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कोरोना वायरस: एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला समय की मांग

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कोरोना वायरस ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है और पिछले वर्ष दिसंबर में चीन के वुहान शहर से इसके फैलने की शुरुआत के बाद दुनिया भर में तीस हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसने लोगों को एकांतवास (क्‍वारंटीन) में रहने, सभी से दूरी बनाए रखने और देशों को अपनी आबादी को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में अब तक के सबसे बड़े विनाश का कारण बनेगा, जिससे विश्‍व भर में जीडीपी में बड़ी गिरावट आएगी। भारत में, हम दुनिया की 18% आबादी के लिए तीन सप्ताह के लॉकडाउन को देख रहे हैं। इससे नागरिकों के जीने के लिए रोजमर्रा की वस्‍तुओं और सामान के प्रवाह और साथ ही महामारी का मुकाबला करने के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर भारी असर पड़ रहा है।

अनिश्चितता के इस माहौल में, सभी देशों के सामने सबसे बड़ा जोखिम उनकी स्वास्थ्य प्रणाली, संसाधनों और आपूर्ति श्रृंखला का संभावित टूटना है। कोविड-19 के देशों में चिकित्सा आपूर्ति, परीक्षण किट, श्वासयंत्र, मास्क, ट्यूब, रोब्‍स थर्मामीटर, हज़मेट सूट और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की ऐसे समय पर तेजी से मांग बढ़ी है, जब परम्‍परागत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बंद हो रही हैं।

वर्ष 2015 में एमईआरएस (मार्स) फैलने के बाद, जिसने उसकी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह कमजोर कर दिया था, दक्षिण कोरिया ने विश्लेषण किया कि क्या गलत हुआ था। पर्याप्त परीक्षण किट नहीं थे, जिसके कारण एमईआरएस (मार्स) से पीड़ित लोग बीमारी का पता लगाने और उसकी पुष्टि के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल की तरफ दौड़ रहे थे। इसके अलावा, लगभग 83% संचरण (ट्रांसमिशन) केवल पांच सुपर-स्प्रेडर्स के कारण था- 44% या एमईआरएस से प्रभावित 186 में से करीब 81 लोगों को 16 अस्‍पतालों में यह बीमारी होने के कारण इसका ट्रांसमिशन हुआ था। क्या होता यदि विस्तृत परीक्षण किया गया होता, संपर्कों का खाका तैयार किया गया होता और इसको फैलने से रोकने के लिए उन पांच लोगों को अलग कर दिया गया होता?

बार-बार परीक्षण कम होने का एक कारण परीक्षण किट और सहायक चिकित्सा आपूर्ति की बड़े पैमाने पर उपलब्धता चुनौती है। वायरस का पता लगाने वाले अधिकांश किट केवल बड़े शहरों में उपलब्ध हैं। महामारी भौगोलिक सीमाओं, नस्ल, जातीयता और आर्थिक स्थिति को नहीं पहचानती है। अ‍केले स्वास्थ्य देखरेख प्रणाली को सहायता देने से कोई भी क्षेत्र भविष्य में महामारियों के लिए इतना सहनशील नहीं होगा, इनमें से कुछ कोविड -19 से भी ज्‍यादा खतरनाक हो सकते हैं। दुनिया को अलग तरह से सोचना होगा; बेहतर सोचना होगा।

सच्‍चाई यह है कि एक उत्‍कृष्‍ट स्वास्थ्य सेवा प्रणाली आज भी किसी महामारी से निपटने के दौरान कम पड़ जाएगी। सघन चिकित्‍सा कक्षों और उससे जुड़े जीवित रखने के उपकरणों की संख्‍या एक महामारी में सामान्य से बहुत अधिक होगी। यह एक विशाल आपूर्ति श्रृंखला की आवश्‍यकता को रेखांकित करती है जो अल्‍पकालीन सूचना पर बढ़ जाएगी।

अधिकांश भागों में, परम्‍परागत स्‍वास्‍थ्‍य देखरेख आपूर्ति श्रृंखला में अत्यधिक विशिष्ट और अपेक्षाकृत छोटी फैक्‍टरी इकाइयां शामिल हैं। ऊंचाई हासिल कर लेना कोई निर्णय नहीं है; बल्कि यह एक कौशल है। स्केलिंग के लिए उच्च-परिमाण के नियोजन, ऋण, वैश्विक अवसंरचना, सामाजिक पूंजी और मूल्‍य निर्धारित करने की परिष्कृत प्रक्रिया की आवश्यकता है। यही कारण है कि चीन में भी, उत्तरजीविता उपकरण जैसे मास्‍क की मांग को पूरा करने के लिए परम्‍परागत स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल आपूर्ति श्रृंखला पर्याप्त नहीं थी। चीन के बीवाईडी (ईवी और बैटरी निर्माता) ने टास्क फोर्स की नियुक्ति की, जिसमें 90% स्‍वदेशी कलपुर्जों का उपयोग करते हुए शेन्ज़ेन में एक मौजूदा संयंत्र में उत्पादन लाइनें बनाने के लिए 3,000 इंजीनियरों की नियुक्ति की गई। वे एक महीने में दुनिया के सबसे बड़े मास्‍क निर्माता बन गए। अधिकांश स्वास्थ्य देखरेख कंपनियों के पास न तो अनेक इंजीनियर थे और न ही उत्पादन क्षमता और एकल इकाई में टूलींग। भारत में अब टाटा और महिंद्रा वेंटिलेटर जैसी महत्‍वपूर्ण सामग्री का उत्‍पादन करने की तैयारी कर रही हैं।

स्वास्थ्य कार्यकर्ता संक्रमण के विषम हिस्से को लेते हैं। भारत में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सुरक्षा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी का सामना करना पड़ता है। चीन और इटली में, कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई ने स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी संख्‍या में जान ली है। अग्रिम पंक्ति में रहने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है। यह आवश्यक है कि हम व्यक्तिगत सुरक्षा किट – दस्ताने, कवरॉल, गोगल्‍स, एन-95 मास्क, जूते के कवर, फेस शील्ड, ट्रिपल-लेयर मेडिकल मास्क सुनिश्चित करें – और अस्पतालों में पर्याप्त भोजन और आराम की सुविधा प्रदान करें। हम इस बात की बेहद सराहना करते हैं कि भारत सरकार ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया है।

हमने पिछले 20 वर्षों में पांच महामारियों का सामना किया है (हर पांच साल में एक महामारी)। यदि देशों को महामारी के लिए वास्तव में मजबूत बनना है, तो यह जरूरी है कि वे ‘निष्क्रिय सहायता संघों’ के सिद्धांत को अपनाएं। सार यह है कि महामारियों के डिजिटल मॉडल बनाए जाने चाहिए और देशों को विभिन्न उद्योगों के सर्वश्रेष्ठ आपूर्ति-श्रृंखला विशेषज्ञों को एक स्‍थान पर रखा जाए और उनसे अनुरोध किया जाए कि वे ऐसे प्रभावी तालमेल का पता लगाएं, जिसका उन्हें पता ही नहीं है कि वे इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए मौजूद हैं। सरकारों को ऐसी कंपनियों (अन्‍य के अलावा ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान) की पहचान करनी चाहिए जो स्‍केल पर आवश्यक आपूर्ति की कुछ श्रेणियों को बनाने की क्षमता रखते हैं और विशेष स्वास्थ्य सेवा कंपनियों के साथ जोड़ें। एक सशक्‍त और सुस्‍पष्‍ट, समयबद्ध बौद्धिक संपदा समझौता तैयार किया जा सकता है। नियामक और मानकों की एजेंसियों के एक अधिकार प्राप्‍त प्रतिनिधि को सहायता संघ का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। कपड़ों की एक बड़ी कंपनी को हज़मट सूट उत्पादन के लिए आवश्यक मंजूरी लेने के लिए लंबे समय इंतजार नहीं कराया जा सकता। जब सरकार एक सन्निकट महामारी की घोषणा करेगी तो इन बहुउद्देश्‍यीय निष्क्रिय सहायता संघों में जान आ जाएगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माता जिनके पास लाखों कर्मचारी हैं, जिन्हें हजारों अत्‍याधुनिक स्वच्छ कमरों (जो पूर्ण रूप से स्‍वच्‍छ सेट) को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया है, उनकी महामारी में मजबूत आपूर्ति श्रृंखला में एक बड़ी भूमिका होगी। चूंकि तांबा अधिकांश सूक्ष्‍म कीटाणुओं को मारता है, इसलिए महामारी-अनुकूल पैकेजिंग को कॉपर फ़ॉइल आपूर्तिकर्ताओं से लेकर बैटरी उद्योग में भेजा जा सकता है। स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल करने वाले कर्मियों की सुरक्षा के लिए स्वैब सैंपल का बड़े पैमाने पर संग्रह (प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा) करने के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्‍वीगी, उबर, ओला जैसी कंपनियों के वितरण बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल किया जा सकता है। महामारी का प्रबंधन करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक रिजर्व सेना बनाई जानी चाहिए।

भारत में, जब सरकारी, निजी कार्यालयों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को बंद कर दिया गया है, ई-कॉमर्स के माध्यम से खाद्य, किराने का सामान, फल और सब्जियों और खाद्य, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण सहित सभी आवश्यक सामानों की डिलीवरी करने वाली दुकानों को छूट प्रदान की गई है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि आम नागरिक को परेशानी न हो और आपूर्ति श्रृंखला बरकरार रहे।

अमिताभ कांत नीति आयोग में सीईओ हैं और कोवथमराज वी.एस. एक युवा प्रोफेशनल हैं। व्यक्त किए विचार उनके व्यक्तिगत हैं।