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मप्र हो या देश कई चुनाव के बाद यह स्थिति आई है कि सत्ताधारी दल को विपक्ष की तुलना में कम प्रतिशत से मत मिला है और वह सत्ता पर काबिज है या विपक्ष को ज्यादा और सत्तारूढ़ पार्टी को कम मत प्राप्त हुए? लेकिन मध्यप्रदेश में दो ऐसे राजनेता हैं जिनमें एक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व दूसरे बुंदेलखंड के अटल कहे जाने वाले लोक निर्माण मंत्री पण्डित गोपाल भार्गव जिनका हर चुनाव का प्रतिशत हमेशा बढ़ता ही गया है? इन दो नेताओं की स्थिति यह है इनमें से शिवराज भले ही २० वर्षों से प्रदेश की सत्ता पर काबिज हों? लेकिन उनका मतदान प्रतिशत ५३ ही रहा है? जबकि गोपाल भार्गव का चुनाव प्रतिशत हमेशा बढ़ता ही गया है और आज वह ५८.०३ प्रतिशत के मत से चुनाव जीतकर आये हैं? आगामी विधानसभा चुनाव २०२३ में भाजपा अपने इन्हीं दो पार्टी के दिग्गज नेताओं के मत प्रतिशत के मद्देनजर चुनाव मैदान में उतरेगी और उसका हर संभव यह प्रयास होगा कि वह अपने हर प्रत्याशी के मतदान प्रतिशत को बढ़ाकर कम से कम ५० प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त हों? भाजपा इस चुनाव में इसी रणनीति पर गोपाल व शिवराज के मत प्रतिशत को भुनाने के लिये चुनाव में उतरने की तैयारी में लगी हुई है?
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