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Editorial:सीआईआई की चिंताएं

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27-11-2022

सीआईआई चाहती है कि आय कर में छूट देकर और ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं के जरिए लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाई जाए। अनेक अर्थशास्त्री यह सुझाव पहले से दे रहे हैं। लेकिन सरकार ने उन हार्वर्डÓ शिक्षित अर्थशास्त्रियों की बात नहीं सुनी। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) ने अगले साल के बजट के लिए सरकार को जो कदम उठाने के सुझाव दिए हैं, सामान्य दिनों में इस संगठन से जुड़े उद्योगपति उन्हें समाजवादÓ कहते। लेकिन मोनोपॉली के स्तर पर पहुंची मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की नीतियों ने इन उद्योगपतियों का बाजार इस तरह सिकोड़ दिया है कि उन्हें अब अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स के फॉर्मूले में ही रास्ता नजर आ रहा है। ये बात ध्यान में रखने की है कि सीआईआई परंपरागत उद्योगपतियों की संस्था है- यानी उद्योगपतियों की जिनका कारोबार कारखाना उत्पादन और उनकी बिक्री पर निर्भर करता है। अब ये संस्था क्या सुझाव दे रही है, इस पर गौर कीजिए। इसने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की मांग नहीं की है। बल्कि कहा है कि इसे मौजूदा स्तर पर ही बनाए रखा जाए। इसके बदले उसने निजी आय कर में छूट देने और जीएसटी की 28 प्रतिशत दर के तहत आने वाली वस्तुओं पर यह कर घटाने का सुझाव दिया है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा करने वाली योजनाएं लागू करने की मांग उसने सरकार से की है।साफ कहा है कि इस समय उपभोग और मांग बढ़ाने वाली नीतियों की जरूरत है। सरकार इन सुझावोँ को सुनेगी या नहीं, यह हमें नहीं मालूम। लेकिन सीआईआई ने जो कहा है, उससे देश की असल अर्थव्यवस्था का हाल जरूर जाहिर हुआ है। यही हाल तेल साबुन जैसी रोजमर्रा की जरूरत की चीजें बनाने वाली (एफएमसीजी) कंपनियों की हालिया तमाम रिपोर्टों से भी सामने आया है। सरकार की आम जेब से निकाल कर कॉरपोरेट सेक्टर को पैसा ट्रांसफर करने वाली नीतियों ने जमीन पर बाजार को सिकोड़ दिया है। कोरोना महामारी और उसके बाद तेजी से बढ़ी महंगाई ने मध्य वर्ग के पास भी अतिरिक्त उपभोग की गुंजाइश नहीं छोड़ी है। तो सीआईआई चाहती है कि आय कर छूट देकर उसकी जेब अधिक पैसा छोड़ा जाए और ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाई जाए। अनेक अर्थशास्त्री यह सुझाव पहले से दे रहे हैं। लेकिन हार्ड वर्कÓ वाली सरकार ने उन हार्वर्डÓ शिक्षित अर्थशास्त्रियों की बात नहीं सुनीं। तो पानी अब सिर से ऊपर से गुजरने लगा है।