राहुल गांधी की किसान रैली को समझने के लिये हमें उनके बहनोई अरबपति गरीब किसान वाड्रा को समझने के लिये मेरे द्वारा लिखी पुस्तक डी एल एफ वाड्रा भ्रष्टतंत्र के कुछ अंश यहॉ प्रस्तुत है :
डीएलएफ वाड्रा हुड्डा वित्तीय घोटालों के अभिनव तरीकों के रचनाकार हैं। इन घोटालों के अभिनव तरीकों का अनुकरण मां और बेटे सोनिया गांधी व राहुल गांधी द्वारा नेशनल हेराल्ड से संबंधित घोटालों में किया गया है। लेखक द्दड्डह्म्स्रड्डद्बं चेतावनी देते हुए बताते हैं कि रोमा जिप्सी डबलिन की सड़कों पर डकैती करते प्राय: पाये जाते हैं। ये चोर गिरोह बनाकर चोरियां करते हैं। बटुआ पॉकेट से निकालने के पूर्व ये चोर पहले लापरवाह राहगीर को डांस करने को पूछते हैं और ऐसा करने पर चोर का दूसरा साथी बटुआ निकाल रफूचक्कर हो जाता है।
इस पुस्तक Ó’ डीएलएफ–वाड्रा–भ्रष्टतंत्र का यह अध्याय डीएलएफ वाड्रा के उन घोटालों से विशेषकर संबंधित है जिन घोटालों का पर्दाफाश आईएएस अधिकारी अशोक खेमका द्वारा किया जा चुका है। जेब काटना पिक पाूकेटिंग चोरी का वह तरीका है जिसमें जिसकी जेब काटी उसे उस समय इसकी भनक भी नहीं लगती है। जेब काटने पिक पॉकेटिंग चोरी में भी विशेष प्रकार के कौशल जैसे जिसकी पॉकेट मारनी हो उसका ध्यान दूसरी तरफ मोडऩा, दु्रत गति से हाथ सफाई करना व फिर तेज गति से रफू चक्कर हो जाना इत्यादि।
राजनीतिक नेताओं ने विशेषकर यूपीए सरकार के नेताओं ने अपनी पहचान खतरनाक लोकतांत्रिक जेबकतरों के रूप में बन चुके हैं, इस श्रेणी में डीएलएफ वाड्रा के पारदर्शी घोटाले प्रमुखता से आते हैं। डीएलएफ वाड्रा–कुक्ड एकाउंट काले को सफेद और नंबर दो को नंबर एक बनाने की कला में माहिर हैं।
ये घोटाले कांग्रेस शासित प्रदेशों में विशेषकर हरियाणा और राजस्थान के किसानों की भूमि को हड़पने में हुआ है। संसद मे मिर्च स्प्रे अफसोसनाक और बेहद शर्मनाक था। तेलंगाना बिल का विरोध कर रहे सांसदों में से एक सांसद राजगोपाल ने नेताओं पर मिर्च स्प्रे कर दिया, इसके बाद तो संसद में मच गया।
पूरी दुनिया तक ये खबर पहुंची और भारतीय संसद को शर्मसार होना पड़ा। क्या वाड्रा द्वारा कानून की आंखों में धूल झोंक कर किसानों की जमीन को धोखा देकर कौडिय़ो की कीमतेमें खरीद कर दस बीस गुना कीमत में बेचना अफसोसनाक और बेहद शर्मनाक तथा भारत के प्रजातांत्रिक रूप पर काली श्याही फेंकना नहीं है?
मनोरंजन स्वरूप से जादूगर पॉकेट मारते हैं और फिर लौटा देते हैं। क्या डी एलएफ चेयरमैन सिंह और सोनिया जी के दामाद श्री रोबर्ट वाड्रा इसी प्रकार के गरीब किसान हैं। जैसे डाकू खडग़ सिंह ने साधु के वेश में घोड़े को चुराया था परंतु बाद में पश्चाताप कर घोड़े को बाबा भारती को वापस कर दिये थे। क्या सुपर स्टार रजनीकांत द्वारा अपनाये गये पिता तुल्य सुंदरम जिन्होंने अपनी संपूर्ण ३० वर्षों का वेतन और अमेरिकन गवर्नमेंट से अवार्ड में मिले ३० करोड़ का वितरण जरूरत मंद गरीबों में किया था का अनुकरण करने वाले हंै?
हुड्डा बोले : राबर्ट वाड्रा एक छोटे–मोटे किसान – कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा से जुड़े भू–विवादों को लेकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा भूपिंदर हुड्डा का कहना है कि वाड्रा एक छोटे–मोटे किसान हैं और हरियाणा सरकार की नीति रही है कि छोटे किसानों को विकास और शहरी परियोजनाओं का लाभ मिले। अंग्रेजी दैनिक द हिन्दू को दिए गए एक इंटरव्यू में हुड्डा ने पहली बार वाड्रा–डीएलएफ सौदे, अशोक खेमका की जांच रिपोर्ट और इसे लेकर चल रही सियासत , गुडग़ांव के सांसद इंद्रजीत सिंह की बगावत आदि पर जवाब दिये। हुड्डा के मुताबिक Óउनकी सरकार की नीति रही है कि किसानों को भी लाइसेंस दिया जाए, जगह के कामर्शियल इस्तेमाल के लिये, ताकी बढ़ते शहरी विकास का फायदा सिर्फ बिल्डरों को ही न मिले। अगर कोई किसान अपना लाइसेंस और जमीन बिल्डर को बेचकर मुनाफा कमाता है तो इसमें क्या गलत है।‘
इस सवाल पर कि क्या आप वाड्रा को हरियाणा का एक गरीब किसान कह रहे हैं , हुड्डा बोले कि : ‘वाड्रा भमि के मालिक हैं। अगर जिस जमीन पर उनका मालिकाना हक है, तो वह किसान बन जाते हैं। इस ३.५३ एकड़ जमीन पर इतना विवाद इसलिये हो रहा है क्योंकि वाड्रा सोनिया गांधी के दामाद हैं। वाड्रा ने जो भी डील की वह कइतई गैरकानूनी नहीं है।
चोर–चोर चिल्लते हुए दौड़ रहे लोगों के बीच अपने आपको सम्मिलित कर विास्तकविक चोर जिसस प्रकार अइअपने आपको सुरक्षित महसुस करता है। इसी ट्र्रिक को कांग्रेस ने भी अपना लिया है। जब कांग्रेस विरोधी पार्टियां कांग्र्रेस को चोर–चोर कहती है, तो कांग्रूेस के चोर नेता भाी चोर–चोर चिल्ला कर भाग पड़ते हैं और अपने को सुरक्षित महसुस करते हंै।
किसानों का 10 दिन का आंदोलन देशव्यापी है और एपिसेंटर मध्य प्रदेश का मंदसौर बना हुआ है. वही जगह जहां साल भर पहले पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गयी थी. 6 जून को उसी की बरसी पर राहुल गांधी मंदसौर जा रहे हैं. मृत किसानों के परिवार वालों ने राहुल गांधी की रैली में शामिल होने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि रैली राजनीतिक स्टंट है। राहुल गांधी आज के पहले एक वर्ष तक उनके घर क्यों नही गये?
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