हिमाचल से आये गद्दी समुदाय के कलाकारों ने गद्दी लोक नृत्य की सुंदर प्रस्तुति की। यह लोक नृत्य भगवान शिव की आराधना पर आधारित है। हिमाचल के चंबा के भरमौर क्षेत्र को शिव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इस नृत्य की खासियत गद्दी समुदाय के लोगों की वेशभूषा रही। इस समुदाय का मूल कार्य खेती बाड़ी और भेड़ पालना है। पुरुष कलाकारों ने ऊन से बना चोला पहना था और सिर पर खास तरह की हिमाचली टोपी पहनी थी। महिलाओं ने भी ऊन के वस्त्र पहने थे। उनके सिर पर दुपट्टा था और वे चाँदी के आभूषणों से सजी हुई थीं। सबसे खास बात यह है कि इनके लाकेट में शिव जी की आकृति बनी हुई थी। यह नृत्य भगवान शिव की आराधना का नृत्य है। उल्लेखनीय है कि हिमाचल के लोकजीवन में भगवान शिव से संबंधित अनेक अनुश्रुतियां प्रचलित हैं और समय समय पर मेलों और त्योहारों के माध्यम से इनका प्रदर्शन होता रहता है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान इनकी खास झलक देखने में आई। लोगों ने हिमाचली संस्कृति के इस रंग को खूब सराहा। विशेष रूप से खास हिमाचली पोशाक में आये कलाकारों से खासे प्रभावित हुए। नृत्य की खास विशेषता इसके वाद्ययंत्र घड़ाथाली और रणसिंगा से विशेष रूप से उभर कर सामने आई और लोगों ने इसका खासा आनंद लिया।
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