संगोष्ठी की तारीफ की. कहा कि ऐसी संगोष्ठियों से किसी भी विषय पर नयी जानकारियां मिलती हैं. रांची विश्वविद्यालय का उन्होंने आभार जताया.

पृथ्वी के लिए अस्तित्व का संकट हो जायेगा- सरयू राय

सेमिनार में विधायक सरयू राय ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अब कोई नया शब्द नहीं है. पहले औद्योगिक क्रांति से चिमनियों से धुआं निकलता था, तो उसे विकास का सूचक मानते थे. आज इस धुएं को देख कर चिंता होती है. आज स्थिति बेकाबू हो रही है. तापमान ऐसे ही बढ़ा तो पृथ्वी के लिए अस्तित्व का संकट हो जायेगा. हमारी पृथ्वी अब बीमार है. जब तक सामान्य व्यक्ति के संस्कार में पृथ्वी को बचाने, जलवायु परिवर्तन को रोकने का आचरण नहीं आयेगा तब तक हम इस संकट से नहीं निबट सकते. यह सिर्फ वैज्ञानिकों का काम नहीं है.

संकट से निबटने के लिए स्वयं प्रयास करना होगा- प्रो आरके झा

सेमिनार में देश के अलग- अलग राज्यों से वक्ता आए थे. इस अवसर पर रिसर्च पेपर के संकलनों की एक पुस्तिका के साथ ही जूलौजी विभाग के न्यूज लेटर का भी विमोचन किया गया. प्रो आरके झा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है और हमें मिल कर इस संकट से निबटना होगा. हम पृथ्वी की रक्षा नहीं करेंगे, तो पृथ्वी भी हमारी रक्षा नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सूर्य खुद जलते हुये पृथ्वी पर सभी को जीवन देता है, वैसे ही आज हमें जलवायु परिवर्तन के संकट से निबटने के लिए स्वयं प्रयास करना होगा.

इसका असर हमारे मस्तिष्क पर भी पड़ रहा- प्रो. त्रिगुण

बीएचयू से आये प्रो.एसके त्रिगुण ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी का तापमान बढ रहा है और इसका असर हमारे मस्तिष्क पर भी पड़ रहा है. यही कारण है कि मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने बताया कि पारंपरिक जीवन का तरीका ही सबसे सही था. आधुनिक अस्त व्यस्त जीवनशैली ने जलवायु परिवर्तन को बढ़ाया है.

हम चेतें और पर्यावरण के विनाश को रोकें- डॉ. अजीत

आरयू के कुलपति प्रो.डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा है कि रांची जैसे शहर में भी लू चल रही है. उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन को याद करते हुए बताया कि रांची में पंखे की कभी आवश्यकता ही नहीं होती थी. हर रोज बारिश होती थी. आज वनों के विनाश और उससे उपजे जलवायु परिवर्तन ने तापमान को खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है. अभी भी अवसर है कि हम चेतें और पर्यावरण के विनाश को रोकें.

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