फसलों को मवेशियों से बचाने की गांव-गांव में तैयारी, 20 हजार गांवों में गोबर गैस, जैविक खाद बनेगी सब्जी और मसालों की प्रोसेसिंग भी होगी – Lok Shakti

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फसलों को मवेशियों से बचाने की गांव-गांव में तैयारी, 20 हजार गांवों में गोबर गैस, जैविक खाद बनेगी सब्जी और मसालों की प्रोसेसिंग भी होगी

खुली चराई से खेती को होने वाली नुकसान की रोकथाम के लिए शुक्रवार से छत्तीसगढ़ की परंपरा रोका-छेका एक बार फिर शुरू हो गई है। इसको लेकर गांव-गांव में तैयारियां की गईं। इसके जरिए शहरों और गांव की सड़कों को पशुओं से मुक्त बनाया जाएगा। उन्हें गौठानों में भेजकर रोजगार के साथ ही, खेत, बाड़ी व उद्यानों के साथ पशुधन भी सुरक्षित किए जाएंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग के ग्राम पतोरा में रस्म के दौरान लोगों से वीडियो कॉल पर बात की। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग के ग्राम पतोरा की सरपंच अंजीता साहू से वीडियो कॉल के जरिए बात की। 

मुख्यमंत्री ने कहा- रोका-छेका हमारी ग्रामीण परंपरा का हिस्सा
मुख्यमंत्री बघेल ने सरपंच अंजीता साहू से पूछा कि गायों की पूजा हो गई? आप सभी ने क्या संकल्प लिया? आप लोगों के उत्साह को देखकर बहुत खुशी महसूस हो रही है। गौठान को आगे बढ़ाने के लिए गठित समिति के सदस्य, सभी ग्रामीण उत्साह से जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा, रोका-छेका की रस्म को मनाने के लिए आप लोग इतने मेहनत से काम कर रहे हैं। रोका-छेका हमारी ग्रामीण संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा है। 

ग्रामीणों ने गौ पूजन के साथ पारंपरिक रोका-छेका को फिर से शुरू किया। मुख्यमंत्री ने कहा, रोका-छेका हमारी ग्रामीण संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा है। 

हर गौठान के लिए 40 हजार रुपए की राशि जारी
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने रोका-छेका के लिए गौठान प्रबंधन समितियों को कुल 8.86 करोड़ रुपए जारी किए हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के तहत संचालित हर गौठान को 40 हजार रुपए दिए गए हैं। यह राशि खुले में घूमने वाले मवेशियों के नियंत्रण और व्यवस्थापन में खर्च की जाएगी। विभाग की ओर से 2215 गौठानों को प्रथम किश्त के रूप में अनुदान राशि दी गई है। 

19 से 30 जून के बीच गौठानों में होंगे कार्यक्रम
इस पर चर्चा के लिए 19 से 30 जून के बीच गोठानों में कार्यक्रम किए जाएंगे। इस दौरान ग्रामीण व शहरी पशुपालक खुली चराई रोकने व सड़कों को मवेशी मुक्त बनाने पर मंथन करेंगे। इसके अलावा कृषि, पशुपालन व मछलीपालन की योजनाओं की भी जानकारी दी जाएगी, जिससे किसान लाभ उठा सकें। इस तरह सालभर खेती हो सकेगी। साथ ही, खेत, बाड़ी व उद्यानों के साथ पशुधन भी सुरक्षित रहेंगे। 

क्या है रोका-छेका: मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के किसान परंपरागत रूप से बाड़ लगाते रहे हैं। नई योजना ये है कि मवेशियों काे गोठान में ही चारा पानी दे दिया जाए ताकि वे खेतों में न जाएं। इसके लिए गौठान समितियां बनाई गई हैं। मवेशियों के गोबर से जैविक खाद और गोबर गैस बनाई जाएगी। चरागाह में उगने वाली सब्जी और मसाले आदि बेचकर समितियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी।
बहुफसली क्षेत्रों का विस्तार होगा: सीएम ने खुली चराई से खेती को होने वाले नुकसान को रोकने परंपरागत रोका-छेका प्रथा पर गंभीरता से अमल करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इससे पूरे वर्ष खेती संभव होगी और बहुफसली क्षेत्रों का विस्तार होगा। रोका-छेका से खेतों, बाड़ियों और उद्यानों की सुरक्षा के साथ पशुधन भी सुरक्षित रहेंगे। इसमें नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना के तहत गांव-गांव में स्थापित गौठान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। खेती के लिए जैविक खाद उपलब्ध कराने के साथ ही गौठान ग्रामीणों के लिए आजीविका केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं।