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शंकराचार्य चयन विवाद पर काशी विद्वत परिषद दो फाड़,

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शंकराचार्य चयन के मामले में काशी विद्वत परिषद दो फाड़ हो गया है। अध्यक्ष और महामंत्री आमने सामने आ गए हैं। महामंत्री ने जहां ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य का समर्थन किया है। वहीं, अध्यक्ष ने महामंत्री को ही फर्जी करार दे दिया है। अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि शंकराचार्य के चयन विवाद से परिषद का कोई लेनादेना नहीं है। न तो हम इसका समर्थन करते हैं और न ही कोई विरोध जताया है।

महामंत्री प्रो. कमलाकांत त्रिपाठी एवं सदस्य परमेश्वर दत्त शुक्ल ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और द्वारका पीठाधीश्वर स्वामी सदानंद महाराज का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शंकराचार्य के पद को विवादित कर काशी विद्वत परिषद व भारत धर्म महामंडल को विवादित करना चाहते हैं।

वहीं, अध्यक्ष प्रो. शुक्ल ने कहा कि काशी विद्वत परिषद के नाम पर फर्जी तरीके से पत्र जारी कर समाज को बरगलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। शासन प्रशासन को पत्र लिख सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।

प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि परिषद के फर्जी लेटर पैड का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई होगी। जिन लोगों ने अपने को महामंत्री तथा मुझे अध्यक्ष लिखा है वह फर्जी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा जा रहा है तथा स्थानीय प्रशासन को सूचित कर कार्रवाई की मांग की जाएगी। कमालाकांत त्रिपाठी ने फर्जी महामंत्री बनकर लेटर पैड में मेरे आवास नगवां का पता दिया है। इन सभी पर मुकदमा किया जाएगा। उपाध्यक्ष प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी ने कहा कि यह सब फर्जी लोग हैं।

प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि काशी विद्वत परिषद ज्योतिष बद्रिकाश्रम पीठ के शंकराचार्य के संबंध में कोई शास्त्रार्थ का आयोजन नहीं कर रहा है। महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि कुछ लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं कि शंकराचार्य के चयन को लेकर काशी विद्वत परिषद कुछ संतों को आमंत्रित कर चर्चा करेगी। यह सब गलत और भ्रामक है। काशी विद्वत परिषद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करती है। जब तक न्यायालय से कोई उचित व्यवस्था नहीं होती तब तक परिषद कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।

शंकराचार्य चयन के मामले में काशी विद्वत परिषद दो फाड़ हो गया है। अध्यक्ष और महामंत्री आमने सामने आ गए हैं। महामंत्री ने जहां ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य का समर्थन किया है। वहीं, अध्यक्ष ने महामंत्री को ही फर्जी करार दे दिया है। अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि शंकराचार्य के चयन विवाद से परिषद का कोई लेनादेना नहीं है। न तो हम इसका समर्थन करते हैं और न ही कोई विरोध जताया है।

महामंत्री प्रो. कमलाकांत त्रिपाठी एवं सदस्य परमेश्वर दत्त शुक्ल ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और द्वारका पीठाधीश्वर स्वामी सदानंद महाराज का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शंकराचार्य के पद को विवादित कर काशी विद्वत परिषद व भारत धर्म महामंडल को विवादित करना चाहते हैं।

वहीं, अध्यक्ष प्रो. शुक्ल ने कहा कि काशी विद्वत परिषद के नाम पर फर्जी तरीके से पत्र जारी कर समाज को बरगलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। शासन प्रशासन को पत्र लिख सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।