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तीन मार्च को विधानसभा में पेश होने वाले बजट पर चिकित्सकों ने कहा- स्वास्थ्य बजट बढ़े

Ranchi: झारखंड विधानसभा में तीन मार्च को पेश होने वाले बजट को लेकर चर्चा तेज हो गई है. समाज के हर वर्ग के बीच सामान के दाम और बढ़ती महंगाई को लेकर चर्चा आम है. वर्ष 2023 सभी के लिए विशेष है. कारण कोराना काल के बाद कमोवेश सभी चीजों के दाम पहले से बढ़े हुए हैं. अगले साल देश में चुनाव भी है. यह कारण है कि लोगों की नजर इस समय सरकार के काम काज पर है. आम बजट के बाद अब झारखंड के बजट पर लोगों की नजर है. राज्य में बहुत सारी योजनाएं चल रही है. कुछ लंबित हैं. इन सब के लिए सरकार को पैसे की जरुरत है. दूसरी ओर महंगाई सहित आम आदमी की चिंता भी उसे करनी है. हर वर्ग की अपनी सोच और सरकार से मांग है. चिकित्सकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए अतिरिक्त भत्ता देने,दवाइयों के दाम कम करने, ग्रामीण इलाकों ने नए स्वास्थ्य केन्द्र खोलने जैसी बातें कही है. ज्यादातर चिकित्सकों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार से बजट बढ़ाने की बात कही है. शुभम संदेश की टीम ने बजट को लेकर चिकित्सकों से बात की है. पेश है रिपोर्ट.

हेल्थ सेक्टर में सिंगल विंडो सिस्टम लागू करे सरकार : डॉ. एके लाल

जमशेदपुर के पूर्व सिविल सर्जन डॉ एके लाल ने कहा कि सभी को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना बहुत बड़ी समस्या है. आम लोगों की मूलभूत सुविधा में स्वास्थ्य काफी अहम है. सरकार को चिकित्सा के क्षेत्र में बजट बढ़ाने की जरूरत है. इससे आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो सकेगी. साथ ही ज्यादा से ज्यादा चिकित्सा संस्थान को बढ़ावा मिले, इस दिशा में सरकार को प्रयास करने की जरूरत है, जिससे परेशानियों के बगैर लोग इस क्षेत्र में आगे आ सकें. सरकार को स्वास्थ्य सुविधा प्रदाताओं की जरूरी परेशानियों को दूर करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को लागू करना चाहिए, जिससे एक ही जगह अथवा एक ही प्रमाणपत्र से सारी कमियां दूर हो सकें.

हेल्थ फॉर ऑल के लिए बजटीय प्रावधान बढ़ाए सरकार 

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डॉ. अखौरी

जमशेदपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अखौरी मिंटू सिन्हा ने कहा कि सरकार को हेल्थ फॉर ऑल की दिशा में कार्य करने की जरूरत है. तभी सभी को इसके दायरे में लाने के साथ-साथ उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कई दौर से स्वास्थ्य सेवा में बजट का दो प्रतिशत तक ही प्रावधान होता आया है. इसे बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने की जरूरत है. राज्य के चिकित्सक आज कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. केंद्र एवं अन्य राज्यों में सरकारी चिकित्सकों को सातवां पेंशन आयोग का लाभ मिल रहा है, जबकि यहां अब तक नहीं हो पाया है. इस बजट में सरकार इसके लिए प्रावधान करे तथा लागू करे. साथ ही योजनाएं बनाने के साथ-साथ उसका अनुपालन एवं उपयोग की दिशा में कारगर कदम उठाने की जरूरत है.

चिकित्सकों की सुरक्षा व सहायता की गारंटी दे सरकार 

डॉ. सौरभ चौधरी

जमशेदपुर के ऑर्थोपेडिक सर्जन सह आईएमए जमशेदपुर चैप्टर के सचिव डॉ सौरभ चौधरी ने कहा कि सरकार को अपना बजट एवं बजटीय प्रावधान यहां के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर लागू करना चाहिए. चिकित्सा सेवा में विस्तार के लिए सरकार क्या-क्या कदम उठा सकती है. स्वास्थ्य सेवा लोगों की मुलभूत जरूरतों से जुड़ा हुआ है. सार्वजनिक चिकित्सा संस्थानों को संवारने के साथ-साथ निजी चिकित्सा संस्थानों पर अलग कर अथवा भार नहीं लगाना चाहिए. वहीं सरकार को चिकित्सकों की सुरक्षा एवं सहायता की गारंटी देनी चाहिए. चिकित्सा एवं चिकित्सक हित से जुड़े कई मामले सरकार के स्तर पर लंबित है. इस दिशा में सरकार को ठोस निर्णय लेने की जरूरत है.

बजट में स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ करे सरकार 

रवींद्र नाथ ठाकुर

जमशेदपुर के झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला मंत्री रवींद्र नाथ ठाकुर ने बताया कि बजट किसी भी प्रदेश का आईना होता है. सरकार प्रत्येक क्षेत्र के विकास का खाका तैयार करती है. साथ ही उसके अनुरूप बजटीय प्रावधान करती है. स्वास्थ्य सेवा काफी अहम मुद्दा है. इस क्षेत्र में बेहतर करने के लिए सरकार को स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों की लंबित जरूरी मांगों को पूरा करना चाहिए तथा बजट में उसका प्रावधान कर उसका भुगतान कराना चाहिए. सरकार को स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी सहिया, अनुबंध पारा चिकित्साकर्मी के लिए बजट में प्रावधान कर उनका मानदेय बढ़ाना चाहिए. लंबे समय से कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को स्थायी करना चाहिए.

शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आधारभूत संरचना के विकास पर जोर दें : डॉ. केके चौधरी
जमशेदपुर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर केके चौधरी ने कहा कि सरकार का बजट आधारभूत संरचना के विकास को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड में अभी भी कई क्षेत्र पिछड़े हुए हैं. उन क्षेत्रों के समुचित विकास के लिए सरकार को विशेषज्ञों की सलाह से बजटीय प्रावधान करना चाहिए. खासकर शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों का पलायन रोकने की दिशा में कदम उठाने चाहिए एवं बजट में इसका अतिरिक्त प्रावधान करना चाहिए. झारखंड में आए दिन चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं. लंबे समय से मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट एवं क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की मांग हो रही है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

अस्पताल में आधुनिक चिकित्सा से जुड़ी मशीनें लगनी चाहिए 

डॉ. उमाशंकर वर्मा

रांची के डॉ उमाशंकर वर्मा ने कहा कि बजट में गरीबों को उचित मूल्य पर दवा और इलाज सुनिश्चित किया जाए. बहुत सारी बीमारियों के इलाज आधुनिक मशीनों के द्वारा सक्षम हैं, उन बीमारियों के लिए राज्य सरकार को अस्पताल में मशीनों को मुहैया करवाना चाहिए. आयुष मंत्रालय द्वारा बहुत सारी योजनाएं चलाए जा रही हैं. बजट में सरकार अधिक से अधिक दवाइयां गरीबों तक पहुंचे इसका प्रावधान करना चाहिए.हमारे देश में इलाज के लिए बहुत सारी पद्धतियां हैं जैसे होम्योपैथी,आयुर्वेद, एलोपेथ. सरकार को सारी पद्धतियों का प्रचार प्रसार करने चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का इलाज संभव हो सकें.

इस बार के बजट में गरीबों का विशेष ख्याल रखे सरकार 

डॉ डी. के. भागत

रांची के डॉ डी. के. भागत ने कहा कि बजट से इस बार हमें काफी उम्मीद है. सरकार को इस बार बजट में ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए जसमें गरीबों का विशेष ख्याल रखा जाए.बजट में सरकार को ऐसे जगह खर्च करना चाहिए, जहां रोजगार पैदा होने की संभावनाएं अधिक हों. सरकारी अस्पताल मैं ज्यादा से ज्याद सुविधाएं बढ़ाई जाए और स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली कि जाए. अभी बहुत से स्वास्थ्य कर्मियों का अभाव है जिसके कारण गरीबों को ठीक से चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है. इस बार की बजट से मैं आशान्वित हूं.

बजट में मिडिल क्लास फैमिली का खास ख्याल रखना चाहिए : डॉ. विजेंद्र श्रीवास्तव
रांची के डॉ विजेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि इस बार के बजट में मिडिल क्लास फैमिली का खास ख्याल रखना चाहिए. खाद्य पदार्थों के दाम काफी बढ़ गए हैं,इसलिए सरकार को इस बार के बजट में खाद पदार्थों को किफयती दरों में कैसे मुहैया कराया जाए इसका प्रावधान करना चाहिए. लोग टैक्स के दर से ज्यादा परेशान हैं. लोग उस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैं. सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है. सरकार को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ कर्मियों की निक्युक्ति करनी चाहिए. सरकार राज्य में मेडिकल स्कूल, कॉलेज खोलने के लिए विशेष बजट का ऐलान करना चाहिए.

चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए लाया जाए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट 

डॉ. सिंह

रांची के डॉ. महानंदन सिंह ने कहा कि डॉक्टर समाजसेवी होता है. डॉक्टरों को लाइसेंस के चक्कर से बचाना चाहिए. डाक्टरों की सुरक्षा अहम मुद्दा है. सरकार को डॉक्टर की रक्षा करने के लिए उपाय करना चाहिए. हम स्वास्थ्य कर्मी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की बहुत समय से मांग कर रहे हैं . मुद्दा है सरकार को उस पर भी ध्यान देना चाहिए.सरकारी मेडिकल कॉलेज की भारी कमी है . सरकार को उस पर भी ध्यान देने की जरूरत हैं.स्वास्थ कर्मियों की बाहाली करवानी चाहिए, राज्य में उनकी भारी कमी है.

मेडिकल कॉलेज बढ़ाने की जरूरत 

डॉ. आरके रंजन

चुरचू स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉ. आरके रंजन कहते हैं कि राज्य में मेडिकल कॉलेज बढ़ाने की जरूरत है. इससे स्थानीय छात्रों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मेडिकल कॉलेज खुलने से पाराकर्मियों को भी स्थायी करने का मौका सरकार मिलेगा. बजट में इस बातों पर विशेष फोकस करने की आवश्यकता है. इससे रोजगार के भी द्वार खुलेंगे और बेरोजगारी दूर होगी.

सस्ती और सुलभ हो दवाइयां 

डॉ. रूपेश कुमार

डॉ रूपेश कुमार कहते हैं कि राज्य सरकार ऐसा बजट पेश करे ताकि मेडिसीन सस्ता और सुलभ हो सके. कई बीमारियों के मेडिसीन महंगा होने के कारण, साधारण मरीज उसका सेवन नहीं कर पाते हैं. साथ ही कई ऐसे भी मेडिसीन हैं, जो सर्वसुलभ नहीं हैं. ऐसे में सरकार को इस ओर भी बजट में ध्यान देने की आवश्यकता है.

डॉक्टरों के हित में पेश हो बजट, रिक्त पदों को भरा जाए 

डॉ. एके तिवारी

डॉक्टर एके तिवारी कहते हैं के चिकित्सकों के हित में बजट पेश हो. चिकित्सा सेवा पर विशेष खर्च का प्रावधान हो. सरकार के मानदंड पर पूरी तरह खरा उतरने वाले नर्सिंग होम को सरकारी फंड मिले, ऐसी कुछ व्यवस्था बननी चाहिए. वहीं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों की सीट भरने की कवायद होनी चाहिए.

पारा स्वास्थ्यकर्मियों को स्थायी करे राज्य सरकार 

सुनीता कुमारी

पारा मेडिकलकर्मी सुनीता कुमारी कहती हैं कि राज्य सरकार का बजट ऐसा हो, जिसके तहत पारा स्वास्थ्यकर्मियों की सेवा स्थायी हो सके. पारा स्वास्थ्यकर्मियों के भी परिवार हैं. उनकी सेवा स्थायी हो जाने से वह खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगे.

अनुबंध पर सेवा देनेवाले स्वास्थ्यकर्मियों की हालत सुधारने की पहल हो : प्रतिमा
एएनएम प्रतिमा कुमारी कहती हैं कि इस बजट में राज्य सरकार अनुबंध पर सेवा देनेवाले स्वास्थ्यकर्मियों की हालत सुधारने पर पहल करे. एक तो उनकी सेवा स्थायी करने का प्रावधान लाए, वहीं मानदेय की जगह उन्हें सैलेरी दिया जाए.

स्वास्थ्य सेवाओं में गरीब लोगों को अधिक सुविधाएं मिलें 

विश्वजीत

घाटशिला के लैब कर्मी विश्वजीत रजक ने कहा कि घाटशिला के स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे वर्ग के लोगों को भी बजट से काफी आस है, इस बजट से आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं सुगम होगी. विश्वजीत रजक ने स्वास्थ्य सेवाओं में गरीब लोगों को अधिक सुविधाएं देने की मांग की है. आयुष्मान योजना के तहत गरीब लोगों को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपये की राशि की जानी चाहिए. इससे लोगों को राहत मिलेगी. वहीं, सरकारी अस्पतालों में भी दवाई और ऑपरेशन की सुविधा अधिक से अधिक दी जानी चाहिए.

मेडिकल में अधिक से अधिक छूट देने का प्रावधान किया जाना चाहिए

घाटशिला के अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शंकर टुडू ने कहा कि यदि देश में स्वास्थ्य सुविधाएं अच्छी होंगी तो आम जनता को और अधिक सुविधाएं मिल सकेंगी. इसलिए सरकार को 3 मार्च को पेश किए जाने वाले बजट में मेडिकल में अधिक से अधिक छूट देने का प्रावधान किया जाना चाहिए. यदि छूट का प्रावधान होगा तो लोगों को इलाज कराने में अधिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी.

स्वास्थ्य सेवाओं से आम लोगों को काफी उम्मीद 

डॉ. आरएन सोरेन

घाटशिला के अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सक डॉ आरएन सोरेन ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित लोगों को बजट को लेकर भी काफी उम्मीदें है. उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में भी सरकार को आयुष्मान योजना के तहत बजट को बढ़ाने का प्रावधान किया जाना चाहिए. यदि इस योजना के तहत बजट में जितनी अधिक बढ़ोतरी होगी, उतनी आसानी से ही गरीब लोग इलाज करवा सकेंगे.

आउटसोर्स की नीति को खत्म कर सरकार अपने अधीन रखे 

प्रकाश

घाटशिला के घाटशिला अनुमंडल अस्पताल के लैब टेक्नीशियन प्रकाश कुमार ने कहा कि सरकार आउटसोर्स की नीति को खत्म करे और अपने अधीन रखे. आउटसोर्स कर्मियों को सम्मानजनक मानदेय मिले जिससे कि परिवार चला सकें. जरूरी नहीं है कि आउटसोर्स कर्मियों को स्थायी करें. बजट में सरकार का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराने का प्रयास है. ऐसा होने से स्वास्थ्य व्यवस्था और काफी बेहतर होगी.

लोक लुभावन घोषणाएं व सब्सिडी बंद करे सरकार 

डॉ. राकेश इंदर सिंह

धनबाद के नामधारी अस्पताल के एमडी डॉ. राकेश इंदर सिंह ने कहा कि सरकार को लोक-लुभावन घोषणाओं की जगह राज्य के विकास व जनता के हित पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि ऐसी घोषणाओं को पूरा करने के लिए आम जनता पर ही किसी न किसी रूप में टैक्स का बोझ लाद दिया जाता है. सरकार को सभी प्रकार की सब्सिडी बंद कर विकास पर फोकस करना चाहिए. इससे टैक्स देने वालों को भी राहत मिलेगी. मरीज को जीवन देने वाली ऑक्सीजन व अन्य मेडिकल उपकरणों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया गया. ऐसी जरूरी वस्तुओं को टैक्स मुक्त करने से इलाज में सहूलियत होगी.

क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन हो 

डॉ. राकेश कुमार

धनबाद के सदर अस्पताल, धनबाद के पैथोलॉजिस्ट डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि सरकार को क्लिनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन करते हुए छोटे क्लिनिक खोलने की प्रक्रिया आसान करे. क्लिनिक छोटा हो या बड़ा सभी के लिए एक समान कागजी प्रक्रिया पूरा करनी होती है. बड़े क्लीनिक तो आसानी से सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं. लेकिन छोटे क्लिनिक वालों को इसमें काफी दिक्कतें होती हैं. इसलिए सरकार इस बजट में छोटे क्लीनिक खोलने को लेकर कुछ कागजी प्रक्रिया में रियायत का प्राधान करे.

ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टरों को मिले अतिरिक्त भत्ता 

डॉ. रवि भूषण

धनबाद के एसएनएमएमसीएच के पीजी ब्लॉक के नोडल पदाधिकारी डॉ. रवि भूषण ने कहा कि दूसरे राज्यों के डॉक्टरों को कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापित डॉक्टरों को अतिरिक्त भत्ता दिया जाता है. झारखंड में भी इसे लागू किया जाय और बजट में इसका प्रावधान हो. अतिरिक्त भत्ता मिलने से ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी नहीं होगी और लोगों का सही तरीके से इलाज हो सकेगा. डॉक्टर गांवों में जाने से कतराने की बजाय वहां स्वेच्छा से ड्यूटी करने को तैयार होंगे. इससे शहरी क्षेत्र के अस्पतालों पर मरीजों का बोझ भी कम होगा.

स्वास्थ्य विभाग का बजट बढ़ाएं, पर्याप्त फंड की व्यवस्था हो 

डॉ. विकास राणा

धनबाद के जेनरल फिजिशियन डॉ. विकास राणा ने कहा कि सरकार को इस बार स्वास्थ्य विभाग के बजट में बढ़ोतरी करनी चाहिए. जिले में जिन जगहों पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, नए स्वास्थ्य सेंटर खोलने के लिए बजट में प्रवधान किया जाए. इसके अलावा इन सेंटरों पर डॉक्टरों व पारा मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति के लिए भी पर्याप्त फंड की व्यवस्था होनी चाहिए. इससे ग्रामीण इलाकों में अधिक से अधिक चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी.

अनुबंध कर्मियों को नियमित करें, विशेष आवंटन की घोषणा हो

संजुत कुमार

धनबाद के झारखंड राज्य चिकित्सा एवं कर्मचारी संघ के महामंत्री संजुत कुमार सहाय ने कहा कि इस बार के बजट में सरकार को अनुबंध कर्मियों को नियमित करते हुए उनके वेतन आदि के लिए विशेष आवंटन की घोषणा करनी चाहिए. सहिया, सहिया साथी और बीटीटी के मानदेय में संघ की मांग के अनुरूप बढ़ोतरी होना चाहिए. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ वर्ग के सभी लिपिक व कर्मचारियों को तृतीय वर्ग में प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. टीबी विभाग के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की दिशा में भी पहल करने की जरूरत है.

सरकार को ग्रामीण इलाके पर ध्यान देने की जरूरत 

डॉ. विद्या भूषण

आईएमए के अध्यक्ष सह फिजिशियन डॉ. विद्या भूषण ने बताया कि बजट में चिकित्सा मामले में ग्रामीण इलाके पर ध्यान देने की जरूरत है. ग्रामीण इलाके के लिए जो स्वास्थ्य योजनाएं बनाई गई है, उसका लाभ गरीब ग्रामीणों तक पहुंचाया जाना चाहिए. ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए. इसकी काफी जरुरत है. इस समय ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सेवा का स्तर काफी नीचे है. चिकित्सकी की कमी के कारण ग्रामीणों का सही इलाज नहीं हो पा रहा है.

बजट में प्राथमिक उपचार केंद्र पर ध्यान देना जरूरी 

डॉ. अशोक वर्मा

गिरिडीह शहरी क्षेत्र में नर्सिंग होम संचालक डॉ. अशोक वर्मा ने बताया कि बजट में प्राथमिक उपचार केंद्र पर ध्यान देना जरूरी है. स्वास्थ्य की पहली कड़ी प्राथमिक उपचार है. बजट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुरुस्त करने का प्रावधान होना चाहिए. इसके अलावा बजट में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक करने तथा मलेरिया उन्मूलन के लिए निशुल्क मेडिकेटेड मच्छरदानी वितरण का प्रावधान होना चाहिए.

पारा मेडिकल चिकित्साकर्मियों की सेवा नियमित करने का प्रावधान हो.

डॉ. बीके सिंह

जमुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. बीके सिंह ने बताया कि बजट में अनुबंध पर कार्य कर रहे पारा मेडिकल चिकित्साकर्मियों की सेवा नियमित करने का प्रावधान हो. इसके साथ ही अस्पतालों में डॉक्टर और चिकित्साकर्मियों की कमी दूर करने का भी प्रावधान हो. इस समय विभिन्न जिलों के स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों की भारी किल्लत है. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कदम उठाए और रिक्त पदों पर बहाली करे.

कोई नया टैक्स लागू न किया जाए 

डॉ. सुजीत कुमार राज

कोडरमा के झुमरीतिलैया शहर स्थित होप अस्पताल के डॉ सुजीत कुमार राज ने बताया कि कर्मचारियों को राहत पहुंचानेवाला बजट हो. कोई नया टैक्स नहीं लगे और महंगाई पर कंट्रोल हो. ऐसी वस्तुओं में टैक्स से बजट को संतुलित करने की जरूरत है, जिससे आमजन प्रभावित नहीं हों. पहले से ही लोग महंगाई झेल रहे हैं. अब और महंगाई झेलना जनता के वश की बात नहीं है. पेट्रोल डीजल पर सब्सिडी आम जनता के लिए भी लागू हो.

मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग पूरी हो 

डॉक्टर प्रवीण कुमार

कोडरमा के झुमरीतिलैया शहर स्थित आर्यन हॉस्पिटल के डॉ प्रवीण कुमार ने बताया कि मेडिकल प्रोटेक्शन की मांग पूरी हो, इसके लिए बजट मैं स्कीम लाने की जरूरत है. मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सरकार को इस पर प्रमुखता से पहल करने की जरूरत है. शिक्षा में पैसे खर्च करने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए,वही पेट्रोल डीजल में सब्सिडी लागू होता कि आम जनता को महंगाई से राहत मिल सके.

पेट्रोल डीजल में सब्सिडी मिले ताकि महंगाई कम हो सके 

डॉ. नरेश पंडित

कोडरमा के झुमरीतिलैया शहर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ नरेश पण्डित ने बताया कि झारखंड में भी अन्य राज्यों की तर्ज पर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो. कई मेडिकल कॉलेज जहां शिक्षकों की कमी है उसको तुरंत सरकार कोई एक्ट बनाकर बहाली करें ताकि मेडिकल कॉलेज से अच्छे डॉक्टर निकल सके. महंगाई को कम करने के लिए पेट्रोल डीजल के सब्सिडी लागू करें ताकि महंगाई कम हो सके.

खाद्य पदार्थों पर टैक्स लागू नहीं हो 

डॉक्टर सुनील यादव

कोडरमा के झुमरीतिलैया शहर तिलैया हार्ट क्लीनिक के डॉ सुनील यादव ने बताया कि डॉक्टर की एक ही मांग है मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट जिसे झारखंड सरकार लागू करें और इस बजट में आम जनता को महंगाई से राहत देने के लिए खाद्य पदार्थों पर टैक्स और पेट्रोल डीजल में सब्सिडी लागू करें जिससे महंगाई कम हो सके.इससे आम जनता को राहत मिलेगी.

सामान के दाम न बढ़ें और रसोई गैस भी महंगी न हो

चंदन

कोडरमा के सदर अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट चन्दन कुमार पांडेय ने बताया कि रसोई गैस का दाम नहीं बढ़े और खाद्य- वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोतरी नहीं हो, बहुत मुश्किल से घर-परिवार चलाना पड़ता है और दो वक्त की रोटी जुटानी पड़ती है. ऐसे में बोझ बढ़ेगा, तो परेशानी होगी.महंगाई कम हो खाने पीने के सामानों के दाम कम हो.पेट्रोल डीजल पर सब्सिडी आम जनता के लिए भी लागू हो.

चिकित्सा उपकरण और संसाधनों की कमी दूर हो 

डॉ. राजेश कुमार

जमुआ के चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा उपकरण और संसाधनों की कमी है. बजट में इस कमी को दूर करने का प्रावधान हो. चिकित्सकों के रिटायर्ड होने की उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष का प्रावधान किया जाए. इसके साथ की आधुनिक चिकित्सा जगत में बहुत से मशीन आ गए हैं, जिससे कि चिकित्सा में आसानी होती है. सरकार को इस दिशा में भी ध्यान देने की जरुरत है.

समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से परिचर्चा

झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 27 फरवरी से शुरू हो रहा है और वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव 3 मार्च को झारखंड सरकार का सालाना बजट पेश करेंगे. कृषि बिल, नियोजन नीति और स्थानीय नीति समेत कई मुद्दों को लेकर ये बजट सत्र काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है . शुभम संदेश ने बजट सत्र को लेकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से परिचर्चा की जिसमें इन्होंने अपने विचार रखे.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट और झारखंड स्टेट ट्रांसपोर्ट का हो गठन 

प्रेम मित्तल

प्रेम मित्तल. सचिव , भारतीय उद्योग व्यापार मंडल को झारखंड सरकार के बजट से उम्मीद है कि जन कल्याण के योजनाओं पर ज्यादा फोकस रखे. झारखंड में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पूरी तरह फेल है. रांची से लेकर तमाम शहरों में लोग ऑटो पर निर्भर हैं और उनकी मनमानी से परेशान हैं. अभी तक झारखंड स्टेट ट्रांसपोर्ट नहीं है, इसका गठन होना चाहिए.

एमएसएमई और शिक्षा पर विशेष जोर दे सरकार : ज्योति कुमारी

उद्यमी ज्योति कुमारी वैद्य का कहना है कि केंद्रीय बजट में एमएसएमई और शिक्षा पर विशेष जोर था. हम राज्य सरकार से भी उम्मीद करते हैं कि इन पर जोर दें. झारखंड में 15 लाख से भी ज्यदा सूक्ष्म उद्योग हैं और 10 हजार लघु उद्योग हैं. सरकार को इन पर विशेष ध्यान देना चाहिए. वहीं राज्य में महज 7 विश्वविद्यालय हैं जो कि काफी नहीं हैं.

तकनीकी शिक्षा पर जोर हो महंगाई से भी लोगों को राहत मिले : अशोक मेहता

अशोक मेहता, दवा व्यवसायी का कहना है कि बजट ऐसा होना चाहिए जिससे आम आदमी को महंगाई से थोड़ी राहत मिले. तकनीकी शिक्षा पर ज्यादा जोर हो. राज्य की 70 प्रतिशत जनता कृषि पर आधारित है उसका विकास हो . लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को मजबूत किया जाए. दवाइयों का उत्पादन राज्य में हो जिससे यहां के लोगों को सस्ती दवाईयां मिलें.

पूरे राज्य में मंडियों की स्थिति खराब, कृषि बिल को समाप्त करे सरकार : रोहित कुमार

रांची मंडी संघ के सचिव रोहित कुमार का कहना है कि बजट से व्यवसायी समाज काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं.पूरे राज्य में मंडी की स्थिति बदतर है जबकि सरकार को वह पूरा टैक्स देते हैं. सरकार मंडियों को सुविधाएं प्रदान करे और कृषि बिल जो कि पूरी तरह से काला कानून है उसे समाप्त करे. हमारा आंदोलन अभी स्थगित है ये खत्म नहीं हुआ है.

टैक्स के बदले सुविधाएं बढ़ाए सरकार, तभी हो सकेगा राज्य का विकास : रमेश कुमार

रमेश कुमार , संयोजक, लीगल कमिटी , चैंबर का कहना है कि ऑटोमोबाईल सेक्टर पर सरकार का ध्यान कम है इस ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है राज्य में प्रतिदिन गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है और सरकार को टैक्स भी ज्यादा मिल रहा है लेकिन टैक्स के बदले सुविधाएं नहीं मिल रहीं. निगम के टैक्स से आम लोग परेशान हैं.

बजट में पेयजल की कमी के लिए विशेष तैयारी करे सरकार : पारस जायसवाल

पारस जायसवाल, इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी का कहना है कि इस बार राज्य में पेयजल संकट गंभीर होने वाला है. सरकार को इस बजट में पेयजल से निपटने के लिए विशेष तैयारी करनी चाहिए. रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू करे जिससे कि बरसात का पानी बर्बाद न हो और भूगर्भ जल बढ़े. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर को भी सरकार से राहत की उम्मीद है.

हाईवे में सुविधाएं बढ़ाए राज्य सरकार, पार्किंग की व्यवस्था करे : धीरज ग्रोवर

धीरज ग्रोवर,उपाध्यक्ष, इंडियन मूवर्स ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि सरकार को राज्य में सड़कों पर सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए. राज्य के शहरों में पार्किंग की व्यवस्था सही नहीं है हाईवे के किनारे शौचालय जैसे मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. निगम टैक्स 10 साल में 10 गुणा बढ़ गया ह. इस पर ध्यान देना चाहिए.

बजट में कृषि को प्रधानता दे सरकार, तभी राज्य का विकास होगा 

विजेंद्र प्रसाद

विजेंद्र प्रसाद , का. सदस्य, रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि झारखंड एक कृषि प्रधान राज्य है लेकिन झारखंड सरकार कृषि की प्रधानता को मानती ही नहीं हैं. केंद्र की राशि पर ज्यादा ध्यान रहता है. सरकार को केंद्र से मिलने वाली राशि के भरोसे नहीं बैठकर अपनी आय बढ़ानी चाहिए तभी राज्य का विकास होगा.

कृषि टैक्स समाप्त करे सरकार इससे राज्य के व्यापार को गति मिलेगी : कौशिक भदानी

कौशिक भदानी, का. सदस्य, रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि सरकार से हमारी एक ही विनती है कि हम व्यापारी सरकार को जो टैक्स देते हैं वह टैक्स अपने ग्राहकों से ही लेकर देते हैं . बात को ध्यान में रखते हुए जो टैक्स सरकार लगा रही है, उसे समाप्त करे जिससे किसानों और ग्राहकों पर ज्यादा बोझ न पड़े. इससे राज्य में व्यापार को गति मिलेगी.

कृषि आधारित उद्योगों पर ध्यान दे सरकार, ताकि किसानों का पलायन रुके : रितेश जैन

रितेश जैन, का. सदस्य, रांची चेंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार से अपील है कि कृषि आधारित उद्योगों को पलायन से रोके. उन्हे पर्याप्त सुविधाएं और सब्सिडी दे क्योंकि जब तक कृषि आधारित उद्योग नहीं बढ़ेंगे तब तक किसानों को फायदा नहीं होगा. इससे राज्य में पलायन बढ़ेगा. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में ध्यान दे ताकि पलायन रुक सके.

जब तक काला कानून निरस्त नहीं होगा, व्यापारियों को राहत नहीं मिलेगी : राजीव कुमार

राजीव कुमार, का. सदस्य, रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि चैंबर से तो हमें काफी उम्मीदें हैं लेकिन जब तक कृषि के काले कानून को सरकार खत्म नहीं करती है तब तक मंडी व्यवसायियों को कोई राहत नहीं मिलेगी. इसलिए सरकार से मांग है कि व्यसवायियों के हित को देखते हुए सबसे पहले इसे खत्म करे.