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8 गांवों में सड़क, पानी, बिजली नहीं, मरीज समय पर नहीं पहुंचते अस्पताल, गंभीर हुए तो मौत होना तय

विकास के मार्ग में नक्सलियों को रोड़ा मानने वाला प्रशासन नक्सल मुक्त क्षेत्र होने के बाद भी लोगों की मूलभूत जरूरतों को नहीं पूरा कर पा रहा है। सूरजपुर जिले के ओड़गी ब्लाॅक के चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र गांवों में सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत समस्याएं हैं। यहां बाइक के अलावा अन्य साधनों से पहुंचना संभव भी नहीं है। प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि भौगोलिक स्थिति ठीक न होने के कारण विकास न हो पाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ने में जुटे हुए हैं। जबकि वे वहां तक नहीं पहुंचते हैं। तीन पंचायतों के आठ से अधिक गांव कालापानी के नाम से मशहूर हैं। कालापानी के इस धब्बे को मिटाने के लिए भी प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं किए जाते हैं। स्थिति ये है कि इन गांवों के लोग आसपास ही शादी करते हैं। स्थिति ये है कि कोई गंभीर बीमार हुआ तो उसकी मौत तय मानी जाती है।  

5 बजे तक पहुंच जाती है बारात
भुंडा गांव निवासी तेजबलि ने बताया कि गांव के लोग बारात भी शाम को पांच बजे तक लड़की के दरवाजे तक पहुंच जाती है। वे लोग शाम ढलते ही घरों में कैद हो जाते हैं। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नहीं हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं का टीकाकरण भी नहीं किया जाता है। बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने तक से लोग कतराते हैं। 

कम ही जाते हैं अस्पताल
गांव निवासी शिवराम ने बताया कि घरों में यदि किसी को बीमारी हो जाती है तो उसे तब तक अस्पताल लेकर नहीं जाते, जब तक स्थिति गंभीर न हो। बाइक पर मरीज को ले जाना पड़ता है। कोई गंभीर हुआ तो मौत तय मानते हैं। 

राशन के लिए 25 किमी सफर 
गांव के लोगों को शासन से मिलने वाले राशन को लेने के लिए 25 किमी दूर महुली गांव तक जाना पड़ता है। इस दौरान लोग राशन लेकर सिर पर लादकर या बाइक से अपने घर तक पहुंचते हैं। वहीं पथरीले पहाड़ पर बाइक भी नहीं चल पाती।

यह हो चुके हैं हादसे
गांव निवासियों ने बताया कि खराब रास्ता और समय से अस्पताल न पहुंच पाने के कारण गांव निवासी बुखार से पीड़ित भुंडा निवासी करन साय, हरीचंद्र और बुधई की मौत हो चुकी है। अन्य लोग भी परेशान रहे हैं।

अभी तक नहीं गया: विधायक
प्रेमनगर विधायक खेलसाय सिंह ने बताया कि क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति काफी खराब है। इस कारण वहां विकास नहीं हो पा रहा है। अभी तक मैं वहां गया तो नहीं हूं। समस्याओं को समझते हुए कोई प्लान बनाना पड़ेगा।

इन गांवों के लोग सह रहे कालापानी का दर्द
ग्राम पंचायत खोहिर के भुंडा, लुल्ह और बैजनपाठ, रामगढ़ ग्राम पंचायत के गांव तेलईपाठ, कछवारी, जुड़ौनिया, ग्राम पंचायत उमझर और रसोकी। सूरजपुर जिले के इस क्षेत्र में एक दौर में नक्सलियों की गहरी पैठ मानी जाती थी, तब प्रशासन यहां विकास में नक्सलियों को विकास की राह का रोड़ा मानता था। दिसंबर 2017 को जिले समेत पूरे क्षेत्र को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है। इसके बाद भी विकास के पहिए को गति नहीं मिल सकी है। हालत यह है कि यहां तक आते-आते शासन-प्रशासन की सभी योजनाएं दम तोड़ देती हैं। इसका प्रमुख कारण है प्रशासन की अनदेखी। यही कारण है कि यहां विकास नहीं हो पा रहा।