जर्मन तकनीक पर आधारित देश के गिनती के केबल पुलों में से एक नैनी के नए यमुना सेतु के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का काम बुधवार से शुरू हो गया। इस पुल के पिलर नंबर 15-ए के एक्सपेंशन ज्वाइंट की प्लेट बीती 12 जुलाई को भारी वाहनों के दबाव की वजह से टूट गई थी। क्षतिग्रस्त हिस्से के गर्डर के सुदृढ़ीकरण के साथ ही बेयरिंग और क्षतिग्रस्त एक्सपेंशन ज्वाइंट बदलने में चार महीने का समय लग सकते हैं। मरम्मत वाली जगह वाली जगह पर बैरिकेडिंग की गई है। जिससे घंटों जाम भी लगा रहा।
इस सेतु की मरम्मत के लिए एनएचएआई ने रूट डायवर्ट नहीं लिया है। 1.6 किमी लंबे इस सेतु की सात मीटर लंबी दाहिनी लेन में क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत शुरू की गई है। इसके लिए सेतु की इस लेन की साढ़े चार मीटर सड़क को यातायात के लिए छोड़ दिया है। जबकि, ढाई मीटर के दायरे में बैरिकेडिंग करा दी गई है। बैरिकेडिंग लगाए जाने से वहा रास्ता संकरा हो गया है। इससे मिर्जापुर और रीवा रोड से आने वाले वाहनों के दबाव से जाम लगने लगा है। बुधवार को भी इस सेतु पर घंटों जाम लगा रहा और वाहन चींटी की तरह रेंगते नजर आए।
2004 में पुराने नैनी ब्रिज पर यातायात का दबाव कम करने के लिए इस सेतु का निर्माण कराया गया था। इस पुल का निर्माण हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और जर्मनी की हुंडई इंजीनियरिंग ने संयुक्त रूप से किया था। अफसरों के मुताबिक फोर लेन नया यमुना पुल आधुनिक डिजाइन के कारण हर किसी को आकर्षित करता है। इसमें कंक्रीट से बने दो पिलर हैं, जो स्टील केबलों के सहारे इस पुल की छत को सहारा देते हैं। केबल के सहारे टिके इस पुल से मीरजापुर, मध्य प्रदेश की ओर प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं।
यमुना सेतु के दोनों एक्सपेंशन ज्वाइंट बदलने पर आएगा दो करोड़ रुपये का खर्च
नैनी के यमुना पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से के दोनों ज्वाइंट एक्सपेंशन बदले जाएंगे। इसके लिए दो फ्रांसीसी कंपनियों ने इस्टीमेट प्रस्तुत किया है। इस सेतु के ज्वाइंट एक्सपेंशन की मरम्मत में करीब दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च आने का अनुमान है। सेतु की मरम्मत में अभी चार महीने से अधिक समय लग सकता है। इस फोर लेन सेतु में चार ज्वाइंट एक्सपेंशन लगाए गए हैं। इनमें से क्षतिग्रस्त हिस्से वाले दोनों तरफ के एक्सपेंशन ज्वाइंट बदले जाएंगे। एनएचएआई के क्षेत्रीय परियोजना निदेशक पंकज मिश्र के मुताबिक एक एक्सपेंशन ज्वाइंट जहां टूटा है, उससे लगे दूसरे एक्सपेंशन को भी बदलने का निर्णय लिया गया है। इसलिए दोनों एक्सपेंशन ज्वाइंट बदलने का इस्टीमेट तैयार किया गया है।
नए यमुना सेतु की मरम्मत का काम शुरू करा दिया गया है। अभी डेढ़ महीने तक गर्डर सुदृढ़ीकरण का काम होगा। इसके बाद बेयरिंग बदली जाएगी और नए एक्सपेंशन ज्वाइंट लगाने के साथ ही सेतु के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत पूरी कराकर बैरिकेडिंग हटा दी जाएगी। पुल की पूरी मरम्मत में चार महीने का समय लगेगा। – पंकज मिश्र, क्षेत्रीय परियोजना निदेशक, एनएचएआई।
जर्मन तकनीक पर आधारित देश के गिनती के केबल पुलों में से एक नैनी के नए यमुना सेतु के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का काम बुधवार से शुरू हो गया। इस पुल के पिलर नंबर 15-ए के एक्सपेंशन ज्वाइंट की प्लेट बीती 12 जुलाई को भारी वाहनों के दबाव की वजह से टूट गई थी। क्षतिग्रस्त हिस्से के गर्डर के सुदृढ़ीकरण के साथ ही बेयरिंग और क्षतिग्रस्त एक्सपेंशन ज्वाइंट बदलने में चार महीने का समय लग सकते हैं। मरम्मत वाली जगह वाली जगह पर बैरिकेडिंग की गई है। जिससे घंटों जाम भी लगा रहा।
इस सेतु की मरम्मत के लिए एनएचएआई ने रूट डायवर्ट नहीं लिया है। 1.6 किमी लंबे इस सेतु की सात मीटर लंबी दाहिनी लेन में क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत शुरू की गई है। इसके लिए सेतु की इस लेन की साढ़े चार मीटर सड़क को यातायात के लिए छोड़ दिया है। जबकि, ढाई मीटर के दायरे में बैरिकेडिंग करा दी गई है। बैरिकेडिंग लगाए जाने से वहा रास्ता संकरा हो गया है। इससे मिर्जापुर और रीवा रोड से आने वाले वाहनों के दबाव से जाम लगने लगा है। बुधवार को भी इस सेतु पर घंटों जाम लगा रहा और वाहन चींटी की तरह रेंगते नजर आए।
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