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UP सरकार ने किया आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई… कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर 2021 को तिकोनिया मोड़ पर हुई हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध यूपी सरकार ने किया है। सरकार की ओर से इस मामले में कहा है कि आरोपी को जमानत दिए जाने से समाज में गलत संदेश जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले ने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला गुरुवार को सुरक्षित रख लिया। आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा का बेटा है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और दुष्यंत दवे की दलीले सुनने के बाद कहा कि हम फैसला सुनाएंगे। गरिमा प्रसाद ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह अपराध जघन्य एवं गंभीर है। उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ से कहा कि अपराध गंभीर है।

यूपी के महाधिवक्ता ने कहा कि यह एक गंभीर व जघन्य अपराध है। आरोपी को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। अदालत ने उनसे पूछा था कि वह किसी आधार पर जमानत याचिका का विरोध कर रही हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि गंभीर और जघन्य अपराध को लेकर दो तथ्य हैं। वह दोनों में किसी पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। पीठ ने पूछा कि हम प्रथम दृष्टया यह मान रहे हैं कि वह घटना में शामिल था और वह आरोपी है, निर्दोष नहीं।

जमानत याचिका का विरोध कर रहे लोगों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश के तहत की गई हत्या है। मैं आरोप पत्र के जरिए साबित करूंगा। वह एक प्रभावशाली व्यक्ति का बेटा है, जिसका प्रतिनिधित्व एक प्रभावशाली वकील कर रहे हैं।

आशीष मिश्रा की ओर से अदालत में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने दवे के प्रतिवेदन का विरोध करते हुए कहा कि यह क्या बात है? कौन प्रभावशाली है? हम यहां हर दिन आ रहे हैं। क्या जमानत न देने का यह आधार हो सकता है? मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल एक साल से अधिक समय से हिरासत में है और जिस तरह से सुनवाई चल रही है। उसके पूरा होने में सात से आठ साल लग जाएंगे।

रोहतगी ने कहा कि जगजीत सिंह मामले में शिकायतकर्ता हैं। कोई चश्मदीद गवाह नहीं हैं और उनकी शिकायत सिर्फ सुनी- सुनाई बातों पर आधारित है।
शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख दिया। दरअसल, 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में उस समय हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जब किसान क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा भी सवार था। घटना से आक्रोशित किसानों ने एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट पीटकर जान ले ली थी। हिंसा में एक पत्रकार भी मारा गया था।