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न्यायिक कार्यों से दूर रहे राज्य भर के अधिवक्ता

Ranchi :  झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलनरत हैं. काउंसिल और राज्य सरकार आमने-सामने हैं. शुक्रवार को वकीलों ने खुद को अदालतों से दूर रखा. इसका न्यायिक कार्यों पर व्यापक असर देखा गया. हालांकि इस दौरान सरकारी अधिवक्ता और निजी अभ्यास करने वाले वकील कोर्ट में उपस्थित रहे. वहीं संशोधित कोर्ट फीस विधेयक के विरोध में स्टेट बार काउंसिल ने 6-7 जनवरी को कार्य बहिष्कार का ऐलान किया, तो कुछ वकीलों-संगठनों ने कार्य बहिष्कार आंदोलन के निर्णय का विरोध करते हुए न्यायिक कार्यों में हिस्सा लेने का आह्वान किया. शुभम संदेश ने कार्य बहिष्कार करने वालों के साथ-साथ आंदोलन के विरोध में आए वकीलों के साथ बात की. प्रस्तुत है विस्तृत रिपोर्ट :

न्यायिक कार्यों से दूर रहे राज्य भर के अधिवक्ता

पलामू :

गरीबों की परेशानी और बढ़ेगी,सरकार विचार करे

शुक्रवार को पूरे झारखंड में राज्य सरकार के द्वारा कोर्ट फीस में बेतहाशा मूल्य वृद्धि के खिलाफ पूरे राज्य से लेकर जिले के अधिवक्ता गण हड़ताल पर है और स्वयं को न्यायिक कार्य से अलग रखा. वरिष्ठ अधिवक्ता सूर्यपत सिंह ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फी में की गई बढ़ोतरी सीधे रूप से गरीबों के विरुद्ध है इस कारण हेमंत सोरेन सरकार सीधे रुप से गरीब विरोधी नजर आ रहा है सरकार को अविलंब कोर्ट फीस बढ़ोतरी को वापस लेनी चाहिए. वरिष्ठ अधिवक्ता नंदलाल सिंह ने कहा कि आज झारखंड बार एसोसिएशन के साथ पुरे झारखंड के अधिवक्ता हड़ताल पर है जिसके तहत पलामू जिला अधिवक्ता भी आज हड़ताल पर हैं और स्वयं को न्यायिक कार्य से अलग रखा है. झारखंड बार काउंसिल के सदस्य राजीव रंजन ने प्रेस मीटिंग बुलाकर हड़ताल का विरोध किया है. साथ ही अधिवक्ताओं को धमकी भरे अंदाज में न्यायिक कार्य करने की सलाह दी है. ऐसी स्थिति में राजीव रंजन को झारखंड बार काउंसिल की सदस्यता से निकाल देना चाहिए. अधिवक्ता रुचिर कुमार तिवारी ने कहा कि झारखंड सरकार के द्वारा कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि कर दिया गया, जिससे यह साफ होता है कि वह गरीबों को न्याय से कोसों दूर रखना चाहती है, मुकदमा लड़ने के लिए उन्हें भारी-भरकम कोर्ट फीस देना होगा और गरीब एवं कमजोर वर्ग के लोग न्यायालय में अपना पैरवी भी नहीं कर पाएंगे. अधिवक्ता धीरेंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा कोर्ट फीस में बेतहाशा मूल्य का वृद्धि करना आम अवाम को न्यायिक कार्य से दूर रखने का प्रयास है.

हजारीबाग :
कोर्ट फीस बढ़ोतरी के खिलाफ बुलंद हुई आवाज

झारखंड राज्य बार काउंसिल की ओर से लिए गए निर्णय के अनुसार हजारीबाग जिले के वकील शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इस फैसले के बाद शुक्रवार को किसी भी वकील ने किसी भी न्यायिक कार्य में हिस्सा नहीं लिया. इस कारण पूरे कोर्ट परिसर में सन्नाटा छाया रहा. अधिवक्ताओं की मांग है कि झारखंड सरकार ने कोर्ट फीस में जो बेतहाशा वृद्धि की है, उसे वह जल्द वापस ले. वहीं अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट को जल्द से जल्द लागू करे और पीपी व एपीपी की बहाली में बार संघ से अधिवक्ताओं की नियुक्ति सुनिश्चित करे.

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महाधिवक्ता के बयान की निंदा : हजारीबाग बार संघ की बैठक अध्यक्ष राजकुमार की अध्यक्षता में हुई. इसमें कई अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तरीके से राज्य सरकार की नीतियों का विरोध किया और इस अनिश्चितकालीन हड़ताल को अपना समर्थन दिया. बैठक में अधिवक्ता गौतम चक्रवर्ती, विजय सिंह, मृत्युंजय उपाध्याय, प्रदीप कुमार, जवाहर प्रसाद स्वरूप चंद जैन, प्रणव झा, रमेश सिंह, अमित कुमार, ओशिता रंजन, प्रमोद सिंह, मनोज कुमार, कौलेश्वर प्रसाद कुशवाहा, कुणाल कुमार आदि ने अपने-अपने विचार रखे और हड़ताल का समर्थन किया. इस दौरान झारखंड राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन के इस बयान पर कि सरकारी अधिवक्ता हड़ताल में भी कार्य करते रहेंगे, की निंदा की. संघ अध्यक्ष राजकुमार ने कहा कि यदि सरकार कोर्ट फीस वृद्धि में कमी नहीं करती है, तो संपत्ति के विवाद जहां का तहां रह जाएंगा.

देवघर :
कोर्ट फीस विधेयक के विरोध में किया कार्य बहिष्कार

स्टे ट बार काउंसिल के आह्वान पर संशोधित कोर्ट फीस विधेयक के विरोध में देवघर के वकीलों ने कार्य बहिष्कार किया. वकील विधेयक को वापस लेने की मांग झारखंड सरकार से कर रहे हैं. वकीलों ने कार्य बहिष्कार वकील असफाक अंसारी के नेतृत्व में किया. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार विधेयक वापस नहीं लेगी तब तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा. वकील हेमचंद्र झा ने कहा कि सरकार विधेयक वापस ले. विधेयक लाकर कोर्ट फीस में वृद्धि की गई है, जिससे गरीबों पर असर पड़ेगा. वकील फाल्गुनी मरीक कुशवाहा ने कहा कि न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर वकीलों को सुरक्षा प्रदान करने की मांग कर रहे हैं. अधिवक्ता कल्याण बजट का प्रावधान नहीं है, इस पर भी सरकार विचार करे. अधिवक्ता कल्याण कोष का निर्माण किया जाए, जिससे वकीलों की हालत में सुधार हो.

वकील वीरेश वर्मा ने कहा कि विधेयक लाकर कोर्ट फीस बढ़ा दी गई है. इससे गरीब मुवक्किल पर असर पड़ेगा. अन्य राज्यों में कोर्ट फीस कम रखा गया है, झारखंड में बेतहाशा वृद्धि की गई है. देवघर कोर्ट अधिकांश मुवक्किल ग्रामीण इलाके से आते हैं. फीस में वृद्धि होने से उन लोगों की परेशानी बढ़ेगी. जिला बार एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी के कृष्णधन खवाड़े ने कहा कि स्टेट बार काउंसिल की मांग पर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो. वकीलों के लिए जन कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाए. आए दिन कोर्ट परिसर में असामाजिक तत्वों द्वारा गोलीबारी की जाती है. जिससे वकील डरे हुए हैं.

कोडरमा :
वकील न्यायिक कार्यों से दूर, मुवक्किल होते रहे परेशान

राज्यभर में संशोधित कोर्ट फीस विधेयक के खिलाफ अधिवक्ता शुक्रवार से न्यायिक कार्य से दूर रहे. वे शनिवार को दूसरे दिन भी न्यायिक कार्यों से दूर रहेंगे. कोडरमा के भी अधिवक्ता न्यायिक कार्यो से दूर रहे. इससे न्यायिक कार्यो पर प्रभाव पड़ा. वहीं जानकारी के अभाव में कोर्ट पहुंचे मुवक्किल मायूस होकर अपने-अपने घर लौट गए. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश लाल सलूजा और महासचिव मनीष कुमार सिंह ने बताया कि संघ का मानना है कि न तो हम हडताल कर रहे हैं और न ही अपने को न्यायिक कार्यों से अलग रख रहे हैं. बल्कि सच्चाई यह है कि अधिवक्ता गरीब, निर्धन लोगों को न्याय दिलाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. लेकिन कोर्ट फीस की वृद्धि ने न्याय दिलाने में परेशानी होगी. उन्होंने बताया वकील डीसी, एसडीओ, जिला उपभोक्ता फोरम, एसी, डीसीएलआर कोर्ट से भी अलग रहे.जिले के 450 अधिवक्ता न्यायिक कार्य से रहे दूर संघ के मोतीलाल शर्मा ,शिवनंदन शर्मा, राजकुमार सिन्हा, अरूण कुमार सिंह, देवेन्द्र शर्मा, कृष्णदेव यादव, धीरज जोशी, प्रकाश मोदी, चंदन पांडेय, प्रदीप कुमार, रीतम कुमारी, रीना कुमारी, संतोष सिंह, प्रमोद यादव, प्रशांत कुमार, तरूण कुमार, मुमताज अंसारी, रामेश्वर यादव, विनोद कुमार अविनाश,राकेश झा, अनवर हुसैन, सुरेश कुमार, सुरेश प्रसाद, संजय श्रीवास्तव, राजकुमार वर्मा, भुनेश्वर राणा, उदय शंकर सिन्हा समेत करीब 450 जिलेभर के अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से अलग रहे.

गिरिडीह :
संशोधित कोर्ट फीस विधेयक को बताया काला कानून

संशोधित कोर्ट फीस विधेयक को लेकर अधिवक्ताओं में आक्रोश है. 6 जनवरी को लंगटा बाबा समाधि स्थल पर चादर पोशी का अवकाश रहने के बावजूद बड़ी संख्या में अधिवक्ता व्यवहार न्यायालय परिसर में जुटे तथा सभा कर नारेबाजी की. सभा को संबोधित करते हुए अधिवक्ता संघ के महासचिव चुन्नूकांत ने कहा कि कोर्ट फीस विधेयक राज्य सरकार का काला कानून है. लोकतंत्र में सभी को सस्ता और सुलभ न्याय संवैधानिक अधिकार है. संशोधित कोर्ट फीस विधेयक राज्य सरकार का हिटलरी फऱमान है. सरकार सस्ता और सुलभ न्याय का दावा करती है, लेकिन इस विधेयक ने सरकारी दावे के पोल खोल दिए हैं. यह भू माफिया को बढ़ावा देने वाला विधेयक है. फीस वृद्धि के कारण अब गरीब अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा पाएंगे. भू माफिया गरीबों की जमीन आसानी से हड़प लेंगे. जमीन व अन्य संपत्ति मामलों में गरीबों के लिए अब सिविल सूट करना आसान नहीं होगा. विधेयक में सिविल सूट के लिए फीस बढाकर 30 हजार रुपए से 3 लाख रुपये कर दी गई है. झारखंड अधिवक्ता संघ के सदस्य परमेश्वर मंडल ने राज्य सरकार से एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल लागू करने की मांग करते हुए कहा कि कानून के अभाव में कई अधिवक्ता झूठे मुकदमे में फंसा दिए जाते हैं. पूर्व मंत्री सह अधिवक्ता चंद्रमोहन प्रसाद ने राज्य सरकार से अधिवक्ताओं के लिए हेल्थ इंश्योरेंस व ग्रुप बीमा कराने की मांग की. मौके पर सच्चिदानंद सिन्हा, अजय कुमार सिन्हा, प्रमोद कुमार, संजीव कुमार, अंजनी कुमार सिन्हा, दीपक कुमार, गोपाल रजक समेत अन्य अधिवक्ता मौजूद थे.

पाकुड़ :
न्यायिक कार्यों से अलग रहे, कहा-हक के लिए लड़ेंगे लड़ाई

सं शोधित कोर्ट फीस विधेयक के विरोध में वकीलों के राज्यव्यापी हड़ताल का पाकुड़ में भी शुक्रवार को ख़ासा सर देखा गया. पाकुड़ बार काउंसिल से जुड़े अधिवक्ताओं ने कलम बंद हड़ताल रखा. हड़ताल के कारम कोर्ट में कोई भी काम नहीं हो सका. बार काउंसिल के सचिव दीपक कुमार ओझा ने कहा कि कोर्ट फी में 6 गुना अधिक वृद्धि कर दी गई है. पांच रूपये का टिकट तीस रूपये का हो गया है. संथाल परगना आदिवासी, पहाड़िया व दलित बहुल क्षेत्र है. गरीब, मजदूर, दलितों को भी इससे परेशानी होगी. कहा कि हड़ताल के ज़रिए अधिवक्ताओं की सुरक्षा की भी मांग की जा रही है. आ दिन अधिवक्ताओं के साथ मारपीट सहित दूसरी अपराधिक घटनाएं हो रही है. दीपक कुमार ओझा ने जिले में एपीपी और पीपी की नियुक्ति भी जल्द करने की मांग की. कहा कि एपीपी और पीपी नहीं होने से सरकारी केस पेंडिंग पड़े रहते हैं. बार काउंसिल के अध्यक्ष मोहम्मद मोइनुद्दीन ने कहा कि अधिवक्ताओं की मांगें जायज़ हैं. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा परेशान आम जनता होगी. गरीब लोगों के लिए न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में सरकार काे अपने फैसले पर विचार करना चाहिए.

जमशेदपुर

इससे मध्यम एवं गरीब वर्ग मुकदमा नहीं लड़ पाएगा

जमशेदपुर बार एसोसिएशन की एडहॉक कमेटी के चेयरमैन लाला अजीत कुमार अंबष्ठा ने बताया कि सरकार की ओर से लाए गए संशोधित कोर्ट फीस विधेयक आम लोगों की जेब पर डाका के समान है. मनमाने तरीके से फीस में बढ़ोतरी कर दी गई है. इससे मध्यम एवं गरीब वर्ग मुकदमे नहीं लड़ पाएगा. टाइटल सूट में पहले 50 हजार रुपये कोर्ट भी लगता था. इसे छह गुना बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया गया है.

पहली बार कोर्ट फीस में इतनी बड़ी बढ़ोतरी की गई है

जमशेदपुर बार एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ता अवतार सिंह ने बताया कि संशोधित कोर्ट फीस विधेयक जनहित के खिलाफ है. इस फैसले से आम लोगों के साथ-साथ अधिवक्ता वर्ग इससे प्रभावित होगा. उन्होंने सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की. अवतार सिंह ने बताया कि वे 1992 से पैक्टिस कर रहे हैं. पहली बार इतनी भारी मात्रा में कोर्ट फीस में बढ़ोतरी की गई.

पूरे राज्य के अधिवक्ता राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ

जमशेदपुर बार एसोसिएशन के सदस्य सह 1999 से प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता एसएन झा ने बताया कि पूरे राज्य के वकील राज्य सरकार के कोर्ट फीस बढ़ोतरी के फैसले के खिलाफ हैं. राज्य कमेटी के आह्वान पर दो दिन का कार्य बहिष्कार किया गया है. जरूरत पड़ी तो आंदोलन को लंबा किया जाएगा. सरकार को कोर्ट भी में की गई बेतहासा बढ़ोतरी वापस लेना होगी.

सरकार जनहित में कोर्ट फीस में की गई बढ़ोतरी को वापस ले

जमशेदपुर सिविल कोर्ट के अधिवक्ता जगमोहन शर्मा ने बताया कि झारखंड सरकार की ओर से कोर्ट फीस में बढ़ोतरी आम लोगों पर अतिरिक्त भार है. इससे कोर्ट में चल रहे मुकदमे प्रभावित होंगे. जिनके पास पैसे होंगे वे अपील अथवा मुकदमों की कार्रवाई में हिस्सा ले सकेंगे, लेकिन गरीब वर्ग इससे वंचित रह जाएगा. सरकार को जनहित में कोर्ट फीस में की गई बढ़ोतरी वापस लेनी चाहिए.

सरकार के निर्णय से न्याय हुआ महंगा, हो फैसले पर पुनर्विचार

जमशेदपुर सिविल कोर्ट में 36 वर्षों (1986) से प्रैक्टिस कर रहे वरीय अधिवक्ता केडी चौधरी ने बताया कि कोर्ट-कचहरी न्याय का मंदिर होता है. लेकिन सरकार के निर्णय से न्याय मिलना महंगा हो गया है. कोर्ट फी में बेतहासा बढ़ोतरी कर दी गई है. इसके कारण आम लोगों को खासकर गरीबों को सस्ता एवं सुलभ न्याय मिलना मुश्किल हो जाएगा. सरकार को अपने विधेयक पर पुनर्विचार करना चाहिए.

कोर्ट फीस में छह गुना से ज्यादा वृद्धि किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं

अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड सरकार की ओर से कोर्ट फीस में बढ़ोतरी गरीबों पर अतिरिक्त बोझ के समान है. उन्होंने सरकार से मांग की कि वह कोर्ट फीस में न्यूनतम बढ़ोतरी करे. इसका सभी स्वागत करेंगे. लेकिन छह गुना से ज्यादा बढ़ोतरी किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है. इसलिए झारखंड के सारे अधिवक्ता सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध कर रहे हैं.

बोकारो

कोर्ट फीस में वृद्धि कर गरीब लोगों पर अप्रत्यक्ष हमला किया

सिविल कोर्ट बोकारो के अधिवक्ता रंजीत गिरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फीस में की गई वृद्धि गरीबों पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला और जमीन लूटने की सुनियोजित साजिश है. यदि किसी गरीब का जमीन कोई लूट रहा है तो उसे बचाने के लिए उसे लगभग तीन से चार लाख कोर्ट फीस की व्यवस्था करनी होगी. तब जा कर उसकी जमीन बचेगी. उन्होंने कहा कि गरीब तीन लाख कहा से लाएगा.

सिविल सूट से जुड़े सरकार के फैसले से गरीबों का शोषण होगा

सिविल कोर्ट के अधिवक्ता शिवनाथ झा ने कहा कि सिविल सूट से जुड़ा सरकार का फ़ैसला गरीबों का शोषण है. जो फीस पहले अधिकतम 50 हज़ार रुपये तक लगती थी आज वह बढ़कर लगभग तीन लाख हो गई है. कोर्ट फीस में अधिवक्ताओं को किसी तरह का कोई लाभ नहीं है. किसी गरीब का जमीन बिल्डरों द्वारा हड़पा जाता है तो उस गरीब को 3 लाख की कोर्ट फ़ीस जमा कर मुकदमा दायर करना होगा.

गरीबों को ध्यान में रख सरकार इसका समाधान निकाले

बोकारो सिविल कोर्ट के अधिवक्ता विनोद कुमार सिंह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फीस बढ़ाए जाने के कारण शुक्रवार से 2 दिन अदालती कार्यों का बहिष्कार किया जा रहा है. कोर्ट फीस से आम नागरिक के ऊपर ज्यादा असर दिखेगा. आम नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है. सरकार को इसका समाधान निकालना चाहिए ताकि नागरिकों पर फीस का बोझ कम हो.

बोकारो सिविल कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ झा ने कहा कि कोर्ट फीस बढ़ने के कारण आज से 2 दिन कलम बंद हड़ताल की गई है ताकि आम नागरिकों के सामने जो समस्या उत्पन्न होने वाली है उसका समाधान हो. सिविल मामले में जिस तरह से फीस में बढ़ोतरी की गई है, उससे लोगों के सामने संकट उत्पन्न होगा.

बोकारो सिविल कोर्ट के अधिवक्ता हीरालाल प्रजापति ने कहा कि आज कोर्ट के सारे अधिवक्ता सरकार के कोर्ट फीस बढ़ोतरी के फ़ैसले के विरोध में खड़े हैं. कोर्ट फीस बढ़ने से गरीब के पास पूंजी नहीं होगी कि वह कोर्ट में मुकदमा लड़ सके. क्योंकि कोर्ट में मामला दायर करते ही तीन लाख रुपये कोर्ट फीस जमा करनी पड़ेगी.

घाटशिला :
कोर्ट फीस बढ़ोतरी के विरोध में अधिवक्ताओं की दो दिवसीय हड़ताल शुरू

घाटशिला व्यवहार न्यायालय स्थित बार एसोसिएशन के अधिवक्ता कोर्ट फीस की बढ़ोतरी के विरोध में शुक्रवार से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं. इस संबंध में घाटशिला बार एसोसिएशन के महासचिव बबलू मुखर्जी ने बताया कि कोर्ट फीस की तीन गुना बढ़ोतरी को वापस लेने सहित अन्य तीन मांगों को लेकर अधिवक्ता हड़ताल पर रहेंगे. 8 जनवरी को स्टेट बार काउंसिल के पदाधिकारी द्वारा बैठक कर आगे की रणनीति तय की जायेगी इसके बाद ही अधिवक्ता अपने न्यायिक कार्य में लौटेंगे.

प्रदेश स्तर पर चल रहा आंदोलन

कहा कि कोर्ट फीस बढ़ोतरी सहित अधिवक्ताओं के लिए सुरक्षा कानून लागू करने, वेलफेयर फंड तथा अधिवक्ताओं से ही एपीपी एवं पीपी की बहाली किये जाने की मांगों को लेकर पूरे प्रदेश स्तर पर अधिवक्ताओं का जोरदार आंदोलन चल रहा है. विरोध करने वालों में मुख्य रूप से अधिवक्ता धनंजय सिंह, अजीत कुमार, माना सेन, बापी पाल, भाव गोपाल महंती, मिथिलेश सिंह, शैलेश सिंह, दशरथ महतो, सुप्रिती अधिकारी, राकेश शर्मा, आरके चटर्जी, प्रमोद कुमार, कृष्णा राउत, सुनील सिंह सहित काफी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे.

साहिबगंज :

जिला बार एसोसिएशन ने किया अदालती कार्यों का बहिष्कार

संशोधित कोर्ट फीस के विरोध व एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को लेकर शउक्रवार को साहिबगंज जिले के अधइवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार किया. कार्य बहिष्कार के कारण कोर्ट में कोई भी न्यायिक काम नहीं हो सका. ज़िला बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार वर्मा ने कहा कि सरकार के निर्णय से गरीब मुवकिक्ल को भारी परेशानी होगी. ऊंची दर पर कोर्ट फीस जमा करना मुश्किल होगा. राज्य में अधिकतर लोग गरीब है. झारखंड सरकार के निर्णय से भू-माफिया गरीबों की जमीन हड़पने में थोड़ी भी देर नहीं करेंगे. कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि से मध्यम वर्ग को भी परेशानी होगी. इसलिए झारखंड सरकार को यह निर्णय वापस लेना चाहिए. सचिव विजय कर्ण ने बताया कि संशोधित कोर्ट फ़ीस के विरोध और एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को लेकर साहिबगंज जिला बार एसोसिएशन के वकील एकजुट हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेमनाथ तिवारी ने कहा कि कहा कि आए दिन कोर्ट परिसर में असामाजिक तत्वों द्वारा गोलीबारी की घटना होती रहती है. जिससे की अधिवक्ता असुरक्षा की भावना से ग्रसित रहते है. अइधवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट भी लागू होना चाहिए.

 

लातेहार :
अदालती कार्यों से अलग रहे जिले के अधिवक्ता, बोले-हमारे हितों की अनदेखी

कोर्ट फीस बढ़ाने के विरोध में एवं अधिवक्ता सुरक्षा कानून को लागू कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को व्यवहार न्यायालय में कार्यरत अधिवक्ताओं ने खुद को न्यायालीय कार्यों से अलग रखा. अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजमणी प्रसाद न बताया कि झारखंड राज्य बार काउंसिल, रांची के आह्वान पर लातेहार व्यवहार न्यायालय में कार्यरत अधिवक्ताओं ने स्वयं को शुक्रवार को अदालती कार्यों से अलग रखा. प्रसाद ने कहा कि झारखंड के अधिवक्ताओं के हितों की लगातार अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह अगले आदेश तक अधिवक्ता न्यायालीय कार्यों से अलग रहेंगे.

सरकार जल्द गरीबों के हित में कोर्ट फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले, नहीं तो राज्य भर के वकील लड़ेंगे आर-पार की लड़ाई

झारखंड में संशोधित कोर्ट फीस विधेयक के विरोध में वकीलों ने खुद को न्यायिक प्रक्रिया से दूर रखा . अधिवक्ता इशफाक अंसारी ने कहा कि सरकार जब तक इस पर फैसला नहीं लेती है, तब तक हम लोग कार्य बहिष्कार करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि कोटर्ट फीस बढ़ोतरी का सीधा असर गरीबों पर पड़ेगा.

अधिवक्ता हेमचंद्र झा ने कहा कि कोर्ट फीस बढ़ाने का फैसला वापस ले सरकार, क्योंकि इसका सीधा असर गरीबों पर पड़ेगा और महंगे कोर्ट फीस के कारण उन्हें केस लड़ने में परेशानी होगी. आज भी कई गरीब लोगों को जमीन बेच कर केस लड़ना पड़ता है. देवघर के अधिवक्ता फाल्गुनी मरीक कुशवाहा ने बताया न्यायिक कार्यों से हम लोग अपने को बिल्कुल अलग रखे हुए हैं. अब यहां के वकील आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. अधिवक्ता मुकेश पाठक और देवघर बार एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी कृष्णधन खवाड़े ने कहा कि कोटर्ट फीस बढ़ोतरी का विरोध और एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा.

एक्शन मोड में काउंसिल :
निर्देश के बाद भी न्यायिक कार्य में शामिल वकीलों पर की जाएगी कार्रवाई

रांची। कोर्ट फीस विधेयक के विरोध में न्यायिक कार्य से दूर रहने के फैसले के खिलाफ जाकर न्यायिक कार्य में शामिल होने वाले वकीलों पर काउंसिल कार्रवाई करेगा. काउंसिल ने सभी जिला बार संघों को पत्र जारी कर आंदोलन में शामिल वकीलों को काउंसिल के आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की है. काउंसिल के पत्र के बाद अब यह अंदेशा जताया जा रहा है कि 6 जनवरी को न्यायिक कार्रवाही में शामिल होने वाले वकीलों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के मुताबिक, अलग-अलग मामलों में हाईकोर्ट में कुल 300 वकीलों ने आज अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लिया. इन वकीलों में सरकारी वकीलों के अलावा प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले वकील भी शामिल हैं. बता दें कि कोर्ट फीस और एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट समेत अन्य मुद्दों को लेकर काउंसिल ने राज्यव्यापी न्यायिक कार्य बहिष्कार का एलान किया है. यह कार्य बहिष्कार कल यानी शनिवार को भी जारी रहेगा.

हाईकोर्ट पहुंचे प्रैक्टिस करने वाले वकील

राज्य भर के वकील शुक्रवार को न्यायिक कार्य से दूर रहे. पुख़्ता जानकारी के मुताबिक झारखंड हाईकोर्ट में सरकारी वकील और प्राइवेट वकील कोर्ट में उपस्थित हुए हैं. महाधिवक्ता कार्यालय से संबंध वकीलों के अलावा निजी प्रैक्टिस करने वाले कुछ वकील न्यायिक कार्य में शामिल हुए हैं. न्यायिक कार्य से दूर रहने को लेकर हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने अलग से कोई पत्र जारी नहीं किया था. लेकिन स्टेट बार काउंसिल ने राज्य के वकीलों को सख़्त हिदायत देते हुए यह निर्देश दिया है कि दो दिन किसी भी न्यायिक कार्य में शामिल न हों. काउंसिल के निर्णय के बाद से ही इसका विरोध शुरू हो गया था.

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