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प्राकृतिक संसाधनों का पर्यावरण अनुकूल उपयोग समय की जरूरत

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि प्राकृतिक संसाधनों का पर्यावरण अनुकूल उपयोग सुनिश्चित किया जाना समय की अनिवार्यता है। आवश्यकता है कि पारंपरिक ऊर्जा के उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए कुशलतर और स्वच्छ प्रक्रियाओं को विकसित किया जाएँ। श्री पटेल आज राजभवन भोपाल से आभासी माध्यम से इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा विद्युत अभियंताओं के 37वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि पर्यावरण की चिंता केवल सरकार की नहीं, प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। ज़रूरी है कि ऊर्जा, पर्यावरण-संरक्षण के प्रति बच्चे, युवा और बुजुर्ग सजग और सक्रिय हों। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन ऊर्जा प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अभियंताओं के बीच विचारों के आदान-प्रदान का मंच बनेगा। देश को औद्योगिक रूप से अधिक उन्नत और भावी पीढ़ियों के लिए स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पथ को आलोकित करेगा।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2047 तक 5 ट्रिलियन की अर्थ-व्यवस्था के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत दुनिया के 5 शीर्ष अर्थ-व्यवस्थाओं की सूची में शामिल हो गया है। केंद्र सरकार चौथी औद्योगिक क्रांति के द्वारा राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्था को बढ़ावा और नागरिकों को सस्ती कीमत पर बिजली देने के लिये प्रयासरत है। ऊर्जा आपूर्ति पर्यावरण सुरक्षित हो, इस दिशा में सरकार तेजी से कार्य कर रही है। दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ पर्यावरण के लिए वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन सघनता को वर्ष 2005 के स्तर से 33 से 35 प्रतिशत तक कम करने का संकल्प किया है।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म आधारित बिजली उत्पादन क्षमता को स्थापित ऊर्जा उत्पादन के करीब 30 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही अतिरिक्त वन और वृक्ष आच्छादन के माध्यम से एक अतिरिक्त संचयी कार्बन सिंक बनाने के कार्य भी तेज गति से चल रहे हैं। केंद्र और प्रदेश सरकारें ऊर्जा आपूर्ति में सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवकरणीय संसाधनों पर विशेष बल दे रही हैं ।

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिवीजन बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर कुमार कल्ला ने कहा कि स्वच्छ, हरित ऊर्जा के प्रति जन-जागृति निरंतर बढ़ रही है। उसका बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने ऊर्जा की मांग के अनुसार उन्नत तकनीकों के विकास की जरूरत बताई। सम्मेलन के संयोजक डॉ. विवेक चंद्रा ने कहा कि ऊर्जा का उपयोग जीवन स्तर की गुणवत्ता का आधार है, जिसे प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपभोग से समझा जाता है। उन्होंने ऊर्जा के क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का विवरण देते हुए संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन किया। स्वागत उद्बोधन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स  की जबलपुर इकाई के अध्यक्ष श्री प्रकाश चंद दुबे ने दिया। मानसेवी सचिव श्री संजय कुमार मेहता ने आभार माना।