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 फसल अवशेषों को न जलायें खेतों को जहरीले कीटनाशकों से बचायें

जिले में धान फसल की कटाई अंतिम चरण में है। जिन क्षेत्रों में धान फसल के बाद रबी फसलों की बोनी होती है, ज्यादातर किसान रबी फसल की जल्दी बुआई के लिए धान पराली को जला देते हैं। जो कि यह एक अनियंत्रित दहन प्रक्रिया है, जिसके कारण कई प्रकार के ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग, जैव विविधता का हनन, मानव व पशुओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरा, कार्बन का नुकसान, भूमि की उर्वरा शक्ति का नाश, भूमिगत सूक्ष्म जीव एवं लाभप्रद जीवों की मृत्यु हो जाती है। जैसे मित्र कीट केंचुआ एवं मकड़ी जल कर नष्ट हो जाते है। जिससे हानिकारक कीटों का प्राकृतिक रूप से नियंत्रण नहीं हो पाता और किसानों को मजबूरन महंगे एवं जहरीले कीटनाशकों का उपयोग करना पड़ता है। जिससे फसल लागत बढ़ जाती है एवं भूमि की उपजाऊ क्षमता कम होने के कारण फसलों का उत्पादन कम होता है। जिसके लिए हमें पराली एवं डिकम्पोजर घोल तैयार कर छिड़काव कर एक अच्छा जैविक खाद का उत्पादन कर सकते हैं। जिससे 25-30 प्रतिशत रासायनिक उर्वरकों में कमी एवं फसलों के उत्पादन लागत को कम किया जा सकता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव-
श्वांस संबंधी रोग फेफड़ों की फोस्ट वाइटल कैपेसिटी एवं पोस्ट एक्सपाएरेटरी वाल्यूम में ंगिरावट आती है। खासकर बुजुर्गों एवं शिशुओं की श्वांस की बीमारी एवं गर्भस्थ महिलाओं में  प्रदूषित हवा के प्रभाव से दिल का दौरा एवं फेफड़ों के कैंसर एवं भ्रूण की वृद्धि रूक जाती है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के तहत खेतों पर जानबूझ के पैरा को जलाये जाने पर  2500 रूपए प्रति व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पैरादान के लिए सम्पर्क करें-
सुराजी गांव एवं गोधन न्याय योजना के तहत जिले में कुल 230 क्रियाशील गौठान हैं। जिसमें पशुओं को व्यवस्थित ढंग से रखकर चारा व पानी की व्यवस्था कि गई है। जहां पर कार्यरत महिला समूहों को स्वालम्बी बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। गौठान में पैरा दान करने के लिए संबंधित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, ग्राम सचिव व जनपद पंचायत सीईओ सें सम्पर्क कर सकते हैं। जनपद पंचायत सीईओ द्वारा दान किये गई पैरा को गौठान में ले जाने की व्यवस्था की जाएगी।