झारखंड : मदरसा और संस्कृत स्कूल के बच्चों को भी छा – Lok Shakti
November 2, 2024

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झारखंड : मदरसा और संस्कृत स्कूल के बच्चों को भी छा

क्लास 1 से 10 तक में पढ़ाई कर रहे बच्चों को मिलेगा योजना का लाभ
अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग वर्ग के बच्चे होंगे लाभान्वित
वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए 100 करोड़ का बजटीय प्रावधान

Nitesh Ojha

Ranchi : राज्य के 213 मदरसों एवं 39 संस्कृत विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को भी प्री-मैट्रिक छात्रवृति योजना का लाभ मिलेगा. योजना का लाभ अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी), पिछड़ा वर्ग (बीसी) वर्ग के बच्चे ले पाएंगे. इसके लिए राज्य सरकार ने प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना नियमावली-2022 में संशोधन किया है. संशोधन नियमावली को कैबिनेट से भी स्वीकृति मिल गयी है. पिछले साल अगस्त माह में हेमंत सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति देने से संबंधित नियमावली बनाने की स्वीकृति दी थी. नियमावली बनने के साथ झारखंड प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के स्वरूप में बदलाव करते हुए छात्रवृत्ति राशि में तीन गुना बढ़ोतरी की गयी थी. उस समय नियमावली में केवल सरकारी स्कूलों को जोड़ा गया था, लेकिन मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को छोड़ दिया गया था. अब नियमावली में संशोधन कर इन्हें जोड़ा गया है.

प्री-मैट्रिक छात्रवृति भुगतान के लिए 100 करोड़ रुपये की स्वीकृति

संशोधित नियमावली में अन्य विद्यालयों को जोड़ा गया है. इसमें झारखंड के सरकारी सहायता व अनुदान प्राप्त विद्यालय, गैर सरकारी अल्पसंख्यक प्रारंभिक विद्यालय, गैर-सरकारी अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालय, अराजकीय प्रस्वीकृत मदरसा एवं संस्कृत विद्यालय शामिल हैं. इन विद्यालयों में क्लास एक से 10 तक में पढ़ाई कर रहे अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के छात्र- छात्राओं को प्री-मैट्रिक छात्रवृति योजना का लाभ मिलेगा. प्री-मैट्रिक छात्रवृति भुगतान में इस वित्तीय वर्ष में 100 करोड़ रुपये खर्च होंगे. जल्द ही सारी प्रक्रिया पूरी कर छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जाएगी.

जानिए राज्य में मदरसा-संस्कृत स्कूलों की स्थिति

180 मान्यता प्राप्त मदरसा हैं झारखंड में, इन्हें एकीकृत बिहार के समय ही मान्यता प्राप्त है.
33 मदरसों को झारखंड गठन के बाद मान्यता मिली है. अनुदान भी मिलता है.
33 मान्यता प्राप्त संस्कृत विद्यालय हैं राज्य में
24 स्कूलों के विद्यार्थी मध्यमा (मैट्रिक) परीक्षा में शामिल होते हैं
17 सरकारी संस्कृत विद्यालय हुआ करते थे एकीकृत बिहार
06 राजकीय (सरकारी) संस्कृत स्कूल भी हैं राज्य में
राज्य के देवघर, रांची, हजारीबाग, मेदिनीनगर, धनबाद व चाईबासा जिले में हैं सरकारी संस्कॉत स्कूल
सबसे ज्यादा मदरसे हैं संथालपरगना में
मदरसों की संख्या के हिसाब से संथालपरगना प्रमंडल सबसे आगे हैं.

67 मदरसे हैं गोड्डा जिले में (सबसे अधिक)

43 साहिबगंज में
26 पाकुड़ में
09 देवघर में
16 हजारीबाग में
04 कोडरमा में
05 गिरीडीह में
04 धनबाद में
03 पूर्वी सिंहभूम में
02 रांची में
01 गुमला में,
05 पलामू में
मदरसों के प्रति बच्चों में बढ़ेगी रुचि

राज्य में मदरसों में पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, वर्ष 2013 की मदरसा की परीक्षा में कुल 33,650 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे, जो वर्ष 2022 में घटकर 12,607 हो गए. विद्यार्थियों की संख्या कम होने का कारण मदरसा में पढ़नेवाले विद्यार्थियों को सरकारी योजना के तहत छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएं नहीं मिलनी है. बता दें कि मदरसों में केवल मध्याह्न भोजन दिया जाता है. लेकिन बच्चों को पोशाक, किताब, छात्रवृत्ति नहीं दी जाती है.

बच्चे छात्रवृत्ति को लेकर सवाल पूछते थे, अब नहीं पूछेंगे : शुजाउल हक

मदरसा इस्लामिया, रांची सदर में पढ़ा रहे शिक्षक शुजाउल हक ने बताया कि सरकार की इस पहल से मदरसों के बच्चे काफी प्रभावित होंगे. छात्रवृत्ति योजना का लाभ नहीं मिलने से दुखी हो बच्चे हमेशा पूछते रहते थे कि सरकारी स्कूल के बच्चों को छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलता है, तो हमें क्यों नहीं. अब यह सवाल बच्चे शायद नहीं पूछेंगे. बच्चों की मदरसों में पढ़ाई करने के प्रति रुचि भी बढ़ेगी.

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