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काले कानून से मुक्ति दिलाइए

Ranchi :   कृषि शुल्क विधेयक को व्यवसायियों ने काला कानून बताते हुए राज्य सरकार से उसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कृषि बिल का विवाद अब उग्र होता जा रहा है. रविवार को व्यपारियों ने विधायकों को घेरा और कहा, मदद कीजिए हुजूर, नहीं तो चौपट हो जाएगा कारोबार. इस बीच झामुमो, कांग्रेस के नेताओं के बयान में नरमी और है और वे कह रहे हैं कि सरकार किसी को परेशान होने नहीं देगी. दूसरी ओर व्यवसायियों के संगठनों ने सरकार को अल्टीमेटम भी दे दिया है कि 14 फरवरी तक बिल वापस नहीं लिया गया तो 15 फरवरी से खाद्यान्न, फल आदि वस्तुओं का आवक बंद कर देंगे. इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और व्यवसायियों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है. शुभम संदेश की टीम ने इनसे बात की है. पेश है रिपोर्ट.

किसानों के हित में मंडी टैक्स लगाया है : रियाजुद्दीन

राजद पूर्वी सिंहभूम के जिला अध्यक्ष रियाजुद्दीन खान ने कहा है कि सरकार ने अपने हिसाब से किसानों के हित में मंडी टैक्स पर दो प्रतिशत वृद्धि करने का विधेयक पारित कर दिया है, लेकिन इसको लेकर आम लोगों को कुछ असहमति है तो उस पर भी सरकार ध्यान दे. सरकार इस बिंदु पर भी विचार करे कि इसका प्रभाव आम लोगों पर पड़ेगा या नहीं. अगर आम लोगों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है तो सरकार को इस पर एक बार फिर सभी से मिलकर विचार करना चाहिये.

सरकार बीच का कोई रास्ता निकालेगी : रामदास सोरेन

झामुमो पूर्वी सिंहभूम के जिला अध्यक्ष सह विधायक रामदास सोरेन का कहना है कि मंडी टैक्स पर दो प्रतिशत टैक्स लगाने का विधेयक पास होने के मामले में सरकार फिर से विचार कर रही है. इस मामले में बीच का रास्ता निकालने का काम सरकार की ओर से किया जायेगा. मंडी टैक्स से किसी को भी परेशानी नहीं हो, इसको ध्यान में रखा जा रहा है. जल्द ही सरकार इस दिशा में कुछ फैसला लेगी. झामुमो आम लोगों की चुनी हुई सरकार है. सरकार की नजर सब पर है.

किसी को परेशान होने नहीं देगी सरकार : महावीर

झामुमो के केंद्रीय सदस्य महावीर मुर्मू का कहना है कि झारखंड में जनता की सरकार है. जनता को किसी भी तरह से परेशान होने नहीं दिया जायेगा. झारखंड के व्यापारी भी जनता ही हैं. उन्हें मंडी टैक्स को लेकर आपत्ति है तो वे अपनी बातों को सरकार के समक्ष रखें. उनकी तकलीफ को सरकार जरूर समझेगी. सभी की समस्याओं का समाधान करने के लिये सरकार कोई न कोई विकल्प अवश्य निकालेगी.

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किसानों के हित में काम करे सरकार : भरत सिंह

कांग्रेस पार्टी पूर्वी सिंहभूम के पूर्व जिला सचिव भरत सिंह का कहना है कि झारखंड सरकार ने मंडी पर दो प्रतिशत टैक्स लगाने का विधेयक तो पारित कर दिया है, लेकिन सरकार को यह भी देखना चाहिये कि इससे राज्य के किसानों को लाभ है या नहीं. अगर टैक्स बढ़ाने से किसानों को लाभ होता है तो सरकार का कदम बिल्कुल सराहनीय है. अगर किसानों को इससे फायदा नहीं पहुंचता है तो सरकार को ऐसा विधेयक पास ही नहीं
करना चाहिये.

जनता के हित में फैसला लेगी सरकार : अंकुश

कांग्रेस पार्टी पूर्वी सिंहभूम के पूर्व जिला सचिव अंकुश बनर्जी का कहना है कि झारखंड में गठबंधन की सरकार चल रही है. व्यापारी वर्ग व्यापार करते हैं. दो प्रतिशत मंडी टैक्स लगने से सामान के दाम भी बढ़ जायेंगे. ऐसे में गरीब-गुरबों को काफी नुकसान होगा. उनकी तो पहले से ही कमर टूटी हुई है. गाय के दूध का रेट नहीं बढ़ रहा है. चारा का बार-बार बढ़ रहा है. दो प्रतिशत टैक्स से महंगाई का बोझ बढ़ जायेगा. झारखंड की सरकार जनता की हितैषी है.

मंजूरी से पहले बिल पर काफी मंथन किया गया है,पर जानकारी देना जरूरी
झामुमो सरकार इतिहास रचने जा रही है : बहादुर उरांव

बहादुर उरांव, पूर्व विधायक, चक्रधरपुर का कहना है कि कृषि बिल विधेयक किसानों के हित के लिये तैयार किया गया है. इसमें किसी सामान्य वर्ग के किसान को लाभ होगा. झामुमो सरकार किसानों की हित में निर्णय कर एक नया इतिहास रचने जा रही है.इसमें व्यापारियों को भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है. जबतक व्यापारी गंभीरता से नहीं सोचेंगे तबतक विधेयक के बारे नहीं समझेंगे. किसानों को विरोध नहीं करना चाहिये.

विस्तृत जानकारी आम किसान तक पहुंचाने की जरूरत : चित्रसेन

चित्रसेन सिंकू, पूर्व सांसद, चाईबासा ने कहा है कि कृषि बिल विधेयक की विस्तृत जानकारी आम किसान तक पहुंचाने की जरूरत है. जबतक आम किसान तक विधेयक के बारे में पूरी जानकारी नहीं पहुंचेगी तबतक असमंजस की स्थिति बनी रहेगी. किसानों के हित में निर्णय तो है लेकिन आखिर किसान को किस तरह का लाभ पहुंचेगा. इसके बारे पूरे सच को आगे लाना होगा. कृषि बिल विधेयक के विरोध में व्यापारी आंदोलन कर रहे हैं.

मुन्ना पासवान

 

बहुत सोच समझकर विधेयक को पारित किया है 

रामगढ़ कांग्रेस जिला अध्यक्ष मुन्ना पासवान कहते हैं कि किसी भी विधेयक की मंजूरी देने से पहले गहरा मंथन किया जाता है. कृषि बिल विधेयक राज्य हित में है. इस विधेयक से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचने वाला है. सरकार ने बहुत सोच समझकर इस विधेयक को पारित किया है. इससे राज्य सरकार की राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी इससे किसी भी तबके कृषक व्यापारी और उपभोक्ता को किसी भी प्रकार से अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा.

प्रवीणविधेयक को व्यापारियों पर थोपना सरासर गलत 

रामगढ़ भाजपा जिला अध्यक्ष प्रवीण मेहता कहते हैं कि विधेयक को छोटे व्यापारियों और कृषकों के ऊपर थोपना सरासर गलत है. इस विधेयक को लागू होने के बाद भ्रष्टाचार चरम पर रहेगी. रघुवर सरकार के समय इस विधेयक को निरस्त कर दिया गया था. परंतु खत्म किए गए प्रावधानों को हेमंत सरकार फिर से इस विधेयक को लाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाह रही है. सरकार इस विधेयक को सिर्फ और सिर्फ व्यापारियों का दोहन करने के लिए लाई है.

व्यापारियों को नुकसान पहुंचा रही है सरकार: सतीश पुरी

तीश पुरी, अध्यक्ष, भाजपा, पश्चिम सिंहभूम का कहना है कि झामुमो सरकार कृषि विधेयक लाकर यहां के व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है. हालांकि विधेयक में अबतक किसान हित में आखिर लाभ कैसे होगा इसके बारे में विस्तृत जानकारी तक नहीं दी जा रही है. किसान को भी नुकसान होने की संभवना है.

अनमोल सिंहभ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा 

रामगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य अनमोल सिंह कहते हैं कि सरकार द्वारा 2% टैक्स लेना सरासर गलत है. एक व्यापारी जब जीएसटी भरता है. उसके बाद अलग से 2 परसेंट लेना कहीं से भी उचित नहीं है . इसका भार सीधे तौर पर कृषक व्यापारी और उपभोक्ताओं तीनों पर पड़ेगा . भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा. झारखंड के आसपास के राज्यों में जिस तरह से इस कानून को समाप्त कर दिया गया है.

किसानों के हित के लिए कृषि विधेयक सही : रूचि कुजूर

हजारीबाग के झामुमो नेत्री रूचि कुजूर ने कहा कि कृष बिल विधेयक किसानों के हित में और सही कदम है. व्यवसायियों को भी इस बिल का समर्थन करना चाहिए. अगर अगर किसान ही खुशहाल नहीं होंगे, तो कारोबार किस चीज का होगा. किसानों को अभी लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. सब्जियों के भाव गिर गए हैं. ऐसे में अगर सरकार किसानों को समृद्ध करना चाह रही है, तो इसमें व्यापारियों को सहयोग करना चाहिए.

कृषि बिल से सुधरेगी किसानों की सेहत : निशार खान

हजारीबाग के कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता निशार खान ने कहा कि कृषि बिल से किसानों की सेहत सुधरेगी. व्यवसायियों को भी इसका समर्थन करना चाहिए. किसान हित में यह बिल है. जहां तक सामानों के मूल्य वृद्धि का सवाल है, तो सरकार से साथ बैठ वार्ता कर बीच का रास्ता निकालना चाहिए. व्यापारियों को यह सोचना चाहिए कि बाजार बढ़ाने में किसानों के अन्न पैदावार का बड़ा महत्व है.

कृषि शुल्क विधेयक का समर्थन होना चाहिए : राकेश ठाकुर

हजारीबाग के जदयू नेता राकेश ठाकुर ने कहा कि कृषि बिल का समर्थन होना चाहिए. इस बिल के लागू होने से किसानों को फायदा होगा. व्यवसायियों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए. लंबे समय बाद किसानों के हित में कोई नीति बनी है, तो उसका स्वागत होना चाहिए. यह कानून किसानों की सेहत में सुधार के लिए बनाया गया है.

कृषि बिल विधेयक लाना उचित नहीं : दीपक सिंह

हजारीबाग के व्यवसायी दीपक सिंह ने कहा कि कृषि बिल विधेयक लाना उचित नहीं है. यह बिल कारोबारियों के हित में नहीं है. इससे व्यवसायी और उपभोक्ता दोनों को नुकसान है. सरकार को यह बात समझने की जरूरत है. सरकार को 14 फरवरी तक विधेयक को वापस लेने की मोहलत दी गई है. अगर सरकार ने निर्णय नहीं लिया, तो 15 फरवरी से खाद्यान्न की आवाजाही रोक लगा दी जाएगी और व्यवसायी बड़े आंदोलन की ओर रूख अख्तियार करेंगे.

कृषि बिल विधेयक का विरोध जायज है : जीतेंद्र जैन

हजारीबाग के भाजपा नेता सह व्यवसायी जीतेंद्र जैन कहते हैं कि कृषि बिल विधेयक पर राज्य सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है. व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं, जो जायज है. आखिरकार व्यवसायियों पर कर का कितना बोझ लादा जाएगा. व्यापारी वर्ग पर ही बाजार निर्भर है. कर बढ़ने से आम जनता पर बोझ बढ़ेगा.

बिल पर पुनर्विचार करने की जरूरत : शंभूनाथ अग्रवाल

हजारीबाग के व्यवसायी शंभूनाथ अग्रवाल कहते हैं कि सरकार को बिल पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. कृषि बिल विधेयक से व्यवसायी और उपभोक्ता दोनों को नुकसान है. सरकार को यह बात समझने की जरूरत है. व्यवसायियों के आंदोलन में सबको सहयोग करना चाहिए. सरकार इस बिल को वापस ले ले.

किसानों को होगा नुकसान, आम लोगों पर पड़ेगी महंगाई की मार

बाजार समिति शुल्क दोबारा लागू किए जाने के विरोध में आंदोलित चाकुलिया मिलर्स एसोसिएशन, अनाज व्यापारी, अनाज के थोक और खुदरा विक्रेताओं ने रविवार शाम बहरागोड़ा के विधायक समीर कुमार महंती से उनके आवास पर नौ सूत्री ज्ञापन सौंपा और कहा कि बाजार शुल्क लागू करने से एक देश एक कर की अवधारणा आहत होगी. कृषि उपज की कीमत कम होगी और किसान कृषि के प्रति हतोत्साहित होंगे. पड़ोसी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में यह शुल्क लागू नहीं है. ऐसे में यहां के व्यापारियों को व्यापार करने में मुश्किलें पैदा होंगी.

विधायक को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि बाजार शुल्क माफ रहने से कृषि उपज की बिक्री में वृद्धि हुई और किसानों में कृषि के प्रति उत्साह बढ़ा. शुल्क लगाने से कृषि उपज कम कीमत पर बिकेगी, इससे किसानों को नुकसान होगा. शुल्क लगाने से एक देश एक कर की अवधारणा भी आहत होगी. कहा गया है कि इस शुल्क के कारण खाद्यान्न की कीमतें बढ़ेंगी. इसका नुकसान उपभोक्ताओं को होगा. सरकार द्वारा इस शुल्क को लागू करने से व्यापारियों के दोहन का मार्ग प्रशस्त होगा. इसलिए बाजार शुल्क लगाने संबंधित विधेयक को निरस्त किया जाए. ज्ञापन सौंपने के मौके पर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक कुमार झुनझुनवाला, सचिव विनीत कुमार रुंगटा, गणेश प्रसाद रुंगटा, कंचन डे, वासुदेव रुंगटा, भरत कुमार रुंगटा, परमेश्वर रुंगटा,सुभाष कुमार लोधा, सुमित कुमार लोधा,गोविंद शर्मा,मंसूर आलम, बजरंग गोयनका, पिंटू मल्लिक मौजूद थे. विधायक समीर मोहंती ने व्यापारियों को आश्वस्त किया कि वे इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात कर आवश्यक पहल करने की मांग करेंगे.

व्यवसायियों का पलायन होगा, लाखों लोगों का रोजी-रोजगार छिनेगा

कृषि शुल्क विधेयक को व्यवसायियों ने काला कानून बताते हुए राज्य सरकार से उसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कृषि बिल का विवाद अब उग्र होता जा रहा है. रविवार को व्यपारियों ने विधायकों को घेरा और कहा, मदद कीजिए हुजूर, नहीं तो चौपट हो जाएगा कारोबार. इस बीच झामुमो, कांग्रेस के नेताओं के बयान में नरमी और है और वे कह रहे हैं कि सरकार किसी को परेशान होने नहीं देगी. दूसरी ओर व्यवसायियों के संगठनों ने सरकार को अल्टीमेटम भी दे दिया है कि 14 फरवरी तक बिल वापस नहीं लिया गया तो 15 फरवरी से खाद्यान्न, फल आदि वस्तुओं का आवक बंद कर देंगे. इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और व्यवसायियों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है. शुभम संदेश की टीम ने इनसे बात की है. पेश है रिपोर्ट.

आलू प्याज व फल थोक विक्रेता संघ का समर्थन

उधर आलू प्याज थोक विक्रेता संघ ने हरमू फल विक्रेता संघ के सदस्यों के साथ बैठक की, जिसमें डेली मार्केट, हरमू फल मंडी, चुटिया फल मंडी के व्यवसायियों ने एकजुट होकर चैंबर के आंदोलन का समर्थन करते हुए 15 फरवरी से अनिश्चितकालीन बंद का समर्थन करने का भरोसा दिया. कहा कि वे भी अपनी दुकानें बंद बंद रखेंगे.

किसानों और उपभोक्ताओं को राहत दिलाएंगे, कड़ा निर्णय लेना जरूरी

एफजेसीसीआई के नेतृत्व में राजधानी रांची में हाल ही में संपन्न हुई राज्यस्तरीय बैठक में सर्वसम्मति से 15 फरवरी से झारखंड़ में खाद्य वस्तुओं की आवक-जावक एवं कृषि मंडी की थोक दुकानें अनिश्चितकालीन के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया है. इस दौरान राइस मिल्स एवं फ्लाॅर मिल्स में भी प्रोडक्शन और सेल भी बंद कर दिया जाएगा. चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के प्रभावी होने से इंस्पेक्टर राज को प्रोत्साहन मिलने की प्रबल संभावना को देखते हुए और उपभोक्ताओं को महंगाई से बचाने के लिए इस तरह का निर्णय लेना हमारी विवशता है.

विधेयक की खामियों से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को अवगत कराएंगे

विधेयक की खामियों से सोमवार को राज्य के सभी जिलों के व्यापारी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को हजारों की संख्या पोस्टकार्ड भेज कर विधेयक वापस लेने के लिए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख पर दबाव डालने को अनुरोध करेंगे. कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को बताएंगे कि कैसे राज्य में गंठबंधन सरकार में कांग्रेस के कृषि मंत्री अव्यावहारिक बिल लाकर किसानों, व्यवसायियों और आम उपभोक्ताओं को बेवहजह परेसान करनेवाला विधेयक प्रभावी करने में जुटे हैं.

सरकार कर रही मनमानी, लेकिन व्यवसायी झुकनेवाले नहीं हैं

एफजेसीसीआई अध्यक्ष किशोर मंत्री, सह सचिव रोहित पोद्दार, रांची चैंबर ऑफ कामर्स पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी, अनिल शर्मा, दीपक पोद्दार, आलू प्याज थोक विक्रेता संघ के अध्यक्ष मदन साहू, रोहित कुमार समेत अन्य खाद्यान्न व्यापारियों ने कहा कि जबतक सरकार विधेयक वापस नहीं लेती है, उनका आंदोलन जारी रहेगा. जरूरत पड़ी तो आंदोलन और तेज कर सरकार के मंत्रियों और सत्तारूढ़ गंठबंधन दलों के विधायकों का घेराव करेंगे. एफजेसीसीआई के महासचिव डाॅ. अभिषेक रामाधीन और प्रवक्ता ज्योति कुमारी ने कहा कि सरकार की मनमानी के आगे सूबे के व्यवसायी झुकनेवाले नहीं हैं.

बालगोविंद मोदीकर बढ़ाने से आम जनता पर बोझ बढ़ेगा 

कोडरमा से बालगोविंद मोदी का कहना है कि आखिरकार व्यवसायियों पर कर का कितना बोझ लादा जाएगा. व्यापारी वर्ग पर ही बाजार निर्भर है. कर बढ़ने से आम जनता पर बोझ बढ़ेगा. इसलिए सरकार को इस बिल पर फिर से विचार करना चाहिए, उसे व्यापारियों के साथ भी बिल को लेकर चर्चा करनी चाहिए. ताकि जो भी भ्रम है वह दूर हो सके.इस बिल से महंगाई को बढ़ावा मिलेगा और भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा. इसलिए सरकार को इस बिल को जनहित का ध्यान रखते हुए वापस ले लेना चाहिए.

अरुण चन्द्रवंशीयह आम जनता के साथ धोखा है 

कोडरमा के अरुण चन्द्रवंशी का कहना है कि यह व्यापारियों ही नहीं आम जनता के साथ भी धोखा है. इसके विरोध के लिये खाद्यान्न व्यापारी एकजुट हैं. पूरे राज्यभर में मंडी टैक्स के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है. इस काले विधेयक को लेकर खाद्यान्न व्यापारियों में काफी रोष व्याप्त है. पूर्व में सरकार के मंत्रियों के द्वारा व्यापारियों को आश्वासन दिया गया था कि कृषि बाजार विपणन समिति पर प्रस्तावित दो प्रतिशत मंडी शुल्क लागू नहीं किया जाएगा.

विशाल सिंहयह सरकार की नाकामी को दर्शाता है 

कोडरमा के विशाल सिंह का कहना है कि हेमंत सरकार जिस बिल को प्रभावी कराने में लगी है सरासर गलत है. यह सरकार की मनमानी और नाकामी को दर्शाता है. सरकार अगर समय रहते इस बिल को वापस नहीं लेती है तो राज्य का ही नुकसान होगा. इसलिए जरुरी है कि सरकार इस बिल को लेकर व्यापारियों से भी बात करे और कोई हल निकाले ताकि राज्य का विकास बाधित न हो. इसका परिणाम प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा.

संजय मोदीयह बिल आम जनता के साथ धोखा है

कोडरमा से संजय मोदी का कहना है कि यह बिल आम जनता के साथ धोखा है. इस बिल के लागू होने से जहां महंगाई बढ़ेगी. वहीं व्यापारियों पर कर का बोझ भी बढ़ेगा . जिससे सरकार का जनता के बीच सामंजस्य कटेगा. इसलिए सरकार को चाहिए कि इस बिल को तुरंत वापस ले लेना चाहिए. बिल में वैसा कुछ भी नजर नहीं आता जिससे जनता का भला हो. इससे महंगाई और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा.

इस बिल से महंगाई और भ्रष्टाचार बढेगा: अनुज सिंह

कोडरमा से अनुज सिंह का कहना है कि आखिरकार सरकार व्यापारियों पर कितना टैक्स लगाएगी. इस टैक्स को लगने से जनता पर महंगाई का असर पड़ेगा और महंगाई बढ़ जाएगी. पहले से महंगाई ने जनता जनता का कमर तोड़ रखा है और अधिकतर कर जनता को महंगाई का सदा देना आखिर कितना सही है. इस बिल से महंगाई और भ्रष्टाचार को बढावा मिलेगा. इस समय बिल के खिलाफ व्यापरियों का आंदोलन चल रहा है.

कृषि बिल में कई विसंगतियां है: रूपेंद्र

हेरहंज के सांसद प्रतिनिधि रूपेंद्र कुमार जायसवाल ने कहा कि सरकार ने आनन फानन में इस बिल को लाया है. इसमें कई प्रकार की विसंगतियां है. यह कृषि बिल व्यवहारिक नहीं है. इससे आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा. झारखंड के पड़ोसी राज्यों में यह शुल्क लागू नहीं है. सरकार बाजार समिति शुल्क लगा कर चावल और अन्य खाद्यान्नों से जुड़े व्यापार को समाप्त करना चाहती है.

सरकार व्यापारियों के साथ अन्याय कर रही है : रवि डे

चंदवा के समाजसेवी रवि कुमार डे ने कहा है कि सरकार कृषि बिल लाकर छोटे दुकानदार और व्यवसायियों के साथ अन्याय कर रही है. बाजार समिति का दो प्रतिशत शुल्क लग जाने से अनाज पर प्रति क्विंटल 50 रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ेगा. सरकार को व्यापारियों को विचार विमर्श करके यह बिल लाना चाहिए था. एक तो महंगाई पहले से चरम पर है.

डॉ गोस्वामीकिसान विरोधी है हेमंत सरकार, नुकसान उठाना पड़ेगा 

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी ने बाजार समिति शुल्क लगाए जाने पर कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार किसान विरोधी है. बाजार समिति शुल्क लगाए जाने से किसानों के साथ व्यापारियों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा. इन पर अतिरिक्त बोझ साबित होगा. किसान अपनी अधिकांश उपज को मंडी में बेचते हैं. बाजार समिति टैक्स लगाए जाने से किसानों की उपज अपेक्षाकृत कम कीमत पर बिकेगी. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. पूर्व की भाजपा सरकार ने किसान और व्यापारियों को राहत देने के लिए बाजार समिति टैक्स बंद कर दिया था.

डॉ दिनेश षाड़ंगीटैक्स लगाना किसानों व व्यापारियों के साथ अन्याय 

झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दिनेश षाड़ंगी ने कहा कि किसानों के हित में वे शुरू से ही बाजार समिति टैक्स का विरोध करते रहे हैं. हेमंत सोरेन की सरकार ने बाजार समिति टैक्स लागू कर किसानों और व्यापारियों के साथ घोर अन्याय किया है. इस टैक्स के कारण किसानों और व्यापारियों को नुकसान और परेशानी होगी. पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और ओडिशा में राज्य सरकार ने किसान और व्यापारियों को कृषि बाजार समिति शुल्क से मुक्त रखा है. हेमंत सोरेन की सरकार को चाहिए कि किसानों और व्यापारियों के हित में बाजार समिति शुल्क लगाए जाने के निर्णय को वापस ले.

बिल किसान हित में है: लाल मोतीनाथ शाहदेव

लातेहार झामुमो जिला अध्यक्ष लाल मोतीनाथ शाहदेव ने कहा कि यह बिल किसानों के हितों के लिए है. इस बिल में कृषकों को बाजार के अधिक विकल्प उपलब्ध कराने की बात कही गयी है. इस बिल का उदेश्य एक देश एक बाजार की परिकल्पना है. दूसरी बात कि यह बिल विधानसभा में आपसी सहमति से ही पारित किया गया है.

संजय अखौरीबिल हित में नहीं,लागू करना गलत 

झारखंड डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अखौरी कहते हैं कि ऐसा कोई भी बिल जो आम जन के लिए अच्छा न हो, उसे इंप्लीमेंट करना ही गलत है. यहां छोटे बड़े सभी तरह के व्यापारी हैं. इससे सब पर बोझ बढ़ेगा. किसी को फायदा नहीं होगा. जब एक बार इस बिल को वापस लिया गया था, तो इसे फिर से लागू करने का कोई विशेष कारण तो होना चाहिए, जो सरकार के पास नही है.

मनीष सर्राफझारखंड कृषि नहीं खनिज प्रधान राज्य 

एफजेसीसीआइ 2022 -23 के एक्जीक्यूटिव मेंबर मनीष सर्राफ कहते हैं कि हमारा राज्य कृषि प्रधान राज्य नहीं है, यह खनिज प्रधान राज्य है. ऐसे में यहां जो किसान हैं, उनके लिए यह बिल बहुत गलत है. पास के जिले में जैसे बिहार, ओडिसा, छत्तीसगढ़ वहां यह बिल लागू नहीं है. तो हमारे राज्य के किसान वहां पलायन करेंगे. यहां की चीजें महंगी होंगी. उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले भी इस बिल को लागू किया था, पर विचार-विमर्श कर इस बिल को हटाया गया था.

ज्योति कुमारीसरकार इसे खत्म करे या टैक्स कम करे

एफजेसीसीआइ की प्रवक्ता ज्योति कुमारी कहती हैं कि ऐसे बिल से आम जनता प्रभावित होती है. शुल्क के रूप में व्यापारियों और कृषकों पर यह टैक्स लादा जा रहा है. जो सही नहीं है. उन्होंने कहा कि 2% किसी के लिए सही नहीं है. सरकार या तो इसे खत्म करे या फिर इस टैक्स को कम करे, ताकि व्यापारियों और कृषकों को ज्यादा नुकसान न हो.
अंत में सब राज्य के हित में होना जरूरी है.

दीपक मारूबिल जन विरोधी, भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा 

एफजेसीसीआइ के दीपक मारू का कहना है कि यह बिल जन विरोधी हैं. इस बिल से भ्रटाचार को बढ़ावा मिलेगा. कृषि एग्रीकल्चर एक्ट के अधिकारी के पर्सनल कमाई के लिए इस बिल को लाया जा रहा है.इसमें सरकार को भी कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारे सीएम हमेशा यह कहते हैं कि हमारी सरकार गरीबों की सरकार है, इस बिल को लाकर वह अपनी बातों को गलत साबित कर रहे हैं.

नवजोत आलंगव्यापारियों को भ्रम में रखकर धोखा किया है

एफजेसीसीआइ एक्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्य नवजोत आलंग का कहना है कि व्यापारियों को भ्रम में रखकर सरकार ने धोखा किया है. जब कृषि प्रधान राज्यों में मंडी शुल्क समाप्त किया जा रहा है, तब झारखंड में इसे क्यों प्रभावी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत व्यापारी को किसी भी न्यायालय में जाने की अनुमति नहीं है. इससे साफ पता चलता है कि यह बिल सिर्फ भ्रष्टाचार हो भी बढ़ावा देगा.

नवीन दुबेव्यवसायियों के हित में नहीं है कृषि विधेयक 

भाजपा किसान मोर्चा के नवीन दूबे ने कहा कि कृषि बिल विधेयक व्यवसायियों के हित में नहीं है. वह व्यवसायियों के आंदोलन के समर्थन में हैं. किसान खुशहाल रहें, लेकिन जिस नीति से कारोबारी प्रभावित नहीं हों, ऐसा कानून लाने की जरूरत है. व्यवसायियों को पहले से ही जीएसटी और चुंगी देना पड़ रहा है. अब नया टैक्स देने से सामग्रियों की महंगाई बढ़ेगी.

चंदन सिंहकृषि बिल से किसानों के स्थिति सुधरेगी

झारखंड छात्र मोर्चा के नेता चंदन सिंह ने कहा कि कृषि बिल से किसानों के हालात सुधरेंगे. व्यवसायियों को भी इसका समर्थन करना चाहिए. किसान हित में यह बिल है. जहां तक सामानों के मूल्य वृद्धि का सवाल है, तो सरकार से साथ बैठ वार्ता कर बीच का रास्ता निकालना चाहिए. व्यापारियों को यह सोचना चाहिए कि बाजार बढ़ाने में किसानों के अन्न पैदावार का बड़ा महत्व है.

मनोज मिश्राबिल पर पुनर्विचार करने की जरूरत 

व्यवसायी मिश्रा कहते हैं कि सरकार को बिल पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. कृषि बिल विधेयक से व्यवसायी और उपभोक्ता दोनों को नुकसान है. सरकार को यह बात समझने की जरूरत है. व्यवसायियों के आंदोलन में सबको सहयोग करना चाहिए. सरकार इस बिल को वापस ले ले.

आलोक गुप्ताकृषि बिल विधेयक का विरोध जायज है 

कारोबारी आलोक गुप्ता कहते हैं कि कृषि बिल विधेयक पर राज्य सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है. व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं, जो पूरी तरह जायज है. आखिरकार व्यवसायियों पर कर का कितना बोझ लादा जाएगा. व्यापारी वर्ग पर ही बाजार निर्भर है. कर बढ़ने से आम जनता पर भी बोझ बढ़ेगा.

: डॉ आरसी मेहताविधेयक का समर्थन करने की जरूरत

कांग्रेस नेता डॉ आरसी मेहता ने कहा कि कृषि बिल का समर्थन करने की जरूरत है. इस बिल के लागू होने से किसानों को फायदा होगा. व्यवसायियों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए. लंबे समय बाद किसानों के हित में कोई नीति बनी है, तो उसका स्वागत होना चाहिए. यह कानून किसानों की सेहत में सुधार के लिए बनाया गया है.

विधेयक व्यापारियों के लिए कष्टकारी है : सुबोध कश्यप

कृषि शुल्क विधेयक पर हुसैनाबाद भाजपा नगर के संयोजक सुबोध कश्यप ने कहा है कि झारखंड के खाद्यान्न व्यापारियों के तमाम विरोध के बावजूद झारखंड राज्य में कृषि उपज में पशुपालन विपणन 2022 विधेयक को मंजूर कर लिया गया है. राज्य में इतने विरोध के बावजूद इसका मंजूर होना निश्चित तौर पर व्यापारियों के लिए कष्टकारी है .इस विधेयक को लागू होने के बाद व्यापारियों के समक्ष अस्तित्व का संकट गहरा गया है.

सिर्फ व्यापारियों को परेशान ही किया जा रहा है : अविनाश

भाजपा नगर उपाध्यक्ष सह जिला कार्यसमिति सदस्य अविनाश कुमार कश्यप उर्फ बिट्टू जी ने कृषि शुल्क विधेयक पर कहा कि कोरोना काल के 2 वर्षों के बाद बाजार अभी स्थिर होने की प्रक्रिया में है. कोरोना के दौर के बाद बर्बाद हो चुके व्यापारी अभी ठीक से संभल भी नहीं पाए हैं कि सरकार द्वारा मंडी टैक्स लगाकर व्यापारियों को परेशान करने का काम कर रही है. सरकार द्वारा व्यापारी संगठनों को आश्वासन दिया गया था कि प्रदेश में मंडी टैक्स लागू नहीं होगा.