झारखंड में विकराल होती जा रही है पानी की समस्या जलस्तर नीचे जाने से ज्यादातर नदी, तालाब, कुंए सूखने लगे
Ranchi : झारखंड में पानी की समस्या विकराल होती नजर आ रही है. कुछ दिनों से आसमान में घिर रहे बादल और हल्की बूंदाबंदी से लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत जरुर मिली है. पर पानी के मामले में स्थिति गंभीर बनती जा रही है. जल स्रोतों के सूखने से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है. राज्य में बहुत से चापानल खराब पड़े हैं, जलस्तर नीचे जाने से जलमीनारों पर पानी नहीं चढ़ रहा है. शहरी क्षेत्रों के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों में टेंकरों से पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है. पर आबादी के हिसाब से वह कम पड़ रहे हैं. बहुत से इलाकों में लोग रोज नहा-धो भी नहीं पा रहे हैं. कोयलांचल में गर्मी से भले ही राहत मिल गई है, लेकिन पानी का संकट जारी है. लोग जहां तहां पानी के लिए भटकते रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में पानी का इंतजाम करने के लिए लोगों को कई-कई किलोमीटर दूर पैद जाना पड़ रहा है. जमशेदपुर शहर से सटा ग्रामीण क्षेत्र हरहरगुटू इन दिनों जल संकट की समस्या से जूझ रहा है. जल संकट पर स्थानीय लोगों ने शुभम संदेश से अपनी पीड़ा व्यक्त की है. पेश है रिपोर्ट.
सूख रहीं 19 जलमीनारें पानी के लिए जहां-तहां भटकते रहे लोग
बूंद-बूंद के लिए तरसी शहर की पांच लाख आबादी
कोयलांचल में गर्मी से भले ही राहत मिल गई है, लेकिन पानी का संकट जारी है. बीते बुधवार को धनबाद शहर के लोगों को एक वक्त का पानी भी नसीब नहीं हुआ. 19 जलमीनारें सूखी रह गई. लोग जहां तहां पानी के लिए भटकते मिले. पांच लाख आबादी प्रभावित रही. पेयजल विभाग के अधिकारियों का जबाब था कि निरसा में मेन राइजिंग पाइप दो जगह लीकेज थी, कल ही ठीक कर दी गई है. अब जल मीनारों को भरा जा रहा है.दूसरी ओर निगम के अधिकारियों का कहना था कि अभी रोस्टर तैयार हो रहा है, इसके बाद जरूरत के हिसाब से जलापूर्ति की जाएगी. यहां पानी की समस्या से सभी परेशान हैं.
नगर निगम का पानी सिर्फ एक वक्त मिलता है: मोहन यादव
धनसार निवासी मोहन यादव ने बताया कि नगर निगम का पानी सिर्फ एक वक्त मिलता है. वह भी आज बंद है. पानी की दिक्कत बढ़ गई है. सरकारी चापानल भी अब तक ठीक नहीं हुआ है. कुआं से पानी लाकर किसी तरह काम चला रहे हैं.
मेन पाइप से रिसता है पानी, उसी से चलता है काम: अरुण कुमार
अरुण कुमार ने कहा हमलोगों को पानी मिलता कहां है. धनसार के पास मेन पाइप से पानी रिसता है, वहीं से लाकर काम चलाते हैं. निगम से टैंकर का पानी कहां मिल रहा है. सिर्फ घोषणा की जाती है.
जलापूर्ति है ठप, कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं: केदार साव
केदार साव कहते हैं कि धनबाद में पानी की समस्या पुरानी है. हर साल गर्मी के सीजन में दिक्कत होती है. पूरे शहर में पानी को लेकर दिक्कत है, पेयजल के लिए निगम ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की है. किसी तरह जहां तहां से काम चल रहा है.
मोहल्ले के कुंए में पानी नहीं बराबर : जगजीवन साह
राजाबगीचा निवासी जगजीवन साह ने कहा कि मोहल्ले के कुंए में पानी नहीं बराबर है. पांच चापाकल और सप्लाई वाटर पर ही यहां के लोगों को निर्भर रहना पड़ता है. सालों भर जल संकट यहां बना रहता है , लेकिन गर्मी शुरू होते ही जल संकट शुरू हो जाता है. नगर निगम की जलापूर्ति योजना भी इस मोहल्ले के लिए केवल खानापूर्ति ही साबित हुई है. इस गर्मी में अभी तक लोगों ने नगर निगम का सप्लाई टैंकर नहीं देखा है.
हर रोज नियमित जलापूर्ति नहीं होती है : राजू केसरी
छत्तीसी मोहल्ला के राजू केसरी की माने तो सप्लाई वाटर एक दिन छोड़ कर ही आता है. कभी-कभी चार-पांच दिन में एक बार आता है. मोहल्ले के लोगों की दिनचर्या चापाकल और भरिया (पानी पहुंचाने वाला) पर ही आश्रित हो गया है. एक परिवार में अगर औसतन 5 से 6 सदस्य हैं तो उन्हें अधिकतर चार से पांच डिब्बा (1 डब्बे में 15 से 20 लीटर ) में ही दिन गुजारा करना पड़ता है.
लापरवाही से 14 करोड़ की महत्वाकांक्षी जलापूर्ति योजना हुई बेकार
दो दर्जन गांवों के करीब 50 हजार की आबादी की कैसे बुझेगी प्यास
बरही की बसरिया उर्फ पंचमाधव पंचायत के कारीमाटी में 14 करोड़ की लागत से जलमीनार का निर्माण किया जा रहा है. इस जलमीनार से करीब दो दर्जन गांवों की 50 हजार की आबादी की प्यास बुझेगी. इस जलमीनार से पंचमाधव, दुलमहा, गुड़ियो, करियातपुर तक जलापूर्ति की जानी है. यह जलमीनार इस क्षेत्र की चिरप्रतीक्षित और अति महत्वाकांक्षी योजना है. परंतु निर्माण में घटिया गिट्टी, बालू आदि सामग्री का खुलकर प्रयोग किया जा रहा है.निर्माण कार्य को लेकर प्रारंभ से ही आरोप लगाए जाते रहे हैं.
राजमिस्त्री ने की थी घटिया सामग्री की पुष्टि
निरीक्षण के क्रम में घटिया मेटल से जलमीनार की ढलाई की तैयारी की जा रही थी. निर्माण में प्रयोग होने वाले मेटल की न तो कोई साइज थी और न ही गुणवता. इसकी पुष्टि निर्माण कार्य में लगे राजमिस्त्री ने भी की है.
शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं : विधायक प्रतिनिधि
सबंधित मामले में बरही विधायक प्रतिनिधि छट्ठू यादव ने बताया कि विधायक उमाशंकर यादव के प्रयास से यह महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की गई है. परंतु घटिया सामग्री और लचर व्यवस्था से जलमीनार की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. उन्होंने भी इसकी शिकायत जेई बिमल किशोर से की है. जेई ने संवेदक को मेटल में बदलाव लाने का निर्देश भी दिया, परंतु स्थिति यथावत बनी हुई है.
हजारीबाग :
शहर के खीरगांव में एक चापाकल के सहारे 800 परिवारों की बुझ रही प्यास
हजारीबाग शहर के खीरगांव में इन दिनों पानी की भारी किल्लत है. यहां एक चापाकल के सहारे 800 परिवारों की प्यास बुझ रही है. वहीं 160 घरों में 12 बोरिंग कराई गई, लेकिन इनमें तीन चापाकल ही सही निकले. लेकिन उसमें भी खारा पानी आता है, जो पीने लायक नहीं है. नौ चापाकलों में पानी नहीं आया. पासवान मोहल्ला खीरगांव में मात्र एक चापाकल है. इसी चापाकल के भरोसे करीब 800 परिवार जैसे-तैसे अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
यह दलितों के साथ मजाक है, मुहल्ले की बोरिंग खराब पड़ी है : रत्नी देवी
खीरगांव स्थित पासवान मोहल्ले की रत्नी देवी का कहना है कि सरकार दलित परिवार के साथ मजाक कर रही है. बोरिंग तो करवाई गई, लेकिन वह खराब हो गई है. चंदा कर एक चापाकल लगवाए, तो वह भी टूट चुका है. अब उसमें तार बांध कर पानी निकाल रहे हैं.
कुंए-तालाब सूख चुके हैं, पानी के लिए हो रही परेशानी : सोमरी देवी
सोमरी देवी कहती हैं कि आसपास का कुआं-तालाब भी सूख चुके हैं. ऐसे में उन लोगों को पानी के लिए दिक्कत हो रही है. वे लोग बूंद-बूंद पानी की जुगाड़ मुश्किल से कर रहे हैं. अगर कोई अतिथि आते हैं, तो समस्या और भी बढ़ जाती है. न पीने के लिए और न नहाने की कोई व्यवस्था कर पा रहे हैं.
बहुत दिनों से खराब पड़े हैं चार चापानल : बलदेव पासवान
मोहल्ले में कुल पांच चापाकल हैं, जिसमें चार खराब हैं. सरकार की ओर से बोरिंग कराई गई थी. टंकी बनाई गई थी, जो वर्षों से खराब पड़ी हैं. 800 परिवार एक ही चापाकल पर लाइन में लगकर पानी लेते हैं. इसके लिए दो बजे रात से ही पानी के लिए घर से निकलना पड़ता है. बगल में एक कलोदरी तालाब था, वह भी सूख गया.
पानी की कमी,भीषण गर्मी में भी नहा नहीं पा रहे : केदार पासवान
केदार पासवान कहते हैं कि दो दिनों से वह नहा नहीं पा रहे हैं. इस वजह से बीमार पड़ते जा रहे हैं. राशन से ज्यादा जरूरत पानी की है, जिसकी जुगाड़ में लगे रहते हैं. सक्षम परिवार पानी का जार मंगवाते हैं, लेकिन वे लोग दिन भर मजदूरी करने के बाद शाम को पानी के लिए तरस जाते हैं.
जनप्रतिनिधि को पानी की कोई फिक्र ही नहीं : विशाल पासवान
विशाल पासवान कहते हैं कि मुहल्लेवासी की प्यास नहीं बुझ रही है, लेकिन इन परेशानियों से जनप्रतिनिधि को कोई फिक्र ही नहीं है. कहने को कई चापाकल हैं पर एक बूंद पानी नहीं निकलता है. सरकार की इतनी योजनाएं चल रही हैं. लेकिन इस मुहल्ले की समस्या पर किसी की नजरें नहीं जा रही है.
पुसालोटा के कई टोलों में खराब पड़ी हैं सोलर जल मीनार, पानी के लिए परेशान हैं ग्रामीण
चक्रधरपुर प्रखंड की सिलफोड़ी पंचायत के पुसालोटा गांव के ग्रामीण इन दिनों भीषण गर्मी में पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. गांव के अधिकांश टोला में चापाकल व सोलर जल मीनार पिछले कई महीनों से खराब पड़ी हुई हैं. इसके कारण इस भीषण गर्मी में ग्रामीणों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी से पूर्व चापकालों की अगर मरम्मत करा दी जाती तो इस भीषण गर्मी में पानी के लिए परेशानी नहीं उठानी पड़ती. ग्रामीणों ने कहा कि गांव के हांगेसाई, बुरुसाई की आबादी लगभग 300 से अधिक की है. इन दोनों टोलों में लगी सोलर जलमीनार व चापाकाल खराब पड़े हुए हैं. इसे लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों को जानकारी दी गई है, लेकिन इसके बावजूद पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. गर्मी के कारण नदी, नाले, भी सूखने लगे हैं. जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पानी के लिए हो रही परेशानी, लेकिन नहीं हो रहा समाधान:गणेश बोयपाई
बोयपाई पुसालोटा गांव के ग्रामीण गणेश बोयपाई ने कहा कि इस भीषण गर्मी में पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. टोले का चापाकल खराब रहने से पानी के लिए लंबी दूरी तय कर दूसरे टोला जाना पड़ता है. गांव में खराब चापाकल को ठीक करने के लिए कई बार बैठक भी हो चुकी है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.
पानी के लिए तय करनी पड़ती है काफी लंबी दूरी : मानी कांडेयांग
पुसालोटा गांव के हांगेसाई टोला निवासी महिला मानी कांडेयांग ने बताया कि इस भीषण गर्मी में ग्रामीणों को पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है,तब जाकर पीने का पानी मिल पाता है. गांव में लगी सोलर जल मीनार लगभग पिछले छह महीने से खराब पड़ी हुई है.वहीं सोलर जल मीनार भी अक्सर खराब हो जाती है. पानी के लिए ग्रामीण दूसरे टोला जाते हैं जहां चापाकल पर बड़ी भीड़ उमड़ती है.
नल जल योजना का सही तरीके से नहीं कराया जा रहा काम: रमेश कोड़ाह
पुसालोटा गांव निवासी किसान रमेश कोड़ाह ने कहा कि नल जल योजना का लाभ सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है. संवेदक द्वारा घटिया तरीके से काम कराए जाने के कारण कई जगह पर पाइपलाइन टूटने लगे हैं,वहीं डीप बोरिंग भी सही तरीके से नहीं कराया जा रहा है. नल जल योजना का लाभ सभी ग्रामीणों को मिलना चाहिए. इस दिशा में सरकार की ओर से ध्यान देने की जरुरत है.
चापाकलों और सोलर जलमीनार को ठीक किया जाए : सुनीता कांडेयांग
पुसालोटा गांव के बुरूसाई टोला निवासी महिला सुनीता कांडेयांग ने कहा कि क्षेत्र में कई चापाकल और सोलर जलमीनार खराब पड़े हुए हैं.जिसकी मरम्मत कराई जानी चाहिए. टोले में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की आबादी रहने के बावजूद पानी की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. पंचायत प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों को भी इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.
जमशेदपुर
गर्मी आते ही जल संकट शुरू हो जाता है. पानी का इंतजाम करना लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. पानी का इंतजाम करने के लिए लोगों को कई-कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. जमशेदपुर शहर से सटा ग्रामीण क्षेत्र हरहरगुटू इन दिनों जल संकट की समस्या से जूझ रहा है. पानी का लेयर काफी नीचे चले जाने के कारण सरकारी चापानल सूख गए हैं. वहीं सोलर जलमीनार भी दिखावे की वस्तु बन गई है. जल संकट से सभी परेशान हैं.
घंटों इंतजार करना पड़ता है, तब मिलता है पानी : अशोक मुंडा
हरहरगुटू के रहने वाले अशोक मुंडा ने बताया कि मुहल्ले में पानी की किल्लत कई महीनों से है, लेकिन जन प्रतिनिधियों को इसकी चिंता नहीं है. स्थानीय लोगों के सहयोग से घाघीडीह में एक सार्वजनिक बोरिंग करायी गई है, जो 24 घंटे चलता है. यह बोरिंग बड़ी आबादी के लिए वरदान साबित हो रहा है. लोग 24 घंटे पानी भरते हैं. लंबी लाइन होने के कारण लोगों को इंतजार करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि बागबेड़ा जलापूर्ति योजना में करोड़ों रुपया खर्च किया गया. यह जन उपयोगी योजना है.
रतजगा कर अपने लिए पानी का करते हैं इंतजाम : प्रेम पात्रो
सोमाय झोपड़ी के रहने वाले प्रेम पात्रो ने बताया कि पानी के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है. कभी-कभी रतजगा करना पड़ता है. तब पानी उपलब्ध हो पाता है. उन्होंने कहा कि बागबेड़ा, हरहरगुटू, घाघीडीह, सोमायझोपड़ी, गिद्दी झोपड़ी में एक बड़ी आबादी रहती है. लेकिन जल सुविधा नगण्य हैं. पंचायत की ओर से सोलर एवं मोटर जलमीनार स्थापित किए गए हैं. लेकिन पानी का लेयर काफी नीचे चले जाने के कारण सभी शोभा की वस्तू बन गए हैं. इसलिए दूसरे मुहल्ले में जाकर पानी लाना पड़ता है.
पानी के लिए परेशानी मुहल्ले में नहीं आता है टैंकर : निमाई सरदार
हरहरगुटू काली मंदिर के समीप रहने वाले निमाई सरदार ने बताया कि उनके मुहल्ले में पानी की समस्या हर वर्ष रहती है. बरसात एवं ठंड के सीजन में पानी का लेयर ऊपर रहने से सार्वजनिक चापानल से पानी निकलता है. जिसके कारण परेशानी कम होती है. लेकिन गर्मी आते ही पानी की किल्लत शुरु हो जाती है. उन्होंने कहा कि कई कंपनियों की ओर से टैंकर भेजकर पानी की आपूर्ति की जाती है. लेकिन उनके मुहल्ले में पानी का टैंकर नहीं आता है. जिसके कारण उन्हें दूसरे मुहल्ले से पानी लाना पड़ता है.
बुढ़ापे में पानी ढोने को हैं मजबूर : एमएम विशनोई
हरहरगुटू के रहने वाले एमएम विशनोई रिटायर्ड पर्सन हैं. उन्होंने कहा कि उनका बेटा ड्यूटी चला जाता है. ड्यूटी नहीं करने से घर परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए वे बुढ़ापे में अपने सामर्थ्य के अनुसार पानी ढोते हैं. छोटे जार में साइकिल से कई दफे पानी ले जाते हैं. तब घर का काम निपटता है. विशनोई ने कहा कि हरहरगुटू क्षेत्र में कई वर्षों से पानी की समस्या है. ग्रामीण जलापूर्ति योजना शुरु होने से एक उम्मीद बंधी थी कि जल संकट का समाधान हो जाएगा.
आदित्यपुर
जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है क्षेत्र में पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है. करीब करीब सभी बर्डो में पानी की किल्लत है. पाइप लाइन जलापूर्ति के लिए वार्ड 13 स्थित सालडीह की महिलाएं रतजगा करती हैं. वे कहती हैं कि पानी कब आएगा इसका समय निर्धारित नहीं है. इसलिए चौकन्ना रहना पड़ता है. यह समस्या पिछले कई वर्षों से है. पानी की समस्या को लेकर जन प्रतिनिधियों से शिकायत की गई पर कोई सुनवाई नहीं होती है.समस्या जस के तस बनीं हुई है.
10 वर्षों से गर्मी में हो रही है पानी की दिक्कत: कुसुम सोनकर
सालडीह बस्ती निवासी कुसुम सोनकर कहती हैं कि पिछले 10 वर्षों से गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या हो जाती है. सुबह 3 बजे से ही उठकर पानी आने का इंतजार करती हूं. जिस दिन सोयी रह गई उस दिन पानी नहीं मिलता है. पाइप लाइन से अगर पानी नहीं मिलता है तो फिर हमलोग टैंकर का इंतजार करते हैं. क्या करें पानी की बहुत दिक्कत है.
पानी आने का कोई समय निर्धारित नहीं है : कमला देवी
सालडीह बस्ती निवासी कमला देवी कहती हैं कि पानी की बहुत दिक्कत है. किसी तरह गुजारा कर रही हूं. पाइप लाइन जलापूर्ति का बुरा हाल है. पानी आने का कोई समय निर्धारित नहीं है. रातभर जागती रहती हूं कि पता नहीं कब पानी आ जाये. अगर पानी आता भी है तो 2 बाल्टी मुश्किल से भर पाती हूं. घर में 8 परिवार हैं, बड़ी मुश्किल से गुजारा होता है. इसका समाधान जरुरी है.
पानी के इंतजार में रात भर जागती रहती हूं : सुलेखा देवी
सालडीह बस्ती निवासी सुलेखा देवी कहती हैं कि वह पानी के लिए रातभर नहीं सोती हैं. कभी 12 बजे रात में, कभी 2 बजे तो कभी 4 बजे भोर में पानी आता है. इसी आस में रातभर जागती हूं. कभी-कभी पार्षद टैंकर भी मंगवाती हैं, लेकिन उससे दो बाल्टी पानी ही मिल पाता है. क्या करें? इतना भी सक्षम भी नहीं हूं कि खरीद कर पानी पी सकूं. हम सबका बहुत बुरा हाल है.
घर में खाने के लिए सब कुछ है, लेकिन पानी नहीं : दीपा देवी
सालडीह बस्ती निवासी दीपा देवी कहती हैं कि उनके घर में सारा कुछ है. खाने की कमी नहीं है, लेकिन पानी नहीं है. इससे बहुत बुरा हाल है. हमलोगों का 40 साल पुराना पानी कनेक्शन है. 10 साल पूर्व तक ठीक-ठाक पानी मिलता था, लेकिन अब दो बाल्टी पानी भी नहीं मिल रहा है. नगर निगम जाकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है. मोहल्ले के सभी लोग परेशान हैं.
चाईबासा
चाईबासा के मझगांव प्रखंड के सोनापोस पंचायत अंतर्गत चतरीसाई गांव में एक माह से सोलर जलमीनार खराब है. चुआं (गड्ढे) के पानी से 500 से अधिक ग्रामीण अपनी प्यास बुझा रहे हैं. राज्य सरकार पेयजलापूर्ति के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चला रही है, ताकि राज्य की जनता को शुद्ध पेयजल मिल सके, लेकिन चतरीसाई गांव के ग्रामीणों को पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. पूरे गांव में 4 टोले हैं. इसमें मात्र दो नलकूप हैं. जो एक माह से खराब हैं. स्थिति यह है कि आदमी के साथ-साथ पशुओं के लिए भी पेयजल की व्यवस्था करना लोगों को कठिन हो रहा है. गांव के लोग तो अपने लिए पानी नदी से लेकर चले आते हैं.
टोला में दो चापाकल लगे हैं, दोनों खराब पड़े हैं : परमेश्वर सुंडी
लतारसाई के परमेश्वर सुंडी ने बताया कि उनके टोला में दो चापाकल हैं. उस पर लगभग 60 से 70 परिवार निर्भर हैं, लेकिन अब दोनों चापाकल खराब हैं. अब सुबह में टोला की महिलाएं नदी जाकर पानी लाती हैं. उसी से दिन भर पीने का काम चलता है, नहाने के लिए तो सभी नदी पर जाते हैं. गर्मी के कारण परेशानी और बढ़ गई है. खराब चापनलों को ठीक करने की जरुरत है.
जलमीनार ठीक करने के लिए ग्रामीण ही देते हैं पैसा : पांडू सुंडी
लतारसाई टोला के पांडू सुंडी ने बताया कि खराब चापाकल या जलमीनार को ठीक कराने के लिए गांव के लोग ही पैसे देते हैं, लेकिन अभी तक न तो जल मीनार ठीक हुई है न ही चापाकल. इस ओर न तो जनप्रतिनिधि ध्यान देते हैं और न ही विभाग के पदाधिकारी. मजबूरन पानी के लिए दो किलोमीटर दूर नदी जाना पड़ता है. लोगों का बुरा हाल है. जल्द ही जलमीनार और चापानल को ठीक करने की जरुरत है.
पानी लाने के लिए रोरो नदी जाने को मजबूर हैं : काले सुंडी
लतारसाई टोला के काले सुंडी ने बताया कि पानी की समस्या से सभी परेशान हैं. हम लोग तो पानी के लिए नदी चले जाते हैं. समस्या गांव के जानवरों को लेकर है. पानी की किल्लत के कारण परेशानी बढ़ गई है. किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं है. मजबूरी में गांव के लोग सुबह-शाम नदी से पानी लाने के लिए जाते हैं. सरकारी स्तर से इस दिशा में पहल करने की
जरुरत है.
एक साल से जलमीनार खराब है, कोई देखने वाला नहीं : रमाय सुंडी
लतारसाई की रमाय सुंडी ने बताया कि यह समस्या एक साल से टोले के लोग झेल रहे हैं, क्योंकि एक साल से जलमीनार खराब है. जल मीनार के खराब होने से पानी की समस्या गंभीर हो गई है. तालाबों के सूख जाने से पशुओं को दिक्कत हो रही है. गांव के लोग नदी से पानी लेकर आते हैं. इसी से घर का काम चलता है. नदी के पानी की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. वह भी सू्खने के कगार पर है.
एक किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है पानी : तुलसी केड़ाई
प्राथमिक विद्यालय चतरीसाई की संयोजिका तुलसी केड़ाई कहती हैं कि रोजाना करीब 80 बच्चों का मध्याह्न भोजन बनता है, लेकिन एक माह से जल मीनार खराब पड़ी है. इसके कारण एक किलोमीटर दूर से पानी लाकर एमडीएम बनाना पड़ रहा है. गर्मी के कारण लोग ऐसे ही परेशान हैं. पानी की किल्लत से सभी की परेशानी और बढ़ा गई है.इस ओर ध्यान देने की जरुरत है.
42 डिग्री तापमान में दूर से लाना पड़ता है पानी : दशमती पिंगुवा
चतरीसाई गांव की दशमती पिंगुवा कहती हैं कि अप्रैल में यहां तापमान 42 डिग्री सेल्सियस है. इस गर्मी में परिवार की प्यास बुझाने के लिए एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है. इससे पूर्व पानी के कारण परिवार के कई सदस्य बीमार पड़ चुके हैं. अब फिर से बीमार होने की आशंका बनी हुई है. बीमार होने से इलाज की भी उचित व्यवस्था यहां नहीं है.इस वजह से हम सभी की चिंता बढ़ गई है.
दो चापाकल लगाए गए हैं जिनमें से एक खराब है : पदमी केड़ाई
चतरासाई गांव की ही पदमी केड़ाई ने कहा है कि पूरे गांव में मात्र दो चापाकल हैं. उसमें से एक खराब पड़ा हुआ है और एक में इतनी भीड़ रहती है कि एक घंटा इंतजार करने पर एक बाल्टी ही पानी मिल पाता है. इसलिए पानी लाने के लिए गांव से एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.इसमें काफी समय लगता है. यहां गर्मी आते ही पानी की समस्या शुरू हो जाती है. इसका निराकरण शीघ्र होना चाहिए.
खेत में बने चुआं से पानी लाने के लिए हैं मजबूर : हेमा देवी
चतरासाई की हेमा देवी ने कहा कि जब से सोलर जलमीनार खराब हुई है, मजबूरी में खेत में बने चुआं से पानी लाना पड़ता है. पानी के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन किसी ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है. अगर जलमीनार शीघ्र ठीक नहीं हुई तो आनेवाले दिनों में स्थिति और विकट हो जाएगी. सुबह होते ही पानी की चिंता हम सभी को सताने लगती है.
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