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व्यापमं घोटाले से जुड़े केसों में अब न्यायालयों में फैसले आने शुरु हो गए हैं। भोपाल व ग्वालियर के व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल, अब यह प्रोफेशनल व एक्जामिनेशन बोर्ड है।) भर्ती परीक्षा व पीएमटी से जुड़े केसों ें धाराएंएक हैं, लेकिन सजा में अंतर है। भोपाल के विशेष कोर्ट से जो फैसले आ रहे हैं, उनके केसों के आरेापितों को अधिकतम सात साल की सजा मिल रही है, जबकि ग्वालियर में जो फैसले आए हैं, उनमें अधिकतम सजा चार साल ही है। सजा कम होने की वजह से आरेापितों को ज्यादा दिन जेल में नहीं बिताने पड़ रहे हैं, क्योंकि हाई कोर्ट से तत्काल जमानत मिल रही है। व्यापमं से जुड़े केसों में ग्वालियर के २८ केसों में फैसला हो चुका है, जिसमें २५ में सजा हुई है। भोपाल व ग्वालियर केक केसों का अध्ययन किया तो यह स्थिति सामने आई है। यह है मामला : व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच सबसे पहले एसआईटी ने की थी। केसों का ट्रायल जल्द पूरा हो सके, इसे लेकर हाई कोर्ट ने विशेष न्यायालय भी बनाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआइ के सुपुर्द हो गई। सीबीआइ ने व्यापमं भर्ती परीक्षा, पीएमटी से जुड़े केसों की अतिरिक्त जांच कर विशेष न्यायालय में चालान पेश किए। व्यापमं के केसों की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट अधिसूचित है। कई छात्र परीक्षा में सॉल्वर बिठाकर आरक्षक, शिक्षक भी बन गए।
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