Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

कश्मीर में चुनाव का क्या होगा?

जम्मू कश्मीर में इस साल गर्मियों में विधानसभा चुनाव होगा या चुनाव टला रहेगा? यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब कायदे से चुनाव आयोग के पास होना चाहिए लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि उसके पास जवाब है। चुनाव का फैसला आयोग को नहीं, बल्कि सरकार को करना है। इसकी वजह यह है कि सुरक्षा कारण बता कर सरकार चुनाव टाले रह सकती है। चुनाव से जुड़ी लगभग सारी तैयारियां पूरी हो गई हैं। परिसीमन का काम हो गया है। सीटों के आरक्षण का काम हो गया है। अब मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम हो रहा है और चुनाव आयोग आयोग चाहे तो अगले कुछ दिन में किसी भी समय चुनाव की घोषणा कर सकता है।भाजपा के नेताओं ने भी कुछ समय पहले बहुत साफ संकेत दिए थे कि मई में विधानसभा का चुनाव हो जाएगा। पार्टी के महासचिव तरुण चुघ ने पिछले दिनों जम्मू कश्मीर में पार्टी के नेताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा था। लेकिन यह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जम्मू कश्मीर जाने से पहले की बात है।

राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को जम्मू कश्मीर में जिस तरह का रिस्पांस मिला है और जिस तरह से गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के नेता पाला बदल कर कांग्रेस में लौटे हैं उसे देखते हुए लग रहा है कि भाजपा की रणनीति बदल सकती है।भाजपा को बहुत यकीन था कि डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी कांग्रेस को इतना नुकसान कर देगी कि कांग्रेस अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगी। यह भी लग रहा था कि कश्मीर में पूरी तरह से आजाद पर निर्भर कांग्रेस की यात्रा को राज्य में बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं मिलेगा और यात्रा फेल हो जाएगी। लेकिन उलटा हुआ। आजाद की पार्टी से जुड़े कांग्रेस के तमाम बड़े नेता कांग्रेस में वापस लौट गए। इसके बाद राहुल की यात्रा जब जम्मू कश्मीर पहुंची तो पूरे रास्ते यात्रा का लोगों ने स्वागत किया। राज्य की दोनों बड़ी पार्टियों- नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेता अलग अलग जगहों पर यात्रा में शामिल हुए।यात्रा के समापन कार्यक्रम में भारी बर्फबारी के बावजूद लोग राहुल गांधी का भाषण सुनने पहुंचे। राहुल ने भी मौके के अनुकूल बहुत मार्मिक भाषण दिया। उन्होंने कश्मीरी लोगों, सुरक्षा बलों और सेना के जवानों व उनके परिवारों से अपने को जोड़ा। उन्होंने कश्मीर की अपनी यात्रा को अपने घर की यात्रा बताया और याद दिलाया कि उनके पूर्वज कश्मीर से निकल कर ही इलाहाबाद गए थे। सो, एक तरफ कांग्रेस की जड़ मजबूत हुई है और उसे लोगों का समर्थन मिला है तो दूसरी ओर राज्य की प्रादेशिक पार्टियों का समर्थन भी उसको मिला है। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव की घोषणा होती है तो जम्मू क्षेत्र में भी भाजपा के लिए लड़ाई बहुत आसान नहीं रह जाएगी। अगर कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी तीनों मिल कर लड़ते हैं और साथ में सीपीआई भी शामिल रहती है तो गठबंधन का पलड़ा भारी रहेगा। जबकि भाजपा को हर हाल में चुनाव जीतना है और हिंदू मुख्यमंत्री बनाना है। अगर उसे लगता है कि ऐसा नहीं हो पाएगा तो तय मानें कि चुनाव टला रहेगा।