पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाए। – Lok Shakti
October 18, 2024

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पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाए।

अगस्त 2004 में, पेट्रोल 36.8 रुपये प्रति लीटर, डीजल 24.6 रुपए और एलपीजी सिलेंडर 26.60 रुपये था, लेकिन अब पेट्रोल, डीजल और एलपीजी क्रमश: 75.78 रुपये, 74.03 और 593.00 रुपये में बेचा जा रहा है।
 6 साल में मोदी-शाह सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाई गयी एक्साइज ड्यूटी क्रमश: 23.78 रुपये और28.37 रुपये को वापस लेना चाहिए।
 भारत के 30 करोड़ लोग आज कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं। गरीब, प्रवासी श्रमिक, दुकानदार, किसान, छोटे और मध्यम व्यवसायी और बड़ी संख्या में बेरोजगार हुए लोग इस कठिन आर्थिक मंदी और महामारी की स्थिति में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इस सबके बावजूद जन विरोधी भाजपा सरकार हर रोज डीजल और पेट्रोल में दामों में वृद्धि का जग?ता पर बोझ डाल कर मुनाफाखोरी व जबरन वसूली कर रही है। पिछले पिछले 8 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमश: 4.52 रुपये और 4.64 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है, जबकि कच्चे तेल की कीमतें बहुत कम हैं।
 रिकॉर्ड की बात है कि मोदी सरकार जब मई 204 में सत्ता में आई तो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क केवल 9.20 रुपये प्रति लीटर और 3.46 रुपये प्रति लीटर पर था, जिसमें पिछले 6 साल में पेट्रोल पर 23.78 प्रति लीटर और डीजल पर 28.37 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी भाजपा सरकार द्वारा की गयी है, जो यूपीए की तुलना में क्रमश: 258 और 820 प्रतिशत ज्यादा है। वर्ष 204-5 से वर्ष 209-20 तक 6 वर्षों की अवधि के बीच, केंद्रीय भाजपा सरकार ने 2 बार पेट्रोल और डीजल पर करें में वृद्धि की और
जनता से 6 साल में 7,80,056 करोड़ रुपए वसूले। आज की कठिन परिस्थितियों में जब लोगों का गुजर-बसर मुश्किल हो रहा हो तब किसी भी सरकार को लोगों पर भारी कर लगाने का कोई अधिकार नहीं है। सस्ता पेट्रोल और डीजल के वायदे कर सत्ता पर काबिज हुईं मोदी सरकार यदि पिछले छह वर्षों के दौरान स्वयं के द्वारा बढ़ाए गया उत्पाद शुल्क को ही वापस ले ले तो पेट्रोल और डीजल दोनों तुरंत 50 रुपये प्रति लीटर से नीचे आ जाएंगे।
 गौरतलब है कि 26 मई 204 को जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी, तब भारत की तेल कंपनियों को कच्चा तेल
08 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरत मिल रहा था, जो तत्कालीन डॉलर-रुपया के अंतर्राष्ट्रीय भाव के अनुसार 6,330 रुपए प्रति बैरल बनता है, जिसका अर्थ है तेल लगभग 40 रुपए प्रति लीटर के भाव पर पड़ रहा था। 2 जून, 2020 को कच्चे तेल का अंतर्राष्ट्रीय भाव 40 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था, जो डॉलर-रुपए भाव के अनुसार 3038.64 रुपए प्रति बैरल बनता है, यानि कुल लागत 20 रुपए प्रति लीटर से बहुत कम पड़ता है। यदि पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस के दामों में इसी अनुपात में कमी की जाए, तो इनके दाम 50 प्रतिशत से ज्यादा कम हो सकते हैं।