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लखनऊ: यूपी में अपनी तरह का एक अनोखा मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने डीआईजी (कारागार) शैलेंद्र कुमार मैत्रेय का डिमोशन कर दिया है। उन्हें वरिष्ठ जेल अधीक्षक बना दिया गया है। कहा गया है कि मैत्रेय को उनके खिलाफ लंबित कुछ विभागीय जांचों में मंजूरी के बिना प्रमोट किया गया था।
जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति के कार्यालय से इस संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि प्रमुख सचिव (जेल प्रशासन) राजेश कुमार सिंह ने मंत्री के निर्देश पर डिमोशन का आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ राज्य सरकार की जीरो टालरेंस नीति के मद्देनजर डिमोशन का आदेश दिया गया है।
2007 में हुए थे सस्पेंड
2007 में बस्ती में जेल अधीक्षक के पद पर तैनात रहने के दौरान मैत्रेय की भूमिका संदिग्ध पाए जाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। शाइन सिटी के करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी मामले के प्रमुख आरोपी आसिफ नसीम द्वारा जेल में बंद रहने के दौरान मुख्तारनामा तैयार करने की जांच के दौरान उन पर पक्षपात का आरोप लगाया गया था। अधिकारियों ने कहा कि अगस्त, 2022 में कथित तौर पर जेल अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर करके उनकी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार की गई थी।
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