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Editorial:जिनपिंग की तानाशाही दीमक के भांति खोखला करेगी चीनी लोकतंत्र

1-11-20222


विश्लेषकों का कहना है कि सीपीसी में शी का अब लगभग वह दर्जा हो गया है, जो कभी माओ जेदुंग को प्राप्त था। 20वीं कांग्रेस ने मोटे तौर पर शी जिनपिंग की नीतियों और विचारों पर मुहर लगा दी है। जिनपिंग की तानाशाही की बात की जाये तो यह सर्वविदित है कि चीन की जनता भी अब जिनपिंग की तानाशाही से परेशान हो चुकी है पिछले महीने ही वहॉ के लोगों ने पोस्टर भी लगाये थे जिसमें जिनपिंग के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला था।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की 20वीं कांग्रेस (महाधिवेशन) सार यह रहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब व्यक्ति और विचार के रूप में पार्टी के निर्विवाद नेता मान लिए गए हैँ। बल्कि कुछ विश्लेषकों का तो यह कहना है कि सीपीसी में शी का अब लगभग वह दर्जा हो गया है, जो कभी माओ जेदुंग को प्राप्त था। हालांकि पार्टी पर शी के प्रभाव को लेकर पहले भी कोई शक नहीं था, लेकिन ऐसे तमाम संकेत हैं कि 20वीं कांग्रेस ने मोटे तौर पर शी जिनपिंग की नीतियों और विचारों पर मुहर लगा दी है। अब सीपीसी ने शी के विचारों और लेखन को भी पार्टी ने आत्मसात कर लिया है। यानी शी की विचारधारा को, जिसे शी जिनपिंग थॉट के नाम से जाना जा रहा है- अब पार्टी की विचारधारा माना जाएगा।
शी वैसे तो अपने इन विचारो को पहले से सामने रख रहे हैं, लेकिन उद्घाटन सत्र में उन्होंने इसकी फिर व्याख्या की थी। उन्होंने चीन के ‘समाजवादी आधुनिकीकरणÓ, साझा समृद्धि, पर्यावरणीय सभ्यता के निर्माण, और 2049 तक चीन को पूर्णत: समृद्ध समाज बनाने के बारे में अपनी कार्ययोजना पेश की है।
साथ ही उन्होंने 2035 तक चीन को हाई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया की अग्रणी शक्ति बनाने और उसी वर्ष तक देश में कानून के राज (रूल ऑफ लॉ) आधारित शासन कायम करने का लक्ष्य भी पेश किया है। गौरतलब है कि सीपीसी की कांग्रेस का आयोजन हर पांच साल पर होता है। यह पार्टी की नीति को अंतिम रूप देने और पदाधिकारियों के चुनाव का मौका होता है। इस बार सीपीसी के 2,296 प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया। उन्होंने शी जिनपिंग के पांच साल और सीपीसी का महासचिव, चीन का राष्ट्रपति, और देश के राष्ट्रीय सैनिक आयोग का अध्यक्ष बने रहने का रास्ता साफ कर दिया।
इस तरह हर दस साल पर नेतृत्व बदलने की दो दशकों से चल रही परंपरा टूट गई है। पश्चिमी दुनिया की निगाहें यही देखने पर थीं कि इस कांग्रेस में शी को कितना समर्थन मिलता है। जाहिर है, शी को कमजोर होते देखने वाली शक्तियों को सामने आए परिणामों से मायूसी होगी।