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रामपुर तिराहा कांड शहीदों को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने दी श्रद्धांजलि, घटना को बताया इतिहास का काला धब्बा

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मुजफ्फरनगर: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा स्थित ‘शहीद स्थल’ पहुंचे। यहां उन्होंने दो अक्टूबर 1994 को पुलिस गोलीबारी में शहीद हुए उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। धामी ने कहा कि यह घटना अलग राज्य के लिए उत्तराखंड के संघर्ष के इतिहास में एक काला धब्बा है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार राज्य के आंदोलनकारियों के सपनों के अनुसार राज्य का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलवे लाइन 2025 तक शुरू हो जाएगी, इसका निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के विकास में इस रेल लाइन का विशेष महत्व होगा। साथ ही बताया कि मानस कॉरिडोर से उत्तराखंड के तीर्थ स्थानों को कनेक्ट किया जाएगा। शहीद स्थल पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और उप्र सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल भी मौजूद थे।

क्या है रामपुर तिराहा कांड
उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से साल 1994 में उत्तराखंड राज्य की मांग ने जोर पकड़ लिया था। इसी दौरान केंद्र की सत्ता को अपनी आवाज सुनाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र के नेताओं समेत एक बड़ी आबादी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी की। आंदोलन से जुड़े बड़े नेता दिल्ली पहुंच चुके थे। वहीं गढ़वाल और कुमाऊं हिस्से से भारी संख्या में लोगों के दिल्ली पहुंचने की तैयारी थी। यह लोग बसों में 1 अक्टूबर 1994 को दिल्ली के लिए रवाना हुए। हालांकि 2 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोली चलानी शुरू कर दी। इसमें कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरे देश में इसकी निंदा हुई। आंदोलन और तेज हो गया। आखिरकार नवंबर 2000 में अलग राज्य उत्तराखंड का गठन हुआ।