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कोविड-19 संकट से संघर्ष: पूर्वोपाय, रोकथाम और निवारण एक वृतांत

–     अमिताभ कांत एवं सेरा आईप

जैसे-जैसे कोविड-19 महाद्वीपों में फैल रहा है, हमें विश्व की मानव दशा की दुर्बलता की याद दिला रहा है और विश्व, हेडलाइट्स से रूक गए एक हिरण की भांति समय के साथ स्थिर हो गया है। हम ऐतिहासिक महामारियों और बाइबिल काल की विपत्तियों के बारे में सुनते हैं किन्तु आधुनिक सभ्यता के लिए शायद ही कभी कोई ऐसी चुनौती रही हो, जिसने जीवन में ठहराव ला दिया हो। कोरोना वायरस ने जीवन और आजीविका दोनों पर विराम लगा दिया है।

23 लाख से अधिक सक्रिय मामलों और 1.6 लाख मौतों के साथ इस महामारी ने सौ देशों से अधिक और दुनिया की एक-तिहाई आबादी को लॉकडाउन कर दिया है। किन्तु, ये उपाए अपने स्वयं के प्रभाव के बगैर नहीं हैं। अर्थशास्त्रियों ने पहले से ही चेतावनी दी है कि अर्थव्यवस्था को होने वाली क्षति 1930 के दशक की महामंदी के समान ही अथवा उससे भी अधिक हो सकती है।

      भारत, जहां छठी मानवता बसती है और दुनिया में एक विशालतम कामकाजी आबादी में से से एक – कोरोना के साथ कैसे संघर्ष करेगा से भविष्य का निर्धारण होगा। जहां पश्चिम के नीति विशेषज्ञ महामारी के पश्चात विश्व की एक गंभीर तस्वीर पेश कर रहे हैं, वहीं भारत पहले से ही सुधार और मुक्ति का रास्ता निकाल रहा है।

      महामारी को लेकर हमारी नीतिगत प्रतिक्रियाएं छिन्न-भिन्न रही हैं। महामारी जिस प्रकार बढ़ रही है, उस तरीके से, भारत की नीति पूर्वोपाय से रोकथाम और अब निवारण के लिए विकसित हुई है।

सर्वप्रथम, भारत कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक लगाने के लिए यात्रा एडवाइजरी जारी करने से लेकर हवाई अड्डों पर विदेशी यात्रियों की तापमान जांचने, संगरोध (क्वारंटाईन) केंद्र स्थापित करने, अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू यात्रा पर सर्वप्रथम प्रतिबंध लगाने वाले देशों में एक रहा और अपेक्षित सावधानी बरतने में शीघ्रता दिखाई। इन उपायों ने भारत के कोरोना वायरस केस काउंट को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वास्तव में, सर्वप्रथम सूचित किए गए मामले के 46 दिन बाद, इटली के दैनिक कोरोना मामलों की संख्या भारत के मामलों की तुलना में एक हजार गुना अधिक थी। इसी तरह, भारत और संयुक्त राज्य अमरीका में सर्वप्रथम सूचित किए गए मामले में समान रूप से सूचित किए गए मामलों के 40 दिन बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका में दैनिक मामलों की संख्या भारत के दो सप्ताह के मामलों की तुलना में 25 गुना अधिक थी। भारत में दैनिक और संचयी मामलों की वृद्धि दर लगातार रैखिक, निम्न तथा गैर-घातांकीय रही है।

दूसरा, भारत ने महामारी के प्रसार को रोकने के लिए 1.3 बिलियन से अधिक लोगों के पूर्ण लॉकडाउन को लागू करके सबसे साहसिक उपायों में से एक को अपनाया। यह कदम न केवल समय पर था क्योंकि इसे चीन, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन आदि जैसे अन्य देशों की तुलना में शीघ्र ही लागू किया गया था। इससे लगभग 150 गुना कम संक्रमित लोगों की संख्या का अनुमान है। भारत का तीन सप्ताह का ल़ॉकडाउन पहले से ही महामारी में कमी के परिणाम दिखा रहा है। परिणामस्वरूप, मामलों की वृद्धि दर में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। राष्ट्रीय स्तर पर जहां लॉकडाउन से 3 दिन पूर्व के दोहरा होने के मामले अब गिरकर 6.2 दिन हो गए हैं, जबकि 19 राज्यों और संघ राज्य क्षेंत्रों ने औसतन-दोहरी दरों की अपेक्षा बेहतर प्रगति का प्रदर्शन किया है। भारत का संघीय ढांचा प्रधानमंत्री और राज्य के नेतृत्व के मध्य निरंतर बातचीत तथा निरंतर परामर्श से प्रेरित सहकारी भागीदारी के लिए एक मॉडल है। 

तीसरा, 3 मई तक लॉकडाउन के विस्तार सहित सरकार का ध्यान सटीक नीति, हॉटस्पॉट की मैपिंग पर है और अर्थव्यवस्था की गाड़ी को तेज करने की दिशा में अग्रसर है। जहां लॉकडाउन का पहला चरण जीवन बचाने पर केंद्रित है, वहीं विस्तारित लॉकडाउन अवधि का मुख्य उद्देश्य जीवन और आजीविका, विशेष रूप से ग्रामीण भारत के संदर्भ में जहां प्रत्येक चरण का अर्थ एक-दूसरे से है, के बीच संतुलन लाना है।

20 अप्रैल के बाद से श्रेणीबद्ध प्रतिबंध हटाने के साथ ही, हाल ही के दिशानिर्देश जिलों और राज्यों को अपनी पुनर्बहाली प्रक्षेपपत्र से बाहर आने के लिए स्वायत्तता प्रदान करेंगे। वास्तव में, यह सबसे अधिक प्रभावित गरीब और प्रवासी कामगारों के लिए आर्थिक संकट को कम करने के लिए, सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति को इंगित करता है। भारत सरकार ने 320मिलियन से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के रूप में लगभग 4बिलियन अमरीकी डॉलर की वित्तीय सहायता पहले ही संवितरित कर दी है।

कोर आर्थिक गतिविधियों के रूप में पुनः प्रारंभ करने वाले राज्यों के साथ नवीनतम दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है जिसे हम ट्रैफिक लाइट दृष्टिकोण कहते हैं। देश में क्षेत्रों को ट्रैपिक लाइट के रेड, ऑरेंज और ग्रीन रंगों, जो कोरोना वायरस मामलों की घटनाओं पर निर्भर करेगा, में सीमांकित किया जाएगा। रेड जोन या कोविड-19 हॉटस्पाट्स में जगह-जगह सख्त लॉकडाउन होता रहेगा जबकि ऑरेंज जोन (कुछ मामलों सहित) तथा ग्रीन जोन (बिना किसी मामले के) पर प्रतिबंधों में ज्यादा छूट दी जाएगी। अब तक, भारत के 718 जिलों में से 170 जिले हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किए गए हैं। औसतन, प्रत्येक राज्य में दस में से सात मामले सिर्फ तीन राज्यों से सामने आये हैं। इसके अलावा, भारत में दो जिलों में से एक में कोविड-19 मामले की कोई सूचना नहीं है और इसलिए वहां अर्थव्यवस्था पुनः प्रारंभ की जा सकती है।

ये दिशा-निर्देश प्राथमिक और कृषि आधारित उद्योगों के पूरे इकोसिस्टम तंत्र को उत्पादन की ओर बढ़ने की अनुमति देते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि गर्मियों की फसलों (चावल, दालें, मोटे अनाज और तेलहन सहित) के कुल क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष की तुलना में 11.64 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है। देश आने वाले महीनों में बंपर फसल के उत्पादन की ओर भी बढ़ रहा है।

एक सक्रिय राजनीतिक नेतृत्व, कुशल नौकरशाही और सहयोगी जनता के बीच समन्वय के कारण जीवन की सामान्य स्थिति वापस आ रही है। हमारे पास समस्त मंत्रालयों के दिशानिर्देश हैं जो एक के बाद एक तीव्रता से जारी किए जा रहे हैं ताकि आपूर्ति श्रृंखला की अड़चनों को दूर किया जाए और गैर-हॉटस्पॉट क्षेत्रों के लाभार्थी मुख्य रूप से किसान तथा छोटे और मध्यम उद्यमी अपनी आर्थिक गतिविधियां शुरू करें।

लॉकडाउन की शुरुआत से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत लगभग 16,000 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, जिससे 8.31 करोड़ किसान परिवारों को लाभ मिल रहा है। इसी प्रकार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएम-जीकेवाई) के तहत राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को डिलीवरी हेतु लगभग चार हजार मीट्रिक टन दाल भेजी गयी है। ईएनएएम प्लेटफॉर्म को बड़े परिवहन एग्रीगेटरों के लिए एक इंटरफेस बनाकर एग्री-लॉजिस्टिक की अड़चनों को दूर करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। सब्जियों और फल जैसी नष्ट होने वाली वस्तुओं, बीज कीटनाशक और उर्वरक आदि जैसे इनपुटों की अंतर्राज्यीय आवाजाही के लिए राज्यों के बीच समन्वय हेतु अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेंटर शुरु किया गया है।

भारतीय रेल 65 से अधिक रूटों पर नष्ट होने वाली वस्तुओं के लिए 134 पार्सल स्पेशल ट्रेनें चला रहा है, और नागर विमानन मंत्रालय द्वारा ‘लाइफलाइन उड़ान’ योजना के तहत देश के दूरदराज क्षेत्रों में आवश्यक मेडिकल कार्गों के परिवहन के लिए 247 फ्लाइटों का परिचालन किया गया है। 

ये दिशानिर्देश कृषि क्षेत्र, जो देश के लगभग 60%  लोगों की आजीविका का प्राथमिक स्रोत है, को खोलने के अलावा, अन्य क्षेत्रों, जैसे निर्माण, जिनमें सबसे बड़ी संख्या में अनौपचारिक दैनिक मजदूर, ई-कॉमर्स, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन आदि स्वरोजगार सेवाएं शामिल हैं और विशेष आर्थिक क्षेत्रों में विनिर्माण उद्योगों को भी खोलने की अनुमति देते हैं। वास्तव में, इन कदमों से देश के अधिकांश लोगों के लिए आजीविका बहाल होगी और उनके हित में महत्वपूर्ण योगदान होगा।

प्रतिबंधों में ढील के बावजूद, सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रत्येक नागरिक द्वारा कोरोना वायरस के खिलाफ इस संघर्ष को आत्म-अनुशासन, मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के माध्यम से जारी रखना होगा। इस लड़ाई मे प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण उपकरण है। भारत के सर्वश्रेष्ठ तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा गुणवत्ता, गोपनीयता, सुरक्षा और स्केलेबिलिटी के साथ निर्मित एक अनूठा ऐप आरोग्य सेतु के माध्यम से संपर्क ट्रेसिंग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यह अपने लॉन्च होने के 15 दिनों के भीतर आश्चर्यजनक रूप से 60 मिलियन उपयोगकर्ताओं तक पहुँच गया है और एक अज्ञात शत्रु के खिलाफ हमारे संघर्ष में इसने अत्यधिक मूल्यवर्धन किया है।

जीवन बचाने के मामले में भारत पहले ही अपनी सफलता साबित कर चुका है। प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 0.4 कोविड से संबंधित मृत्यु के साथ, भारत स्पेन, यूके,यूएसए और यहाँ तक कि जर्मनी जैसे “उन्नत” देशों से बहुत आगे है, जिन्होंने क्रमशः प्रति मिलियन 441, 228, 118 और 54 मौतें दर्ज की है। कुल मिलाकर केवल 4 देशों – फ्रांस, इटली, स्पेन और यूके में विश्व भर के कोविड से संबंधित मौतों का आधा हिस्सा है। जबकि अमेरिका में कुल मृत्यु का 25% हिस्सा है, भारत केवल 0.3% के लिए जिम्मेदार है। जाँच के संदर्भ में भी, भारत कुल जाँचों के अनुपात में 4.7 प्रतिशत पॉजिटिव मामलों की रिपोर्ट कर रहा है। जबकि यह संख्या फ्रांस, स्पेन और अमेरिका जैसे देशों में कम से कम पाँच गुना अधिक है।

वास्तव में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सरकार की सक्रिय प्रतिक्रिया की सराहना की है, और भारत को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कोरोना वायरस सरकारी रिस्पांस ट्रैकर में सर्वोच्च स्कोर भी प्राप्त हुआ है। आगे जाकर, भारत की इस महामारी के बाद की अर्थव्यवस्था में सुधार के उपाय पर भी अंतर्राष्ट्रीय नज़र रहेगी और यह दुनिया के अनुसरण के लिए एक टेम्पलेट के रूप में कार्य करता रहेगा।

प्रधानमंत्री ने अपने हालिया संबोधन में 18वीं शताब्दी के उर्दु मुहावरे ‘जान है, तो जहान है’ (यदि आप जीवित हैं, तो दुनिया कायम रहेगी) का उल्लेख किया था। जबकि यह वाक्यांश हमारे वर्तमान समय के संघर्षों को विशिष्ट रूप से व्यक्त करता है, भारत की सुसंगत कार्यनीतियां और विकासशील नीतिगत प्राथमिकताएं भारत की अर्थव्यवस्था की उड़ान को सुनिश्चित करेगी, ताकि जान रहे और हमारा जहान भी (ताकि हमारे लोग जीवित रहे और हमारी बनाई दुनिया भी)।

अमिताभ कांत, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नीति आयोग है और सेरा आईप, नीति आयोग में एक यंग प्रोफेशनल हैं। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।